
देश में Renewable Energy को बढ़ावा देने और आम जनता को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ (PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana) की शुरुआत की है। इस योजना के तहत अब घर की छत सिर्फ छांव देने का साधन नहीं, बल्कि एक कमाई और बचत का केंद्र बन सकती है। योजना के तहत सोलर पैनल लगाने पर न सिर्फ बिजली बिल से राहत मिलेगी, बल्कि हर महीने अतिरिक्त आमदनी का भी अवसर मिलेगा।
3 किलोवाट तक सोलर सिस्टम पर ₹78,000 की सब्सिडी
इस योजना का सबसे बड़ा आकर्षण है सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी। केंद्र सरकार 3 किलोवाट तक के सोलर पैनल इंस्टॉलेशन पर ₹78,000 तक की वित्तीय सहायता देती है। यही नहीं, दिल्ली जैसे कुछ राज्यों में राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त सब्सिडी भी दी जाती है। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली सरकार 3 किलोवाट के सोलर सिस्टम पर ₹30,000 की अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान कर रही है। इस तरह कुल सब्सिडी ₹1,08,000 तक हो सकती है।
हर महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त, बिल से राहत
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना का उद्देश्य लोगों को बिजली के बोझ से मुक्त करना है। इस योजना के अंतर्गत हर परिवार को प्रतिमाह 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है। इससे न केवल बिजली के बिल में बड़ी कटौती होती है, बल्कि गर्मी जैसे सीज़न में भी बिजली का बोझ महसूस नहीं होता।
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अतिरिक्त बिजली बेचकर कमाएं ₹3,600 से ₹4,500 महीना
इस योजना की सबसे खास बात यह है कि यह सिर्फ बचत तक सीमित नहीं, बल्कि आय का जरिया भी बन सकती है। एक 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम प्रतिदिन लगभग 20 से 25 यूनिट बिजली उत्पन्न कर सकता है। यदि उपयोग से अधिक बिजली उत्पन्न होती है, तो उसे ग्रिड को ₹6 प्रति यूनिट की दर से बेचा जा सकता है। इस तरह महीने के अंत में ₹3,600 से ₹4,500 की अतिरिक्त कमाई संभव है।
जब बिजली बिल की बचत और ग्रिड को बिजली बेचने की आय को जोड़ दिया जाए, तो कुल मिलाकर हर महीने ₹10,000 या उससे अधिक की बचत और कमाई की जा सकती है।
आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन और सरल
‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ में आवेदन की प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाया गया है। सबसे पहले आवेदक को PM Surya Ghar पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होता है। इसके बाद अपनी बिजली वितरण कंपनी का चयन करते हुए आवेदन करना होता है। आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने के बाद आवेदन की प्रक्रिया पूरी होती है।
इसके बाद सरकार द्वारा अधिकृत वेंडर से सोलर पैनल इंस्टॉल कराया जाता है। जब इंस्टॉलेशन और निरीक्षण पूरा हो जाता है, तो सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की बिचौलिये की आवश्यकता नहीं होती, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है।
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पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
सोलर पैनल न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी हैं, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक प्रभावशाली कदम है। यह प्रणाली स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) का उत्पादन करती है, जो कि पूरी तरह से नवीकरणीय होती है। इससे न तो वायु प्रदूषण होता है और न ही कार्बन उत्सर्जन। इसलिए, यह योजना एक ग्रीन फ्यूचर की दिशा में देश को अग्रसर कर रही है।
छोटे शहरों और गांवों में भी बढ़ती लोकप्रियता
जहां पहले सोलर पैनल को शहरी वर्ग की तकनीक समझा जाता था, अब यह छोटे शहरों और गांवों में भी लोकप्रिय हो रहा है। सरकार की पहल और सब्सिडी सहायता के कारण अब मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के परिवार भी इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। कई राज्यों में ग्राम पंचायतें भी सामूहिक रूप से इस योजना का लाभ उठा रही हैं।
सरकार का लक्ष्य: 1 करोड़ परिवारों तक सोलर सिस्टम पहुंचाना
सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के माध्यम से देश के 1 करोड़ घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जाएं। इससे देश को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी और आयात पर निर्भरता भी घटेगी। साथ ही, यह योजना रोजगार सृजन का भी साधन बन रही है क्योंकि इंस्टॉलेशन, मेंटेनेंस और सप्लाई चेन में हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है।
उपभोक्ताओं की जागरूकता भी जरूरी
हालांकि योजना आकर्षक है, लेकिन इसके लिए आम लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। सोलर पैनल की दीर्घकालिक उपयोगिता और बचत को देखते हुए इसे एक निवेश के रूप में भी देखा जा सकता है। सही जानकारी और मार्गदर्शन मिलने पर अधिक से अधिक लोग इससे लाभ उठा सकते हैं।