
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे देश की पारंपरिक थर्मल ऊर्जा प्रणाली में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस समय 32.3 गीगावाट (GW) की थर्मल पावर क्षमता निर्माणाधीन है, जबकि 23.55 GW की क्षमता वित्तीय या तकनीकी समस्याओं के कारण संकटग्रस्त मानी जा रही है। यह संकेत करता है कि देश की ऊर्जा जरूरतें अब पारंपरिक स्रोतों की तुलना में नवीकरणीय विकल्पों के माध्यम से अधिक प्रभावी ढंग से पूरी की जा रही हैं।
थर्मल ऊर्जा परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति और संभावित ओवरकैपेसिटी की चुनौती
CREA की रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट होता है कि यदि सभी निर्माणाधीन और प्रस्तावित थर्मल ऊर्जा परियोजनाएं पूरी हो जाती हैं, तो भारत की कोयला-आधारित कुल क्षमता 271 GW तक पहुंच सकती है। यह आंकड़ा केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) द्वारा अनुमानित आवश्यकता 251 GW से कहीं अधिक है। इस स्थिति को ओवरकैपेसिटी के रूप में देखा जा रहा है, जो न केवल संसाधनों की बर्बादी का कारण बन सकती है, बल्कि नीति निर्धारण और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश की रणनीति पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करती है।
ऊर्जा नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस संभावित ओवरकैपेसिटी पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरणीय प्रभावों की दृष्टि से भी देश को नुकसान पहुंचा सकती है।
रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की रिकॉर्ड वृद्धि और भविष्य की दिशा
वित्तीय वर्ष 2024-25 भारत के लिए रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy क्षेत्र में ऐतिहासिक रहा है। इस अवधि में कुल 29.52 GW की नई नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ी गई, जिससे देश की कुल रिन्यूएबल स्थापित क्षमता 220.10 GW तक पहुंच गई है। इस उपलब्धि में सौर ऊर्जा का योगदान सबसे अधिक रहा, जिसमें अकेले 23.83 GW की वृद्धि दर्ज की गई।
भारत ने 2030 तक 500 GW रिन्यूएबल ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, और यह वृद्धि उसी दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने इस क्षेत्र में निवेश और प्रौद्योगिकी विकास को प्राथमिकता दी है, जिससे वैश्विक मंच पर भारत की ऊर्जा नेतृत्व की स्थिति और मजबूत होती जा रही है।
सौर ऊर्जा का बढ़ता प्रभाव और दिन के समय ऊर्जा संतुलन में मदद
सौर ऊर्जा उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही है। अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच सौर ऊर्जा उत्पादन 115.97 टेरावाट-घंटा (TWh) तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13.7% अधिक है।
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सौर ऊर्जा की यह उपलब्धता विशेषकर दिन के समय बिजली की मांग को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभा रही है, जिससे थर्मल ऊर्जा प्लांट्स पर निर्भरता घट रही है। इससे न केवल पर्यावरण को लाभ मिल रहा है बल्कि बिजली उत्पादन की लागत में भी कमी आ रही है।
ऊर्जा नीति में आवश्यक बदलाव और सतत विकास की दिशा
रिपोर्ट यह स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि अब समय आ गया है जब भारत की ऊर्जा नीति में मौलिक परिवर्तन किया जाए। नई थर्मल परियोजनाओं की योजना बनाते समय यह आवश्यक है कि रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की उपलब्धता, लागत दक्षता और पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखा जाए।
यदि यह नीति परिवर्तन नहीं हुआ तो देश को थर्मल ऊर्जा की ओवरकैपेसिटी और निवेश के दुरुपयोग जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। साथ ही, सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए यह भी जरूरी है कि ऊर्जा संरचना में रिन्यूएबल स्रोतों की हिस्सेदारी को लगातार बढ़ाया जाए।
गुजरात का खवड़ा: विश्व का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क
भारत की रिन्यूएबल यात्रा का एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर गुजरात के खवड़ा में बन रहा है, जहां दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क स्थापित किया जा रहा है। यह पार्क पेरिस शहर से पांच गुना बड़ा होगा और इसका उद्देश्य हजारों मेगावाट की हरित ऊर्जा का उत्पादन करना है। यह न केवल भारत के ऊर्जा परिदृश्य को बदल देगा बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में भी भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाएगा।