
घरों में बढ़ती बिजली की खपत और बढ़ती बिजली दरों के बीच सोलर एनर्जी (Solar Energy) अब एक स्मार्ट और टिकाऊ विकल्प बनकर उभरी है। खासकर जब बात हो 1.5 टन इन्वर्टर AC की, तो सवाल यही उठता है — घर में एक AC चलाने के लिए कितने kW का सोलर पैनल चाहिए? इस सवाल का जवाब सिर्फ दिन में AC चलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि रात में भी AC चलाने की संभावनाओं को समझना जरूरी है।
सोलर पैनल और रात का रिश्ता
यह एक सामान्य तथ्य है कि सोलर पैनल रात में सीधे बिजली उत्पन्न नहीं कर सकते क्योंकि उनकी कार्यप्रणाली सूर्य की रोशनी पर आधारित होती है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि सोलर पैनलों से रात में AC नहीं चलाया जा सकता। यदि आपके पास पर्याप्त बैटरी स्टोरेज और उपयुक्त सोलर सिस्टम है, तो आप दिन में उत्पादित अतिरिक्त बिजली को स्टोर करके रात में AC चला सकते हैं।
यह प्रक्रिया सोलर बैटरियों (Solar Batteries) के माध्यम से पूरी होती है, जो दिन में उत्पन्न बिजली को स्टोर करती हैं और रात में उपयोग के लिए उपलब्ध कराती हैं। यही कारण है कि सोलर सिस्टम की योजना बनाते समय बैटरी की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
1.5 टन AC के लिए कितनी सोलर क्षमता चाहिए?
1.5 टन इन्वर्टर AC को चलाने के लिए औसतन 1.5 kW बिजली की आवश्यकता होती है। अब यदि आप चाहते हैं कि यह AC दिन में भी चले और रात में भी, तो आपको दिन में उतनी बिजली उत्पन्न करनी होगी जो रात के लिए बैटरियों में संग्रहित की जा सके।
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उदाहरण के लिए, यदि आप अपने AC को रात में 4 घंटे तक चलाना चाहते हैं, तो आपको 1.5 kW × 4 घंटे = 6 kWh की बैटरी स्टोरेज क्षमता चाहिए। इसका मतलब यह है कि आपके सोलर सिस्टम को दिन भर में कम से कम 6 kWh अतिरिक्त बिजली उत्पन्न करनी होगी जो केवल AC के रात के उपयोग के लिए स्टोर की जाएगी।
बैटरी स्टोरेज क्यों है अहम?
रात में जब सूरज नहीं होता, तब बैटरी स्टोरेज ही एकमात्र जरिया होता है जिससे सोलर पावर का उपयोग किया जा सकता है। खासकर ऐसे उपभोक्ताओं के लिए जो ऑफ-ग्रिड सिस्टम अपनाना चाहते हैं यानी जो बिजली ग्रिड से पूरी तरह स्वतंत्र रहना चाहते हैं, उनके लिए बैटरियों की सही क्षमता बहुत जरूरी है।
6 kWh बैटरी क्षमता का मतलब है कि आप रात में बिना किसी समस्या के 1.5 टन AC को लगभग 4 घंटे चला सकते हैं। बैटरियों का चयन करते समय यह देखना आवश्यक होता है कि वे कितनी बार चार्ज और डिसचार्ज हो सकती हैं और कितनी दक्षता से बिजली स्टोर करती हैं।
सही इन्वर्टर का चयन भी उतना ही जरूरी
एक सोलर सिस्टम में इन्वर्टर वह यंत्र होता है जो DC (डायरेक्ट करंट) को AC (अल्टरनेटिंग करंट) में परिवर्तित करता है। अधिकतर घरेलू उपकरण AC पर ही चलते हैं। लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है।
AC जैसे भारी उपकरण को स्टार्ट होने के समय एक अतिरिक्त पावर की आवश्यकता होती है जिसे स्टार्टअप पावर कहते हैं। यदि आपका इन्वर्टर इस स्टार्टअप लोड को सहन नहीं कर सकता, तो सिस्टम फेल हो सकता है या उपकरण को नुकसान हो सकता है। इसलिए एक ऐसा इन्वर्टर चुनें जो न सिर्फ सामान्य लोड संभाल सके, बल्कि AC जैसे उपकरण की स्टार्टअप मांग को भी पूरा कर सके।
सोलर सिस्टम के विकल्प: ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड
जब आप अपने घर के लिए सोलर सिस्टम का चुनाव करते हैं, तो आपके पास दो विकल्प होते हैं — ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड।
ऑन-ग्रिड सिस्टम वे होते हैं जो पावर ग्रिड से जुड़े होते हैं। इसका लाभ यह होता है कि आप दिन में सौर पैनलों से जो अतिरिक्त बिजली उत्पन्न करते हैं, उसे ग्रिड में भेज सकते हैं और बदले में क्रेडिट पा सकते हैं। रात में, यदि आपकी बैटरियों में संग्रहित ऊर्जा पर्याप्त नहीं है, तो आप ग्रिड से बिजली ले सकते हैं।
ऑफ-ग्रिड सिस्टम उन इलाकों के लिए उपयुक्त हैं जहां बिजली ग्रिड की सुविधा नहीं है या जो पूरी तरह आत्मनिर्भर रहना चाहते हैं। इसमें बैटरियों का होना अनिवार्य है, क्योंकि यही ऊर्जा का एकमात्र स्रोत होती हैं जब सूरज डूबता है।
सही सोलर सिस्टम के लिए क्या जानकारी जरूरी है?
यदि आप अपने घर के लिए एक उपयुक्त सोलर सिस्टम की योजना बना रहे हैं, तो आपको निम्नलिखित जानकारियाँ पहले से तैयार रखनी चाहिए:
- आपके AC की क्षमता कितनी है?
- आप उसे दिन और रात में कितने घंटे चलाना चाहते हैं?
- आपके अन्य बिजली उपकरण क्या हैं और उनकी खपत कितनी है?
- आपके क्षेत्र में औसतन कितने घंटे धूप मिलती है?
इन जानकारियों के आधार पर ही कोई विशेषज्ञ या कंपनी आपको एक अनुकूलित और कुशल सोलर सिस्टम डिज़ाइन करके दे सकती है।