
भारत में Renewable Energy का विस्तार अभूतपूर्व गति से हो रहा है और सोलर एनर्जी इसमें अग्रणी भूमिका निभा रही है। इसी क्रम में सोलर कंपनियाँ और सोलर प्रोजेक्ट्स अब केवल बिजली उत्पादन का साधन नहीं रह गए हैं, बल्कि आम लोगों के लिए पेसिव इनकम (Passive Income) का मजबूत और टिकाऊ विकल्प बनते जा रहे हैं। किसानों, गृहस्वामियों और छोटे निवेशकों के लिए यह क्षेत्र आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में एक नया रास्ता खोल रहा है।
नेट मीटरिंग के जरिए अतिरिक्त बिजली से कमाई
देश के कई हिस्सों में अब रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन के साथ नेट मीटरिंग की सुविधा उपलब्ध है। इस तकनीक के जरिए, यदि उपभोक्ता सोलर पैनल से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को स्थानीय बिजली वितरण कंपनी (DISCOM) को भेजते हैं, तो बदले में उन्हें या तो बिजली बिल में कटौती मिलती है या सीधे भुगतान। इस व्यवस्था से उपभोक्ता अपने बिजली बिल में 30% से 40% तक की बचत कर सकते हैं। Freyr Energy की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रणाली शहरी घरों और छोटे व्यवसायों के लिए विशेष रूप से लाभकारी साबित हो रही है।
खाली ज़मीन से नियमित किराया: सोलर फार्मिंग का बढ़ता चलन
यदि किसी व्यक्ति के पास खाली कृषि भूमि है, तो वह सोलर कंपनियों को यह भूमि किराए पर देकर स्थायी आय प्राप्त कर सकता है। कर्नाटक के पावगड़ा सोलर पार्क इसका उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ स्थानीय किसानों को प्रति एकड़ ₹21,000 वार्षिक किराया मिल रहा है। यह मॉडल न केवल किसानों की आय को सुनिश्चित करता है, बल्कि बंजर या अल्पउपजाऊ भूमि का व्यावसायिक उपयोग भी सुनिश्चित करता है।
रूफटॉप सोलर सिस्टम से घरेलू उपयोग और आमदनी दोनों संभव
भारत सरकार की ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ जैसी योजनाओं के अंतर्गत अब आम लोग अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगाकर न केवल मुफ्त या सस्ती बिजली का लाभ उठा रहे हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली बेचकर आय भी अर्जित कर रहे हैं। इस योजना के तहत एक किलोवाट क्षमता के सिस्टम पर ₹30,000 से ₹60,000 तक की सब्सिडी दी जाती है, जिससे निवेश की लागत काफी कम हो जाती है और 5-7 वर्षों में पूरा रिटर्न मिलना संभव होता है।
सोलर पैनल में निवेश और किराए पर देने का स्टार्टअप मॉडल
नवीन स्टार्टअप्स जैसे VEFES अब लोगों को सोलर पैनल में निवेश करने और उन्हें किराए पर देने का अवसर प्रदान कर रहे हैं। कोई भी व्यक्ति ₹30,000 से सोलर पैनल खरीदकर कंपनियों या उपयोगकर्ताओं को किराए पर दे सकता है। यह मॉडल उन लोगों के लिए आदर्श है जो स्वयं तकनीकी जानकारी या स्थान उपलब्ध नहीं करा सकते, लेकिन पेसिव इनकम चाहते हैं। Business Standard के अनुसार, इस मॉडल से जुड़े निवेशकों को नियमित मासिक रिटर्न मिल रहा है।
सोलर उपकरणों की बिक्री और एफिलिएट मार्केटिंग से भी कमाई
आज की डिजिटल दुनिया में आप सोलर लाइट्स, हीटर्स, चार्जर्स और अन्य उपकरणों की ऑनलाइन बिक्री या एफिलिएट मार्केटिंग के जरिए भी कमाई कर सकते हैं। कई सोलर कंपनियाँ, जैसे Solar Smith Energy, एफिलिएट प्रोग्राम चलाती हैं जहाँ बिक्री पर कमीशन मिलता है। यह तरीका युवाओं और डिजिटल मार्केटिंग करने वालों के लिए एक नया अवसर बन चुका है।
टैक्स लाभ और वित्तीय प्रोत्साहन से बढ़ा रिटर्न
भारत सरकार ने सोलर सेक्टर को टैक्स में कई प्रकार की छूटें देकर निवेश को आकर्षक बनाया है। Accelerated Depreciation नीति के तहत, व्यवसाय पहले ही वर्ष में 40% तक मूल्यह्रास का दावा कर सकते हैं, जिससे कर देनदारी में भारी राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त, सोलर ऊर्जा उत्पादक कंपनियों को 10 वर्षों तक आयकर से छूट प्राप्त होती है। वहीं, सोलर इंस्टॉलेशन पर केवल 5% जीएसटी लागू होता है, जिससे पूंजीगत लागत में भी कमी आती है।
निवेश पर शानदार रिटर्न और म्यूचुअल फंड्स से बेहतर प्रदर्शन
घरेलू स्तर पर, सोलर सिस्टम में किया गया निवेश 5 से 7 वर्षों में पूरी तरह से वसूल हो सकता है। वहीं, वाणिज्यिक स्तर पर यह रिटर्न और भी आकर्षक हो सकता है। Waaree Solar Panels की रिपोर्ट बताती है कि व्यवसायिक परियोजनाओं में सालाना 20% से 40% तक रिटर्न संभव है, जो म्यूचुअल फंड्स या फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे पारंपरिक विकल्पों से कहीं बेहतर है।
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रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश का सुनहरा मौका
यदि आप एक स्थायी, पर्यावरण-संवेदनशील और कम जोखिम वाला निवेश विकल्प तलाश रहे हैं, तो सोलर सेक्टर आपके लिए उत्तम विकल्प हो सकता है। सरकारी योजनाओं, सब्सिडी, टैक्स लाभ और तकनीकी नवाचारों ने इस क्षेत्र को आम निवेशकों के लिए भी सुलभ और लाभदायक बना दिया है। आज का निवेश कल की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि दोनों सुनिश्चित कर सकता है।