Adani Green सिर्फ नाम में ग्रीन है या सच में? जानिए Adani Green की पूरी सच्चाई!

दुनिया का सबसे बड़ा Renewable Energy पार्क, करोड़ों का निवेश और कार्बन क्रेडिट – लेकिन क्या वाकई Adani Green उतनी ही साफ-सुथरी है जितनी दिखती है? ग्रीनवॉशिंग, भ्रष्टाचार और ज़मीन विवादों के बीच क्या यह कंपनी सिर्फ ‘ग्रीन’ नाम भर है? पढ़िए पूरी पड़ताल।

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Written by Rohit Kumar

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Adani Green सिर्फ नाम में ग्रीन है या सच में? जानिए Adani Green की पूरी सच्चाई!
Adani Green सिर्फ नाम में ग्रीन है या सच में? जानिए Adani Green की पूरी सच्चाई!

Adani Green Energy Limited (AGEL) भारत की अग्रणी Renewable Energy कंपनियों में से एक है, जो 2030 तक 50 गीगावाट (GW) स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल करने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर अग्रसर है। कंपनी ने हाल ही में गुजरात के खावड़ा क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क स्थापित किया है, जिसकी कुल योजना 30 GW की है और वर्तमान में इसकी 2,250 मेगावाट (MW) की प्रारंभिक उत्पादन क्षमता चालू हो चुकी है। यह परियोजना भारत के ऊर्जा परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है।

पर्यावरणीय प्रभाव और Sustainable Growth में AGEL की अग्रणी भूमिका

Adani Green Energy ने 2022-23 के दौरान अपने स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के माध्यम से कुल 36.7 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) उत्सर्जन से बचाव किया है, जो पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। इसके अलावा, कंपनी को इस योगदान के लिए 3.9 मिलियन कार्बन क्रेडिट भी प्राप्त हुए हैं, जो इसकी हरित प्रतिबद्धताओं को दर्शाते हैं। AGEL की प्रति यूनिट उत्सर्जन तीव्रता भारतीय ग्रिड औसत से 99.8% कम है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कंपनी स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध भी सशक्त कदम उठा रही है।

जल संरक्षण के क्षेत्र में भी AGEL ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ दर्ज की हैं। कंपनी की जल उपयोग तीव्रता केवल 0.02 किलोलीटर प्रति मेगावाट-घंटा (kL/MWh) है, जो पारंपरिक थर्मल पावर प्लांट्स की औसत 3.5 किलोलीटर प्रति मेगावाट-घंटा खपत के मुकाबले 99.5% कम है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि कंपनी न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ है, बल्कि जल जैसे सीमित संसाधनों के संरक्षण में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है।

वैश्विक निवेश और रणनीतिक साझेदारियाँ

Adani Green Energy की वैश्विक स्तर पर पहुंच और निवेशकों का विश्वास भी इसकी सफलता की कहानी को और मजबूत बनाता है। फ्रांस की प्रमुख ऊर्जा कंपनी TotalEnergies ने AGEL के साथ संयुक्त उद्यम के तहत 1,150 मेगावाट की सौर परियोजनाओं के लिए साझेदारी की है, जिसमें कुल $444 मिलियन (लगभग ₹3,700 करोड़) का प्रत्यक्ष निवेश किया गया है। यह सहयोग न केवल कंपनी के विस्तार की संभावनाओं को बढ़ाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की Renewable Energy की छवि को भी सुदृढ़ करता है।

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विवादों में घिरी हरित छवि: भ्रष्टाचार और ग्रीनवॉशिंग के आरोप

जहां AGEL ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हैं, वहीं दूसरी ओर यह कई गंभीर विवादों और आरोपों से भी घिरी हुई है। हाल ही में अमेरिकी अभियोजकों ने कंपनी के चेयरमैन गौतम अडानी सहित अन्य अधिकारियों पर $265 मिलियन की रिश्वत योजना में शामिल होने का आरोप लगाया है। यह मामला कंपनी की वैश्विक छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है और इसके निवेशकों के भरोसे को भी चुनौती दे सकता है।

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इसके अतिरिक्त, AGEL पर ग्रीनवॉशिंग के आरोप भी लगे हैं। कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी द्वारा जारी किए गए ‘ग्रीन बॉन्ड्स’ से प्राप्त धनराशि का उपयोग समूह की कोयला परियोजनाओं में किया गया है। यदि ये आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल कंपनी की हरित प्रतिबद्धता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि निवेशकों और पर्यावरणीय संगठनों के विश्वास को भी कमजोर कर सकता है।

सामाजिक प्रभाव और स्थानीय विरोध

Adani Green Energy की परियोजनाओं का प्रभाव केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक आयाम भी चर्चा का विषय बनता जा रहा है। विशेषकर गुजरात के खावड़ा और अन्य क्षेत्रों में कंपनी पर स्थानीय और आदिवासी समुदायों की पारंपरिक भूमि पर अतिक्रमण करने और उन्हें विस्थापित करने के आरोप लगाए गए हैं। इससे सामाजिक न्याय, जन सहभागिता और परियोजनाओं की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठते हैं।

कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स, जैसे कि द गार्जियन और द आर्ट न्यूज़पेपर, ने इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है। लंदन के साइंस म्यूजियम में AGEL की प्रायोजन भूमिका को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों में भी ग्रीनवॉशिंग और सामाजिक शोषण जैसे आरोपों को प्रमुखता मिली।

प्रगति और पारदर्शिता के बीच संतुलन की आवश्यकता

Adani Green Energy भारत की ऊर्जा क्रांति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है। कंपनी की परियोजनाएँ भारत को नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में आत्मनिर्भर बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इसके पर्यावरणीय प्रयास और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियाँ इसे वैश्विक स्तर पर एक शक्तिशाली Renewable Energy खिलाड़ी बनाती हैं।

लेकिन साथ ही, कंपनी पर लगे भ्रष्टाचार, ग्रीनवॉशिंग और सामाजिक शोषण के आरोप इसके हरित एजेंडे पर गहरे प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। ऐसे में आवश्यक है कि कंपनी अपनी पारदर्शिता बढ़ाए, स्थानीय समुदायों के हितों का सम्मान करे, और अपने हरित दावों को वास्तविक धरातल पर साबित करे। भारत जैसे देश में जहां नवीकरणीय ऊर्जा भविष्य की कुंजी है, वहां AGEL जैसी कंपनियों का उत्तरदायित्व केवल ऊर्जा उत्पादन तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय न्याय सुनिश्चित करने तक विस्तृत होना चाहिए।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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