
भारतीय सौर ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ती आत्मनिर्भरता और सरकार की सब्सिडी योजनाओं ने पड़ोसी देश चीन की चिंताएं बढ़ा दी हैं ताजा घटनाक्रम में, चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि उसने भारत की सौर फोटोवोल्टिक (PV) सब्सिडी और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) उत्पादों पर लगाए गए शुल्कों (Tariffs) के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज कराई है।
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चीन के मुख्य आरोप
चीन ने भारत पर व्यापार नियमों के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए हैं:
- अनुचित प्रतिस्पर्धा: बीजिंग का दावा है कि भारत की सब्सिडी और शुल्क नीतियां घरेलू उद्योगों को अनुचित लाभ पहुंचाती हैं, जिससे चीनी निर्यातकों के हितों को नुकसान हो रहा है।
- WTO नियमों का उल्लंघन: चीन के अनुसार, भारत द्वारा दी जा रही सौर सब्सिडी ‘आयात प्रतिस्थापन सब्सिडी’ (Import Substitution Subsidies) की श्रेणी में आती है, जो WTO के नियमों के तहत प्रतिबंधित है।
- बाजार पहुंच: चीन ने तर्क दिया है कि ICT उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाने से विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के लिए भारतीय बाजार तक पहुंच सीमित हो गई है।
2025 में चीन की यह दूसरी कार्रवाई
यह 2025 में भारत के खिलाफ चीन द्वारा दायर की गई दूसरी बड़ी शिकायत है, इससे पहले, अक्टूबर 2025 में चीन ने भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और एडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी सब्सिडी (PLI स्कीम्स) को भी WTO में चुनौती दी थी।
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भारत का पक्ष और प्रभाव
भारत अपनी सौर क्षमताओं को बढ़ाने के लिए PM-Surya Ghar: Muft Bijli Yojana और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रहा है, भारत का मानना है कि ये नीतियां आयात पर निर्भरता कम करने और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं।
वर्तमान में यह मामला परामर्श (Consultation) के स्तर पर है। WTO नियमों के तहत, दोनों देशों के पास बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए 60 दिनों का समय है, यदि इस अवधि में कोई समाधान नहीं निकलता है, तो चीन एक विवाद पैनल (Dispute Panel) गठित करने की मांग कर सकता है।







