
भारत देश में रिन्यूएबल एनर्ज-Renewable Energy को लेकर लोगों में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। सरकार की ओर से सोलर एजर्नी को बढ़ावा देने वाली योजनाओं और सब्सिडी ने ग़रीब जनता को भी घर पर सोलर पैनल्स लगाने की ओर आकर्षित किया है। खासतौर पर 5 kW सोलर सिस्टम की मांग बढ़ी है, क्योंकि यह एक औसत भारतीय परिवार की सामान्य घरेलू जरूरतों को पूरा करने में सक्षम माना जाता है। इस बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या 5 kW सोलर सिस्टम सर्दियों में भी उतनी ही बिजली पैदा कर सकता है जितनी गर्मियों में? दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों की मिसाल से इस सवाल का जवाब जानना जरूरी हो जाता है।
सर्दियों में 5 kW सोलर सिस्टम की बिजली उत्पादन क्षमता
विशेषज्ञों और इंडस्ट्री रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्रों में 5 kW सोलर सिस्टम सर्दियों के मौसम में भी अच्छी खासी बिजली पैदा करता है। सर्दियों में प्रति किलोवॉट सिस्टम औसतन 3.7 kWh प्रतिदिन बिजली उत्पादन करता है। इसका मतलब यह हुआ कि 5 kW का सोलर सिस्टम सर्दियों में लगभग 18 से 20 kWh प्रतिदिन बिजली उत्पन्न करने में सक्षम होता है। अगर सालभर के आंकड़ों पर गौर करें तो 5 kW सोलर सिस्टम से करीब 4000 से 5000 kWh तक बिजली पैदा की जा सकती है। हालांकि सर्दियों में दिन छोटे होने, कोहरा और धुंध जैसी मौसमी चुनौतियों की वजह से उत्पादन गर्मियों की तुलना में थोड़ा कम जरूर हो जाता है। फिर भी यह सिस्टम औसत भारतीय घर की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम रहता है।
क्या 5 kW सोलर सिस्टम पूरी तरह घरेलू जरूरतें पूरी करता है?
यदि आपके घर की वार्षिक बिजली खपत 3000 से 4000 kWh के बीच है तो 5 kW सोलर सिस्टम आपके लिए आदर्श विकल्प साबित हो सकता है। सर्दियों में इस सिस्टम से उत्पन्न होने वाली 18 से 20 kWh प्रतिदिन बिजली से घर में रोशनी, पंखे, टीवी, फ्रिज जैसे उपकरण आसानी से चलाए जा सकते हैं। लेकिन यदि घर में एयर-कंडीशनर, हीटर या माइक्रोवेव ओवन जैसे हाई पावर कंजम्प्शन वाले उपकरण चलते हैं तो ग्रिड से कनेक्टेड नेट मीटरिंग सिस्टम या बैटरी बैकअप रखना बेहतर रणनीति मानी जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दियों में तापमान कम होने की वजह से सोलर पैनल्स की एफिशिएंसी बढ़ जाती है। भारत के ज्यादातर हिस्सों में सर्दियों में बर्फबारी जैसी कोई बड़ी बाधा नहीं होती, जिससे पैनल्स की परफॉर्मेंस स्थिर बनी रहती है।
नेट मीटरिंग और बैटरी बैकअप क्यों जरूरी हैं?
सर्दियों में भी बिजली की सप्लाई में किसी तरह की रुकावट न आए, इसके लिए नेट मीटरिंग और ग्रिड-टाइड सिस्टम बेहद जरूरी हो जाते हैं। सोलर पैनल्स से दिन में जितनी भी अतिरिक्त बिजली पैदा होती है, उसे ग्रिड में भेजा जा सकता है। जब सूरज ढल जाए या किसी वजह से पैनल्स बिजली पैदा न कर सकें, तब जरूरत के समय यही बिजली ग्रिड से वापस ली जा सकती है। इससे न केवल बिजली की निरंतरता बनी रहती है, बल्कि बिजली के बिल में भी अच्छी खासी बचत होती है। वहीं अगर आप ऑफ-ग्रिड सिस्टम पर पूरी तरह निर्भर रहना चाहते हैं या किसी इमरजेंसी स्थिति के लिए तैयार रहना चाहते हैं तो बैटरी स्टोरेज सिस्टम एक स्मार्ट विकल्प है। बैटरी में दिन के समय की अतिरिक्त बिजली स्टोर की जा सकती है, जिसे रात में या कम धूप वाले दिनों में उपयोग किया जा सकता है।
सोलर पैनल की गुणवत्ता और टेक्नोलॉजी का महत्व
5 kW सोलर सिस्टम खरीदते समय पैनल की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना बेहद जरूरी है। आधुनिक टेक्नोलॉजी जैसे TOPCon सेल्स या बाइफेशियल सोलर पैनल्स को प्राथमिकता देनी चाहिए। ये पैनल्स न सिर्फ गर्मी बल्कि धुंध जैसे मौसम में भी बेहतरीन बिजली उत्पादन करते हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले पैनल लंबे समय तक चलते हैं और उनकी मेंटेनेंस लागत भी कम होती है। इसके अलावा पैनल्स का टेम्परेचर कोफिशिएंट भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह यह तय करता है कि पैनल तापमान में उतार-चढ़ाव के बावजूद कितनी कुशलता से काम करेगा।