
भारत में सौर ऊर्जा में निवेश के लिए अडानी ग्रीन एनर्जी और टाटा पावर दो प्रमुख कंपनियाँ हैं, जिनके बीच चयन निवेशक की जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश के लक्ष्यों पर निर्भर करता है, रिलायंस इंडस्ट्रीज भी इस क्षेत्र में प्रवेश कर रही है, लेकिन इसकी मुख्य आय का स्रोत अन्य व्यवसाय हैं।
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निवेश के निर्णय लेने से पहले इन कंपनियों की विशेषताओं को समझना महत्वपूर्ण है:
अडानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy)
विशेषज्ञता
- यह भारत की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा (pure-play renewable energy) कंपनी है और विश्व स्तर पर सबसे बड़े सौर ऊर्जा उत्पादकों में से एक है।
विकास
- कंपनी का ध्यान आक्रामक विस्तार और बड़ी उपयोगिता-पैमाने की परियोजनाओं (utility-scale projects) पर है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 45 GW क्षमता हासिल करना है।
जोखिम बनाम इनाम
- यह उच्च विकास की संभावनाएँ प्रदान करती है, लेकिन वित्तीय अनुपात (जैसे P/E और P/BV) के मामले में इसका मूल्यांकन प्रीमियम पर है और कुछ वित्तीय अस्थिरता का सामना भी करना पड़ सकता है, जिससे यह उच्च जोखिम वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त है।
टाटा पावर
विशेषज्ञता
- टाटा पावर एक विविध ऊर्जा दिग्गज है, जो बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण के पूरे कार्यक्षेत्र में काम करती है। यह सौर ईपीसी परियोजनाओं, रूफटॉप सौर समाधान और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग बुनियादी ढाँचे में मजबूत उपस्थिति रखती है।
स्थिरता
- यह एक सदी से अधिक के अनुभव के साथ स्थापित कंपनी है, जो स्थिर वित्तीय प्रबंधन और लगातार लाभप्रदता का प्रदर्शन करती है, जिससे यह रुढ़िवादी निवेशकों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बन जाती है।
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नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो
- कंपनी का एक बड़ा और बढ़ता हुआ नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो है, जो इसे भविष्य के लिए अच्छी स्थिति में रखता है, हालांकि इसकी कुल ऊर्जा क्षमता में तापीय ऊर्जा का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज
- रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में बड़े निवेश की घोषणा की है, जिसमें सौर प्रोत्साहन के लिए बोली लगाना भी शामिल है।
- यह मुख्य रुप से एक विविध समूह है (पेट्रोलियम, खुदरा, दूरसंचार), इसलिए सौर ऊर्जा व्यवसाय का इसकी समग्र आय पर प्रभाव अडानी ग्रीन या टाटा पावर की तुलना में कम हो सकता है।







