
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम आज के समय में भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बन चुका है। खासकर शहरी क्षेत्रों में, जहां बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है, वहां यह सिस्टम तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। हालांकि, अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम रात में कैसे काम करता है, जब सूरज की रोशनी नहीं होती। इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि यह सिस्टम कैसे कार्य करता है, इसके फायदे, सीमाएँ और क्यों बैटरी स्टोरेज एक विकल्प हो सकता है।
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम क्या है और यह दिन में कैसे काम करता है
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम वह तकनीक है जो सीधे पब्लिक यूटिलिटी ग्रिड से जुड़ा होता है। दिन के समय जब सूर्य की रोशनी होती है, तब सोलर पैनल बिजली उत्पन्न करते हैं और वह बिजली पहले आपके घर की जरूरतों को पूरा करती है। यदि इस समय बिजली की खपत कम होती है और उत्पादन अधिक, तो अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेज दी जाती है।
यह प्रक्रिया न सिर्फ आपकी बिजली खपत को सस्ता बनाती है, बल्कि नेट मीटरिंग के माध्यम से आपको आर्थिक लाभ भी पहुंचाती है। नेट मीटरिंग एक ऐसा सिस्टम है जिसमें दिन में ग्रिड को भेजी गई अतिरिक्त बिजली के लिए आपको क्रेडिट मिलते हैं, जिन्हें आप रात में उपयोग कर सकते हैं।
रात में ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम कैसे करता है काम
यह समझना जरूरी है कि ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम रात में बिजली पैदा नहीं करता, क्योंकि सोलर पैनल सूर्य की रोशनी पर निर्भर होते हैं। फिर भी, आप रात में इस सिस्टम से बिजली प्राप्त कर सकते हैं।
इसका कारण है नेट मीटरिंग। दिन में जो अतिरिक्त बिजली आप ग्रिड को देते हैं, उसके बदले में आपके खाते में यूनिट के रूप में क्रेडिट जुड़ जाते हैं। रात में जब सोलर पैनल बिजली नहीं बना रहे होते, तो आप वही क्रेडिट उपयोग कर ग्रिड से बिजली लेते हैं। इस तरह, आपका बिजली का बिल या तो बहुत कम आता है या कभी-कभी शून्य तक भी हो सकता है।
बैटरी स्टोरेज: एक वैकल्पिक समाधान
हालांकि ऑन-ग्रिड सिस्टम ग्रिड पर निर्भर होता है, लेकिन यदि आप पूरी तरह आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं, तो बैटरी स्टोरेज एक विकल्प हो सकता है। इस तकनीक में दिन में उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को बैटरियों में संग्रहित किया जाता है, जिसे आप रात में या ग्रिड फेल होने की स्थिति में इस्तेमाल कर सकते हैं।
यह विशेष रूप से उन इलाकों में फायदेमंद होता है जहां बिजली कटौती सामान्य बात है या जहां ग्रिड की विश्वसनीयता कम है। हालांकि, बैटरी स्टोरेज सिस्टम की लागत अभी भी अधिक है और इसके रखरखाव की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, बैटरियों की उम्र सीमित होती है और उन्हें समय-समय पर बदलना पड़ता है।
ग्रिड फेल होने पर क्या होता है?
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम की सबसे बड़ी सीमाओं में से एक यह है कि यदि ग्रिड फेल हो जाता है, तो सुरक्षा कारणों से यह सिस्टम स्वतः बंद हो जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि ग्रिड पर काम कर रहे तकनीशियनों को किसी प्रकार का करंट न लगे।
इस स्थिति में यदि आपके पास बैटरी स्टोरेज नहीं है, तो आपके घर में बिजली नहीं रहेगी, भले ही दिन हो और सूर्य चमक रहा हो। यह ऑन-ग्रिड सिस्टम की एक गंभीर कमी है, जिसे समझना जरूरी है, खासकर उन इलाकों के लिए जहां ग्रिड की विश्वसनीयता संदेहास्पद हो।
क्या ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम आपके लिए सही है?
यह सवाल हर उपभोक्ता के लिए व्यक्तिगत होता है और इसका उत्तर उनके बजट, बिजली की खपत, और क्षेत्र की ग्रिड विश्वसनीयता पर निर्भर करता है। यदि आप एक शहरी इलाके में रहते हैं जहां ग्रिड सिस्टम मजबूत है और आप बिजली बिल में कटौती चाहते हैं, तो ऑन-ग्रिड सिस्टम एक समझदारी भरा निवेश हो सकता है।
लेकिन यदि आप किसी ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं या लगातार बिजली कटौती का सामना करते हैं, तो बैटरी स्टोरेज के साथ हाइब्रिड सिस्टम पर विचार करना बेहतर हो सकता है।