
सोलर और इन्वर्टर बैटरियां भारत में बिजली की कटौती से निपटने के लिए आम हो गई हैं। लेकिन इनकी देखरेख—विशेषकर उनमें पानी भरने (Battery Watering) की प्रक्रिया—सही तरीके से न की जाए तो न सिर्फ बैटरी की कार्यक्षमता (Battery Efficiency) घटती है, बल्कि उसकी उम्र (Battery Life) भी कम हो जाती है। सोलर बैटरी या इन्वर्टर बैटरी की परफॉर्मेंस सीधे तौर पर इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें किस तरह का पानी और कैसे डाला गया है।
डिस्टिल्ड या डी-आयोनाइज्ड पानी का ही करें उपयोग
बैटरी में केवल डिस्टिल्ड (Distilled Water) या डी-आयोनाइज्ड (De-ionized Water) पानी ही डालना चाहिए। ये पानी खनिजों (Minerals) और अशुद्धियों से मुक्त होता है, जिससे बैटरी के अंदर रासायनिक संतुलन (Electrolyte Balance) बना रहता है। नल के पानी या आरओ (RO) वाटर में मौजूद आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे खनिज बैटरी की प्लेटों पर जमा होकर सल्फेशन (Sulfation) का कारण बनते हैं। इसका सीधा असर बैटरी की चार्ज पकड़ने की क्षमता और कुल जीवनकाल पर पड़ता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, RO वाटर तकनीकी रूप से शुद्ध लग सकता है लेकिन उसमें भी कुछ मात्रा में खनिज बचे रह सकते हैं, जो बैटरी के लिए नुकसानदायक हैं। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय बैटरी कंपनियां केवल डिस्टिल्ड या डी-आयोनाइज्ड पानी के उपयोग की सलाह देती हैं।
गलत पानी से हो सकते हैं ये गंभीर नुकसान
गलत तरीके से या गलत पानी का उपयोग करने पर बैटरी के अंदर कई प्रकार की रासायनिक गड़बड़ियां उत्पन्न होती हैं। नल या RO पानी में मौजूद खनिज बैटरी की लेड प्लेटों पर परत बनाकर उन्हें निष्क्रिय बना सकते हैं। इससे इलेक्ट्रोलाइट की क्रिया प्रभावित होती है और बैटरी समय से पहले खराब हो सकती है।
इससे न केवल बैटरी की चार्ज होल्ड करने की क्षमता घटती है, बल्कि बार-बार बैकअप फेल होने की समस्या भी सामने आती है। यही नहीं, यदि यह प्रक्रिया लंबे समय तक जारी रहती है तो बैटरी का जीवनकाल भी 30% तक कम हो सकता है।
बैटरी में पानी भरने का सही तरीका
बैटरी में पानी डालने से पहले और बाद में कुछ जरूरी बातों का पालन करना जरूरी होता है, जिससे न केवल सुरक्षा सुनिश्चित होती है बल्कि बैटरी की क्षमता भी बरकरार रहती है। सबसे पहले बैटरी को पूरी तरह चार्ज करें। चार्जिंग के दौरान इलेक्ट्रोलाइट का स्तर ऊपर उठता है, इसलिए चार्जिंग के बाद पानी भरना ही सबसे उपयुक्त समय होता है।
इसके बाद सभी वेंट कैप्स को सावधानी से खोलें और हर सेल का स्तर जांचें। अगर प्लेटें नजर आ रही हैं तो धीरे-धीरे डिस्टिल्ड पानी डालें, जब तक कि पानी प्लेटों से लगभग 1/8 इंच ऊपर न आ जाए। अधिक पानी डालने से चार्जिंग के दौरान इलेक्ट्रोलाइट बाहर निकल सकता है जिससे बैटरी और आसपास के क्षेत्र को नुकसान हो सकता है।
पानी भरते समय दस्ताने और सुरक्षा चश्मा पहनना जरूरी है क्योंकि बैटरी के अंदर मौजूद एसिड त्वचा और आंखों के लिए खतरनाक हो सकता है। पानी भरने के बाद सभी वेंट कैप्स को ठीक से बंद करें और यदि पानी छलका हो तो बैटरी की सतह को अच्छी तरह से साफ करें।
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इन बातों का विशेष ध्यान रखें
बैटरी की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। सबसे पहले, डिस्चार्ज स्थिति में कभी भी पानी न भरें, क्योंकि इससे इलेक्ट्रोलाइट की संरचना बिगड़ सकती है। हमेशा फुल चार्जिंग के बाद ही पानी भरें।
धातु के किसी उपकरण का उपयोग न करें, क्योंकि इससे शॉर्ट सर्किट का खतरा होता है। बैटरी के आसपास खुली आग या धूम्रपान से भी बचें, क्योंकि बैटरी से निकलने वाली हाइड्रोजन गैस अत्यंत ज्वलनशील होती है। साथ ही, पानी भरते समय तेज रोशनी या गर्म सतहों के आसपास काम न करें।
कितनी बार जांचें पानी का स्तर?
पानी भरने की आवश्यकता बैटरी के उपयोग और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करती है। सामान्यतः हर 2 से 4 सप्ताह में एक बार पानी के स्तर की जांच करना उचित होता है। गर्मी के मौसम में वाष्पीकरण (Evaporation) अधिक होता है, इसलिए इन महीनों में जांच की आवृत्ति बढ़ा देनी चाहिए। जो बैटरियां अधिक समय तक और भारी उपयोग में रहती हैं, उनमें भी पानी जल्दी खत्म हो सकता है।
कुछ आधुनिक बैटरियों में वाटर लेवल इंडिकेटर लगे होते हैं, जो उपयोगकर्ताओं को सही समय पर पानी भरने की सूचना देते हैं। अगर ऐसा इंडिकेटर नहीं है, तो समय-समय पर मैन्युअल जांच बेहद जरूरी है।
बैटरी रखरखाव को लेकर विशेषज्ञों की राय
बैटरी निर्माता कंपनियों जैसे Foxtron Power Solutions और Tennant Company के अनुसार, लीड-एसिड बैटरियों (Lead-Acid Batteries) की परफॉर्मेंस और सुरक्षा के लिए नियमित रूप से सही पानी भरना सबसे जरूरी रखरखाव प्रक्रियाओं में से एक है। ये कंपनियां सलाह देती हैं कि यदि उपयोगकर्ता खुद पानी नहीं भरना चाहते तो किसी प्रशिक्षित तकनीशियन से यह कार्य करवाएं।
उनका यह भी कहना है कि गलत पानी के उपयोग से न केवल बैटरी की वारंटी (Battery Warranty) अमान्य हो सकती है, बल्कि शॉर्ट सर्किट या ब्लास्ट जैसी दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं।
रिन्यूएबल एनर्जी की दिशा में एक छोटा लेकिन अहम कदम
भारत जैसे देश में जहां रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) स्रोतों की ओर झुकाव बढ़ रहा है, वहां सोलर बैटरियां एक बड़ी भूमिका निभा रही हैं। इन बैटरियों की देखरेख न सिर्फ उनकी क्षमता बनाए रखने के लिए जरूरी है, बल्कि यह सस्टेनेबल एनर्जी भविष्य की नींव भी मजबूत करता है।
हर घर में इन्वर्टर और सोलर सिस्टम आज आम बात हो गई है, लेकिन इनकी बैटरियों की उचित देखभाल करना एक जिम्मेदारी भी है, जिसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।