
देश में जिस तरह गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और बिजली की दरें लगातार ऊंचाई छू रही हैं, ऐसे में आम नागरिक के लिए अपने मासिक बिजली खर्च को कम करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। इस स्थिति से निपटने के लिए अब लोग तेजी से रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की ओर रुख कर रहे हैं। खासतौर पर सोलर एनर्जी-Solar Energy का उपयोग करके घरेलू बिजली जरूरतों को पूरा करने का चलन जोर पकड़ रहा है। इसी संदर्भ में एक अहम सवाल यह उठता है – क्या सोलर पैनल से 1.5 टन का AC 24 घंटे तक चलाया जा सकता है और वो भी बिना बिजली बिल चुकाए?
1. कितनी बिजली खपत करता है एक इन्वर्टर AC?
अगर हम एक 1.5 टन के इन्वर्टर AC की बात करें, तो यह सामान्य स्थिति में लगभग 1.4 किलोवॉट (kW) बिजली प्रति घंटे की खपत करता है। इस आधार पर यदि इसे पूरे 24 घंटे तक चलाया जाए तो इसकी कुल बिजली खपत लगभग 33.6 यूनिट (kWh) होती है। यह आंकड़ा Navbharat Times की एक रिपोर्ट के आधार पर है, जिसमें बताया गया है कि लगातार चलने वाले AC को सपोर्ट करने के लिए औसतन प्रतिदिन इतनी ही बिजली की जरूरत होती है।
2. कितनी क्षमता के सोलर पैनल की होगी जरूरत?
भारत जैसे धूपदार देश में, 1 किलोवॉट का सोलर पैनल सिस्टम प्रतिदिन औसतन 5 यूनिट बिजली पैदा करता है। इस गणना के अनुसार यदि आपके AC को प्रतिदिन लगभग 34 यूनिट की आवश्यकता है, तो उसे चलाने के लिए कम से कम 7.5 किलोवॉट क्षमता के सोलर पैनल की जरूरत होगी। हालांकि, थोड़ी अतिरिक्त सुरक्षा के लिए इस क्षमता को 8 किलोवॉट मान लेना बेहतर होता है। इस तरह के सोलर सेटअप के लिए लगभग 600 से 700 वर्ग फुट खुली और धूपदार छत की जरूरत होगी।
3. कौन सा सोलर सिस्टम रहेगा बेहतर विकल्प?
सोलर सिस्टम मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं – ऑन-ग्रिड (On-Grid), ऑफ-ग्रिड (Off-Grid) और हाइब्रिड (Hybrid) सिस्टम।
ऑन-ग्रिड सिस्टम सीधे बिजली ग्रिड से जुड़ा होता है और इसमें बैटरी की जरूरत नहीं पड़ती। यदि आप शहरी या कस्बाई क्षेत्र में रहते हैं, जहां बिजली की उपलब्धता बनी रहती है, तो यह सबसे किफायती विकल्प है।
हाइब्रिड सिस्टम, जो कि ग्रिड और बैटरी दोनों से जुड़ा होता है, तब उपयोगी होता है जब आप दिन और रात दोनों समय AC चलाना चाहते हैं। इससे बैकअप भी बना रहता है और ग्रिड सपोर्ट भी मिलता है।
वहीं ऑफ-ग्रिड सिस्टम पूरी तरह बैटरी पर निर्भर होता है और उन इलाकों में उपयोगी होता है जहां बिजली की उपलब्धता कम रहती है या बार-बार कटौती होती है।
4. कितना होगा खर्च और मिलेगी क्या सब्सिडी?
एक 8 किलोवॉट ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम लगाने का खर्च लगभग ₹4 लाख से ₹4.5 लाख तक आता है। हालांकि भारत सरकार की पीएम सूर्य घर योजना (PM Surya Ghar Yojana) के तहत इस पर 20% से 30% तक की सब्सिडी दी जाती है। इस सब्सिडी के बाद कुल लागत घटकर ₹3 लाख के आस-पास आ सकती है।
सब्सिडी के लिए राज्य सरकार की नीतियां, पात्रता मानदंड और पंजीकरण की प्रक्रिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इच्छुक उपभोक्ताओं को इसके लिए राज्य की अधिकृत एजेंसियों से संपर्क करना होगा।
5. क्या सच में शून्य हो सकता है बिजली बिल?
अगर आपने सही क्षमता वाला सोलर सिस्टम इंस्टॉल किया है और आपका मुख्य लोड AC है, तो हां, आपका बिजली बिल लगभग शून्य हो सकता है। खासकर ऑन-ग्रिड सिस्टम में यदि आपके सोलर पैनल जरूरत से अधिक बिजली बनाते हैं तो वह अतिरिक्त बिजली ग्रिड को भेजी जाती है। इसके बदले में आपको बिल में क्रेडिट मिलता है, जिससे आपकी नेट पेमेंट बहुत कम या शून्य हो सकती है।
इस क्रेडिट सिस्टम की वजह से आप न केवल दिन में बल्कि रात में भी AC और अन्य घरेलू उपकरणों को आराम से चला सकते हैं।
6. किन बातों का रखना होगा खास ध्यान?
- यदि आप चाहते हैं कि आपका सोलर सिस्टम लंबे समय तक अधिकतम आउटपुट देता रहे, तो कुछ अहम बातों पर ध्यान देना जरूरी है।
- सबसे पहले, इन्वर्टर AC का चुनाव करें क्योंकि यह सामान्य AC के मुकाबले 30-40% कम बिजली की खपत करता है।
- यदि रात में भी AC चलाना है, तो हाइब्रिड या ऑफ-ग्रिड सिस्टम के तहत बैटरी बैकअप जरूरी होगा।
- आपके क्षेत्र में धूप कितनी मिलती है, यह जानना आवश्यक है क्योंकि सोलर पैनल का आउटपुट पूरी तरह सूरज की रोशनी पर निर्भर करता है।
- इसके अलावा, सोलर पैनल की नियमित सफाई और सिस्टम की मेंटेनेंस कराना भी उतना ही जरूरी है ताकि इसकी क्षमता बनी रहे।
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क्या यह वास्तव में मुमकिन है?
सोलर एनर्जी-Solar Energy अब केवल पर्यावरण की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी एक बेहतर विकल्प बन चुकी है। यदि आपके पास पर्याप्त जगह है और आप एक बार का निवेश करने में सक्षम हैं, तो सोलर सिस्टम वर्षों तक फ्री में बिजली देने की क्षमता रखता है।
बिजली के बढ़ते खर्च और गर्मियों में AC की जरूरत को देखते हुए यह न केवल एक समझदारी भरा निर्णय होगा बल्कि पर्यावरण के प्रति आपकी जिम्मेदारी का भी परिचायक बनेगा। और जब सरकार भी सब्सिडी के रूप में आर्थिक सहयोग दे रही हो, तो यह विकल्प और भी आकर्षक हो जाता है।