
हर दिन इस्तेमाल होने वाली बैटरियां हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी हैं। मोबाइल फोन, लैपटॉप, घड़ियां, रिमोट कंट्रोल, खिलौने, और यहां तक कि इलेक्ट्रिक वाहनों में भी बैटरियों का उपयोग होता है। जैसे-जैसे दुनिया Renewable Energy और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर बढ़ रही है, बैटरियों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। लेकिन जहां ये बैटरियां हमारी ज़िंदगी को आसान बना रही हैं, वहीं इनके साथ कई खतरे और पर्यावरणीय चिंताएं भी जुड़ी हुई हैं।
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बैटरियों की अहम भूमिका और बढ़ती जरूरत
आज की डिजिटल और तकनीकी दुनिया में बैटरियों की जरूरत पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ गई है। स्मार्टफोन, टैबलेट, स्मार्टवॉच से लेकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) और सोलर एनर्जी स्टोरेज तक, हर जगह बैटरियां इस्तेमाल हो रही हैं। Lithium-ion बैटरियां इस क्षेत्र में सबसे आगे हैं क्योंकि इनमें ज्यादा पावर स्टोर करने की क्षमता होती है और ये लंबे समय तक चलती हैं।
भारतीय बाजार में भी बैटरियों की खपत लगातार बढ़ रही है। रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में बैटरी बाज़ार का आकार 2025 तक ₹95,000 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। इसकी सबसे बड़ी वजह इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग और Renewable Energy सेक्टर में बैटरियों की अहम भूमिका है।
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बैटरियों के फायदे: आधुनिक जीवनशैली का समर्थन
हर दिन इस्तेमाल होने वाली बैटरियां हमारी जीवनशैली को सुविधाजनक बनाती हैं। ये पोर्टेबल डिवाइसेज़ को पावर देती हैं, हमें वायरलेस स्वतंत्रता देती हैं और कई बार आपातकालीन परिस्थितियों में बिजली की अनुपलब्धता के दौरान सहायक सिद्ध होती हैं।
बैटरियों की खास बात यह है कि ये एनर्जी को स्टोर कर उपयोग के समय उपलब्ध कराती हैं, जिससे Renewable Energy जैसे सोलर पैनल्स और विंड टर्बाइन्स की दक्षता भी बढ़ाई जा सकती है।
इसके अलावा, मेडिकल उपकरणों में बैटरियों की भूमिका जीवन रक्षक है – जैसे पेसमेकर, डिजिटल थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर मॉनिटर आदि।
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बैटरियों से जुड़े खतरे: स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव
जहां बैटरियां लाभ देती हैं, वहीं इनके कुछ गंभीर खतरे भी हैं। विशेषकर इस्तेमाल के बाद फेंकी गई बैटरियां पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक साबित हो सकती हैं।
अधिकतर बैटरियों में लेड, मरकरी, कैडमियम जैसे जहरीले रसायन होते हैं। जब इनका उचित निपटान नहीं होता, तो ये ज़मीन और पानी को प्रदूषित करते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
छोटे बच्चों द्वारा गलती से बैटरियों को निगल जाना भी एक बड़ा खतरा है। रिपोर्ट्स के अनुसार हर साल दुनियाभर में हज़ारों बच्चे ऐसी घटनाओं का शिकार होते हैं।
इसके अलावा, Lithium-ion बैटरियों के फटने या आग लगने की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं, जिससे जानमाल का नुकसान हो सकता है।
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बैटरियों का पुनर्चक्रण (Recycling) क्यों है जरूरी
बैटरियों के खतरे को कम करने के लिए सबसे प्रभावी तरीका है – उनका सही री-साइकलिंग। दुर्भाग्यवश, भारत में बैटरी री-साइकलिंग की जागरूकता और व्यवस्था अभी भी सीमित है।
री-साइकलिंग से न केवल खतरनाक रसायनों को पर्यावरण में जाने से रोका जा सकता है, बल्कि कीमती धातुओं जैसे कोबाल्ट, निकेल और लीथियम को भी दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है।
सरकार और कंपनियों को बैटरियों के संग्रहण और री-साइकलिंग की व्यवस्था को मज़बूत बनाना होगा ताकि Sustainable Development के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
बैटरियों से जुड़ा कानूनी और नीति पक्ष
भारत सरकार ने बैटरियों के प्रबंधन के लिए “बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2022” लागू किए हैं। इसके तहत बैटरी निर्माताओं, आयातकों और उपभोक्ताओं को बैटरियों के निपटान और पुनर्चक्रण को लेकर ज़िम्मेदार बनाया गया है।
इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहन नीति में भी बैटरियों की सुरक्षा, स्टोरेज और डिस्पोजल को लेकर कई प्रावधान शामिल किए गए हैं।
इन कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन से बैटरियों के दुष्प्रभावों को काफी हद तक रोका जा सकता है।
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उपभोक्ताओं की भूमिका: जागरूकता ही सुरक्षा है
हर व्यक्ति को यह समझना होगा कि बैटरियां केवल उपयोग की वस्तु नहीं हैं, बल्कि जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं हैं।
सामान्य उपभोक्ता निम्न बातों का ध्यान रखकर बैटरियों के खतरे को कम कर सकते हैं:
- इस्तेमाल की गई बैटरियों को सामान्य कचरे में न फेंकें।
- निकटतम ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर में जमा करें।
- रिसाइकल किए जाने योग्य बैटरियों का ही उपयोग करें।
- बैटरियों को ज्यादा गर्म जगहों पर न रखें और सही चार्जर का ही इस्तेमाल करें।
भविष्य की दिशा: ग्रीन बैटरियों और नवाचार की ओर
बैटरियों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए वैज्ञानिक लगातार नई टेक्नोलॉजी विकसित कर रहे हैं। Sodium-ion बैटरियां, Solid-state बैटरियां और Hydrogen Fuel Cells जैसे विकल्प भविष्य में बैटरियों के पारंपरिक रूप को बदल सकते हैं।
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इसके साथ ही कंपनियां अब बैटरियों को ज्यादा सुरक्षित, टिकाऊ और रिन्यूएबल बनाने की दिशा में काम कर रही हैं।