सोलर एनर्जी में पैसा लगाने से पहले जान लें ये 5 जरूरी बातें – नहीं तो हो सकता है नुकसान

सोलर एनर्जी में निवेश से पहले अगर आपने इन 5 जरूरी बातों को नज़रअंदाज किया, तो आपका लाखों का नुकसान तय है। जानें कैसे सही योजना और सरकारी सब्सिडी आपकी जेब और पर्यावरण दोनों को बचा सकती है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट और बनिए स्मार्ट इन्वेस्टर।

Photo of author

Written by Rohit Kumar

Published on

सोलर एनर्जी में पैसा लगाने से पहले जान लें ये 5 जरूरी बातें – नहीं तो हो सकता है नुकसान
सोलर एनर्जी में पैसा लगाने से पहले जान लें ये 5 जरूरी बातें – नहीं तो हो सकता है नुकसान

सोलर एनर्जी (Solar Energy) आज के दौर में ऊर्जा का सबसे तेज़ी से बढ़ता स्रोत बन चुकी है। बढ़ती बिजली की दरें, पर्यावरणीय चिंताएं और सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी योजनाएं लोगों को सोलर एनर्जी की ओर आकर्षित कर रही हैं। लेकिन इस Renewable Energy सेक्टर में निवेश करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना अत्यावश्यक है। यदि आपने बिना सही जानकारी के सोलर सिस्टम (Solar System) लगवाया, तो ना केवल आपका निवेश व्यर्थ जा सकता है, बल्कि बिजली की बचत की उम्मीदें भी पूरी नहीं होंगी।

इस रिपोर्ट में हम आपको पांच ऐसे बिंदुओं की जानकारी दे रहे हैं जो किसी भी घरेलू उपभोक्ता को सोलर एनर्जी में निवेश से पहले अवश्य समझने चाहिए। ये बातें आपके निर्णय को मजबूत बनाएंगी और निवेश से अधिकतम लाभ दिलाएंगी।

ऊर्जा खपत का आकलन करें, तभी करें सोलर सिस्टम का चयन

किसी भी सोलर सिस्टम की योजना बनाने से पहले यह जानना जरूरी है कि आपकी दैनिक और मासिक बिजली खपत कितनी है। अगर आपकी बिजली खपत मुख्यतः दिन में होती है, तो सोलर पैनल से सीधे ऊर्जा उपयोग किया जा सकता है। लेकिन यदि उपयोग रात में अधिक होता है, तो बैटरी स्टोरेज सिस्टम लगाना होगा, ताकि दिन में बनी बिजली को स्टोर कर रात में उपयोग किया जा सके।

उदाहरण के तौर पर, यदि किसी घर की मासिक खपत 300 यूनिट के आसपास है और उपयोग मुख्यतः दिन में होता है, तो 3 किलोवाट ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम पर्याप्त होगा। वहीं, जिन उपभोक्ताओं की खपत रात में अधिक होती है, उन्हें हाइब्रिड या ऑफ-ग्रिड सिस्टम में निवेश करना चाहिए।

छत की दिशा, छाया और संरचना की करें गहन जांच

सोलर पैनल की कार्यक्षमता पूरी तरह इस बात पर निर्भर करती है कि वह किस दिशा और कोण में लगाए गए हैं। भारत में दक्षिण दिशा की ओर ढली छतें सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं, क्योंकि सूरज की रोशनी दिनभर इस ओर गिरती है। छत पर पेड़ों की छाया, आसपास की ऊँची इमारतें या अन्य रुकावटें पैनलों की दक्षता को कम कर सकती हैं।

इसके अलावा, छत की संरचनात्मक मजबूती की जांच भी आवश्यक है। पैनलों का वजन औसतन 20 से 25 किलोग्राम प्रति यूनिट होता है, जो समय के साथ छत पर भार डालता है। यदि छत पुरानी या कमजोर है, तो पहले उसका सुदृढ़ीकरण कराना जरूरी होगा।

जानें वित्तीय लागत और सब्सिडी योजनाओं की पूरी जानकारी

सोलर एनर्जी सिस्टम की लागत उसकी क्षमता और प्रकार पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, एक 1 किलोवाट ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम की कीमत ₹60,000 से ₹80,000 के बीच हो सकती है। यह प्रारंभिक लागत कई उपभोक्ताओं के लिए भारी हो सकती है, लेकिन भारत सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी (Subsidy) इसे काफी हद तक कम कर सकती है।

MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) द्वारा चलाई जा रही सब्सिडी योजनाओं के तहत उपभोक्ताओं को 20% से लेकर 40% तक की राहत मिल सकती है। इसके अलावा, कई कंपनियां EMI और लोन सुविधा भी देती हैं, जिससे शुरुआती लागत को किस्तों में चुकाया जा सकता है।

Also ReadEpic Energy Ltd Share Price: एनर्जी शेयर की इस कंपनी ने दिया निवेशकों को 1,225% रिटर्न, जाने कितना हुआ फायदा

Epic Energy Ltd Share Price: एनर्जी शेयर की इस कंपनी ने दिया निवेशकों को 1,225% रिटर्न, जाने कितना हुआ फायदा

प्रमाणित और अनुभवी इंस्टॉलर का चुनाव ही भविष्य सुरक्षित करेगा

अक्सर लोग सस्ती दरों के लालच में अनधिकृत या अनुभवहीन इंस्टॉलर्स से सोलर सिस्टम लगवा लेते हैं, जिससे बाद में तकनीकी समस्याएं और खराब प्रदर्शन सामने आता है। ऐसे में जरूरी है कि आप किसी MNRE प्रमाणित इंस्टॉलर से ही सोलर सिस्टम लगवाएं।

यह भी पढें-पिछले कुछ सालों में सोलर स्टॉक्स ने मचाया धमाल! क्या आपने देखे ये टॉप परफॉर्मर शेयर?

अच्छे इंस्टॉलर की पहचान उसके द्वारा पूर्व में की गई परियोजनाओं और उपभोक्ता फीडबैक से की जा सकती है। साथ ही इंस्टॉलर यह सुनिश्चित करता है कि पैनलों की सही एंगलिंग, वायरिंग और सेफ्टी सिस्टम लगाया जाए। यह ना सिर्फ सिस्टम की कार्यक्षमता बढ़ाता है बल्कि लंबे समय तक देखरेख की जरूरत भी कम करता है।

नेट मीटरिंग और ग्रिड कनेक्शन की प्रक्रिया समझना जरूरी

नेट मीटरिंग (Net Metering) एक ऐसी सुविधा है जिसके तहत यदि आपका सोलर सिस्टम जरूरत से अधिक बिजली उत्पन्न करता है, तो आप उसे ग्रिड में भेज सकते हैं और बदले में बिजली बिल में क्रेडिट प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रणाली उपभोक्ता को आर्थिक लाभ देती है, लेकिन इसकी प्रक्रिया राज्य अनुसार भिन्न होती है।

कुछ राज्यों में नेट मीटरिंग के लिए अनुमति और कागजी कार्रवाई में समय लगता है, वहीं कुछ राज्यों में यह प्रक्रिया सरल और तेज़ होती है। इसलिए सोलर सिस्टम लगवाने से पहले स्थानीय बिजली वितरण कंपनी (DISCOM) से संपर्क करके नेट मीटरिंग की पूरी जानकारी और प्रक्रिया अवश्य समझ लें।

सही प्लानिंग से सोलर एनर्जी बनेगी लाभ का सौदा

सोलर एनर्जी में निवेश निस्संदेह एक दीर्घकालिक और लाभकारी निर्णय है, लेकिन इसके लिए सही योजना, इंस्टॉलर और सरकारी जानकारी का होना अनिवार्य है। यदि आप ऊपर बताए गए बिंदुओं का ध्यान रखते हैं, तो ना केवल बिजली बिल में भारी कटौती संभव है, बल्कि आप पर्यावरण की रक्षा में भी योगदान दे सकते हैं।

Also Readसिर्फ ₹73,000 में मिलेगी ₹1.5 लाख की सिंचाई मशीन! बिना बिजली खेतों में होगी तेजी से सिंचाई

सिर्फ ₹73,000 में मिलेगी ₹1.5 लाख की सिंचाई मशीन! बिना बिजली खेतों में होगी तेजी से सिंचाई

Author
Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें