24V, 48V या 96V बैटरी सिस्टम – किस सोलर सेटअप के लिए क्या चुनें?

क्या आपने सोलर सिस्टम लगवाने से पहले सही बैटरी वोल्टेज चुना है? एक गलत चुनाव आपकी पूरी इन्वेस्टमेंट बर्बाद कर सकता है! जानिए 24V, 48V और 96V बैटरी सिस्टम में कौन-सा आपके घर या बिज़नेस के लिए है परफेक्ट

Photo of author

Written by Rohit Kumar

Published on

24V, 48V या 96V बैटरी सिस्टम – किस सोलर सेटअप के लिए क्या चुनें?
24V, 48V या 96V बैटरी सिस्टम – किस सोलर सेटअप के लिए क्या चुनें?

भारत में तेजी से बढ़ते सोलर एनर्जी सिस्टम और रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। इसी कड़ी में, घरों और व्यवसायों में सोलर पैनल सिस्टम की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। लेकिन जब कोई भी व्यक्ति या संस्थान सोलर सिस्टम लगवाने की योजना बनाता है, तो एक अहम सवाल सामने आता है—24V, 48V या 96V बैटरी सिस्टम में से कौन-सा विकल्प चुना जाए?

यह सवाल सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि निवेश और ऊर्जा की बचत से भी जुड़ा है। सही वोल्टेज वाला बैटरी सिस्टम न केवल लागत को कम करता है, बल्कि सिस्टम की कार्यक्षमता और सुरक्षा को भी बढ़ाता है। इस लेख में हम समझेंगे कि किस प्रकार का सोलर सेटअप किस वोल्टेज सिस्टम के लिए उपयुक्त है।

यह भी देखें: Smart Home और Solar System: दोनों को कैसे जोड़े और Energy Efficiency बढ़ाएं?

भारत में सोलर सिस्टम की बढ़ती मांग के बीच, उपयुक्त बैटरी वोल्टेज सिस्टम का चुनाव बेहद जरूरी हो गया है। 24V, 48V या 96V में से किसे चुनना है, यह आपके बिजली उपयोग, बजट और भविष्य की योजनाओं पर निर्भर करता है। एक समझदारी भरा फैसला आपके सोलर सिस्टम को अधिक कुशल, टिकाऊ और लागत-प्रभावी बना सकता है।

बैटरी वोल्टेज सिस्टम को समझना क्यों जरूरी है?

सोलर सिस्टम का मुख्य कार्य सूरज की रोशनी को बिजली में बदलना और उसे संग्रहित करना होता है। इस संग्रहण के लिए बैटरियों का उपयोग होता है, और बैटरियों की कार्यक्षमता वोल्टेज (Voltage) पर निर्भर करती है। 24V, 48V और 96V बैटरी सिस्टम मुख्यतः घरेलू, व्यवसायिक और औद्योगिक आवश्यकताओं के आधार पर चुने जाते हैं। उच्च वोल्टेज का अर्थ है कि कम करंट प्रवाहित होता है, जिससे वायरिंग में पावर लॉस कम होता है और सिस्टम अधिक कुशल बनता है।

24V बैटरी सिस्टम – छोटे घरेलू उपयोग के लिए उपयुक्त

24V बैटरी सिस्टम आमतौर पर छोटे या मध्यम स्तर के घरों में उपयोग किए जाते हैं जहाँ दैनिक बिजली की खपत 1-2 किलोवाट (kW) तक सीमित होती है। यदि कोई व्यक्ति एक बेसिक 1kW या 2kW सोलर पैनल सिस्टम लगाना चाहता है, जिसमें लाइट्स, पंखे, टेलीविजन और चार्जिंग जैसे सामान्य लोड हो, तो 24V बैटरी सिस्टम उपयुक्त रहता है।

यह भी देखें: बिना सब्सिडी सोलर सिस्टम लगाना फायदेमंद है या नुकसानदायक?

यह सेटअप कम खर्चीला होता है, और इसकी वायरिंग व इंस्टॉलेशन अपेक्षाकृत आसान होती है। हालांकि, जैसे ही लोड बढ़ता है या सिस्टम बड़ा होता है, यह विकल्प सीमित साबित होता है।

48V बैटरी सिस्टम – मध्यम से बड़े घरेलू और छोटे व्यवसायिक उपयोग के लिए आदर्श

48V बैटरी सिस्टम उन लोगों के लिए बेहतर है जिनका सोलर पैनल सिस्टम 3kW से 5kW के बीच है। यह न केवल अधिक ऊर्जा को संभाल सकता है, बल्कि इसमें पावर लॉस भी कम होता है।

इस सिस्टम में कम करंट प्रवाहित होने से वायरिंग और अन्य इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट पर दबाव भी कम पड़ता है, जिससे पूरे सिस्टम की कार्यक्षमता बढ़ती है। इसलिए 48V सिस्टम उन घरों और छोटे व्यवसायों के लिए बढ़िया है, जहाँ ऊर्जा खपत थोड़ी अधिक होती है, जैसे कि रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन, कंप्यूटर और एयर कंडीशनर।

Also ReadIREDA के शेयरों में 3 दिन से ताबड़तोड़ तेजी! 14.5% उछला भाव, बोर्ड मीटिंग में हो सकता है बड़ा ऐलान

IREDA के शेयरों में 3 दिन से ताबड़तोड़ तेजी! 14.5% उछला भाव, बोर्ड मीटिंग में हो सकता है बड़ा ऐलान

96V बैटरी सिस्टम – बड़े व्यवसायिक और औद्योगिक उपयोग के लिए उपयुक्त

जब बात बड़े सोलर सेटअप की होती है, जैसे 10kW या उससे अधिक, तो 96V बैटरी सिस्टम सबसे प्रभावी साबित होता है। यह सिस्टम विशेष रूप से उन स्थानों के लिए डिज़ाइन किया गया है जहाँ भारी लोड होता है और 24 घंटे निर्बाध बिजली की आवश्यकता होती है।

96V सिस्टम में करंट बहुत कम प्रवाहित होता है, जिससे हीट लॉस और वायरिंग कॉस्ट दोनों में भारी कटौती होती है। साथ ही, इन्वर्टर और चार्ज कंट्रोलर भी अधिक कुशलता से कार्य करते हैं, जिससे पूरे सिस्टम की स्थिरता और उम्र बढ़ती है।

यह भी देखें: क्या घर में सोलर बैकअप से माइक्रोवेव, गीजर और इंडक्शन चलाना मुमकिन है?

कौन-सा सिस्टम आपके लिए सही है?

सही बैटरी वोल्टेज चुनना आपके सोलर इन्वेस्टमेंट की रीढ़ होता है। यदि आपका दैनिक लोड 1-2kW है, तो 24V सिस्टम काफी है। यदि आपका लोड 3-5kW के बीच है और आप भविष्य में विस्तार की सोच रहे हैं, तो 48V सिस्टम पर विचार करें। वहीं, यदि आप बड़ा सोलर प्लांट लगाने जा रहे हैं या औद्योगिक लोड हैंडल करना है, तो 96V सिस्टम ही उपयुक्त रहेगा।

इसके अलावा, आपको यह भी देखना होगा कि आपके सिस्टम में कौन-कौन से उपकरण इस्तेमाल हो रहे हैं और उनकी वोल्टेज के अनुसार बैटरी और इन्वर्टर का तालमेल कैसे बैठता है।

तकनीकी और आर्थिक लाभ

हाई वोल्टेज सिस्टम (48V और 96V) में सबसे बड़ा फायदा कम करंट की आवश्यकता होती है। इससे पतली वायरिंग से काम चल सकता है और गर्मी कम उत्पन्न होती है। नतीजतन, सिस्टम की एफिशिएंसी बढ़ती है और बिजली की हानि (पावर लॉस) घटती है। साथ ही, लंबे समय में मेंटेनेंस और रिप्लेसमेंट कॉस्ट भी घटता है।

यह भी देखें: इन्वर्टर और सोलर बैटरी के बीच अंतर, और कौन-सी बैटरी कहां लगती है?

इसका अर्थ है कि शुरुआत में भले ही हाई वोल्टेज सिस्टम थोड़े महंगे लगें, लेकिन लंबे समय में ये अधिक लाभदायक साबित होते हैं।

Also ReadBluPine Energy को NaBFID से ₹1,787 करोड़ की फंडिंग! रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में होगा बड़ा विस्तार

BluPine Energy को NaBFID से ₹1,787 करोड़ की फंडिंग! रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में होगा बड़ा विस्तार

Author
Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें