
भारत में Renewable Energy सेक्टर लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है, और इसमें सोलर एनर्जी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती जा रही है। भारत की सबसे बड़ी सोलर कंपनियों में प्रमुख नामों में Waaree Energies और Tata Power Solar शामिल हैं। हाल ही में Waaree Energies को 180 MWp के सोलर पीवी मॉड्यूल सप्लाई का एक बड़ा ऑर्डर मिला है, जो कंपनी की निरंतर बढ़ती वैश्विक उपस्थिति और तकनीकी क्षमता का प्रमाण है।
Waaree Energies: भारत की अग्रणी सोलर मॉड्यूल निर्माता
Waaree Energies को भारत की सबसे बड़ी सोलर मॉड्यूल निर्माता कंपनी माना जाता है। कंपनी की घरेलू बाजार में 21% हिस्सेदारी है, वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके सोलर मॉड्यूल एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी 44% तक पहुँच चुकी है। FY21 में कंपनी की मॉड्यूल उत्पादन क्षमता मात्र 2 GW थी, जो FY24 तक 13.3 GW तक पहुँच चुकी है। यह वृद्धि कंपनी की आक्रामक विस्तार रणनीति और तकनीकी निवेश का नतीजा है।
हाल ही में Waaree Energies ने मध्य प्रदेश में 170 MW के सोलर पावर प्लांट के लिए भी एक प्रमुख अनुबंध हासिल किया है, जो कंपनी की EPC क्षमताओं को भी दर्शाता है। कंपनी न सिर्फ भारत में बल्कि अमेरिका, मिडल ईस्ट, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपने सोलर मॉड्यूल्स का निर्यात कर रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि Waaree की रणनीति घरेलू और वैश्विक दोनों स्तरों पर सशक्त उपस्थिति बनाने की है।
Tata Power Solar: भारत की सबसे पुरानी एकीकृत सोलर कंपनी
1989 में स्थापित, Tata Power Solar को भारत की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी एकीकृत सोलर कंपनी माना जाता है। कंपनी न केवल सोलर मॉड्यूल और सोलर सेल निर्माण करती है, बल्कि EPC (Engineering, Procurement, and Construction) सेवाएं भी प्रदान करती है। Tata Power Solar की सोलर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता 4.97 GW और सोलर सेल उत्पादन क्षमता 0.53 GW है।
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Tata Power Solar ने हाल ही में राजस्थान में 160 MW की ग्राउंड-माउंटेड सोलर परियोजना और भारत की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर परियोजना को कार्यान्वित किया है। इसके अलावा कंपनी आंध्र प्रदेश में 7 GW के ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स में $5.63 बिलियन (लगभग ₹46,000 करोड़) का निवेश करने की योजना पर कार्य कर रही है। यह निवेश भारत में ग्रीन एनर्जी के भविष्य को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
बाजार हिस्सेदारी और फोकस में अंतर
जहाँ Waaree Energies का मुख्य फोकस सोलर मॉड्यूल निर्माण और अंतरराष्ट्रीय निर्यात पर केंद्रित है, वहीं Tata Power Solar एक एकीकृत सोलर कंपनी के रूप में भारत में सोलर प्रोजेक्ट्स की योजना, निर्माण और क्रियान्वयन पर अपना ध्यान केंद्रित करती है। दोनों कंपनियों की स्थापना वर्ष 1989 में हुई थी, लेकिन उनके कारोबार के क्षेत्र और विस्तार की दिशा में साफ़ अंतर देखने को मिलता है।
Waaree का अधिकतर कारोबार निर्यात आधारित है, और कंपनी ने अपने सोलर मॉड्यूल्स को अमेरिका, मिडल ईस्ट, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे बाजारों में स्थापित किया है। दूसरी ओर Tata Power Solar मुख्यतः भारतीय बाजार में अपनी EPC क्षमताओं के साथ सक्रिय है और सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के बड़े प्रोजेक्ट्स पर ध्यान केंद्रित करती है।
सोलर इंडस्ट्री में बढ़ते निवेश और संभावनाएं
भारत सरकार द्वारा Renewable Energy क्षेत्र को बढ़ावा देने के चलते सोलर कंपनियों के लिए अपार संभावनाएं बनी हुई हैं। सरकार की योजना है कि 2030 तक भारत की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता का 50% हिस्सा रिन्यूएबल स्रोतों से हो। ऐसे में Waaree और Tata Power Solar जैसी कंपनियाँ इस लक्ष्य को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभा सकती हैं।
Waaree Energies ने अपनी उत्पादन क्षमता में जो तेज़ वृद्धि दिखाई है, वह इस बात का संकेत है कि कंपनी आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में और भी अधिक प्रतिस्पर्धी बनने की दिशा में अग्रसर है। वहीं Tata Power Solar अपने ग्रीन एनर्जी इनिशिएटिव्स और परियोजनाओं के माध्यम से घरेलू बाजार में अपनी पकड़ को और मजबूत कर रही है।
भविष्य की दिशा
सोलर एनर्जी के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है, लेकिन Waaree Energies और Tata Power Solar जैसे ब्रांड्स ने अपने भरोसेमंद उत्पादों और समय पर प्रोजेक्ट डिलीवरी के माध्यम से अपनी विशेष पहचान बनाई है। आने वाले वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-सी कंपनी भारत के तेजी से विकसित होते सोलर सेक्टर में शीर्ष पर बनी रहती है।
एक ओर Waaree अपनी उत्पादन क्षमता और वैश्विक पहुँच के चलते निवेशकों को आकर्षित कर रही है, वहीं Tata Power Solar का EPC और ग्राउंड लेवल पर ग्रीन प्रोजेक्ट्स का अनुभव उसे घरेलू बाजार में बेहद प्रभावशाली बनाता है।