
भारत में Renewable Energy क्षेत्र में हाल के वर्षों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। इस उछाल का एक महत्वपूर्ण पहलू लोकल सोलर सिस्टम्स (Local Solar Systems) की बढ़ती लोकप्रियता है। पहले जहां उपभोक्ता केवल बड़े और महंगे ब्रांड्स पर भरोसा करते थे, अब वे लोकल ब्रांड्स की ओर भी मुखातिब हो रहे हैं। खासकर तब जब ये लोकल विकल्प उच्च गुणवत्ता, लंबे समय की वॉरंटी और बेहतर परफॉर्मेंस के साथ कम कीमत में उपलब्ध हो रहे हैं।
गुणवत्ता और टिकाऊपन में लोकल ब्रांड्स कितने सक्षम?
लोकल सोलर सिस्टम्स की सफलता का मुख्य आधार उनके कंपोनेंट्स की गुणवत्ता है। चाहे सोलर पैनल हों, इन्वर्टर या बैटरियां — यदि ये सभी पार्ट्स उच्च गुणवत्ता वाले हों और MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) से प्रमाणित हों, तो लोकल सिस्टम्स भी महंगे ब्रांड्स जितना ही शानदार प्रदर्शन कर सकते हैं।
Waaree Solar और Loom Solar जैसे ब्रांड्स इस बदलाव की अगुआई कर रहे हैं। ये कंपनियाँ न केवल उच्च गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट्स दे रही हैं, बल्कि 20 से 25 साल की वॉरंटी भी देती हैं, जो आमतौर पर बड़े ब्रांड्स की खासियत मानी जाती थी। मौसम की मार झेलने की क्षमता, बिजली उत्पादन में निरंतरता और दीर्घकालीन सेवा इन ब्रांड्स को उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय बना रही है।
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इंस्टॉलेशन और लोकल सेवा नेटवर्क बन रहा है गेम चेंजर
लोकल सोलर सिस्टम्स की सबसे बड़ी ताकत उनकी इंस्टॉलेशन और आफ्टर-सेल्स सर्विस है। जब उपभोक्ता लोकल इंस्टॉलर से सिस्टम लगवाते हैं, तो उन्हें कस्टमाइज्ड समाधान मिलते हैं जो उनके घर की बनावट, बिजली की खपत और क्षेत्रीय मौसम के अनुसार होते हैं।
लोकल इंस्टॉलर्स की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे नजदीक होते हैं, जिससे कोई तकनीकी समस्या आने पर तुरंत सहायता मिलती है। बड़े ब्रांड्स की तुलना में लोकल कंपनियों की सर्विस अधिक व्यक्तिगत और सुलभ होती है, जो उपभोक्ता अनुभव को बेहतर बनाती है।
कीमत के मुकाबले परफॉर्मेंस में नहीं है कोई समझौता
यदि लागत और बिजली उत्पादन की तुलना की जाए, तो लोकल सोलर सिस्टम्स बड़े ब्रांड्स को पूरी टक्कर दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, 1 kW की क्षमता वाला लोकल सोलर सिस्टम ₹65,000 से ₹75,000 के बीच मिल जाता है, जबकि बड़े ब्रांड्स में यही ₹80,000 से ₹1,00,000 तक पहुँच जाता है। लेकिन दोनों से सालाना करीब 1,200 से 1,400 यूनिट बिजली उत्पादन होता है।
इसी तरह 3 kW सिस्टम की बात करें तो लोकल विकल्प ₹1,80,000 से ₹2,50,000 में उपलब्ध है, जबकि महंगे ब्रांड्स के लिए उपभोक्ता को ₹2,50,000 से ₹3,00,000 तक खर्च करना पड़ सकता है। इसके बावजूद दोनों विकल्पों से सालाना 3,600 से 4,200 यूनिट तक बिजली प्राप्त होती है। यानी, कम कीमत पर समान आउटपुट मिलने से लोकल सिस्टम्स कहीं अधिक किफायती साबित हो रहे हैं।
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सरकारी योजनाएं और सब्सिडी बना रही हैं सोलर को और भी सुलभ
भारत सरकार ने Renewable Energy को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें सबसे उल्लेखनीय है पीएम सूर्य घर योजना (PM Surya Ghar Scheme)। इस योजना के अंतर्गत घरेलू उपभोक्ताओं को सोलर सिस्टम्स पर आकर्षक सब्सिडी दी जा रही है, जिससे उनकी कुल लागत में भारी कटौती होती है।
हालांकि, सब्सिडी का लाभ पाने के लिए MNRE से रजिस्टर्ड इंस्टॉलर और प्रमाणित ब्रांड्स का चयन करना अनिवार्य है। इससे उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सिस्टम मिलता है, जो लंबी अवधि में लाभदायक साबित होता है।
सही लोकल सोलर सिस्टम चुनते समय इन बातों का रखें ध्यान
लोकल सोलर सिस्टम लेते समय उपभोक्ताओं को कुछ जरूरी सावधानियाँ बरतनी चाहिए। सबसे पहले तो हमेशा उन्हीं ब्रांड्स और इंस्टॉलर्स को चुनें जो MNRE द्वारा मान्यता प्राप्त हों, और जो 20 साल तक की वॉरंटी और तकनीकी समर्थन देने का वादा करें।
इसके अलावा, इंस्टॉलेशन कार्य किसी प्रशिक्षित और अनुभवी टेक्नीशियन से ही कराना चाहिए ताकि सिस्टम का परफॉर्मेंस और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हो सके। अपने क्षेत्र की जलवायु, खपत का स्तर और बजट के अनुसार सिस्टम का चयन करना समझदारी भरा कदम होगा।