
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसी कड़ी में लोग सोलर पैनल्स को एक स्मार्ट और दीर्घकालिक निवेश के रूप में देख रहे हैं। यदि आप 9 सोलर पैनल लगाने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानना बेहद ज़रूरी है कि इनसे कितनी बिजली उत्पन्न होगी, उनकी कुल क्षमता क्या होगी, और इससे आपको क्या आर्थिक एवं पर्यावरणीय लाभ मिल सकते हैं।
9 सोलर पैनल की कुल क्षमता कितनी होगी?
किसी भी सोलर सिस्टम की कुल क्षमता उसके प्रत्येक पैनल की वॉटेज (Wattage) पर निर्भर करती है। घरेलू उपयोग के लिए सामान्यतः जो पैनल उपयोग में लिए जाते हैं, उनकी क्षमता 250W से लेकर 550W तक होती है। यदि आप 330W, 400W या 550W वाले सोलर पैनल का चुनाव करते हैं, तो 9 पैनलों से मिलने वाली कुल क्षमता इस प्रकार होगी:
330W के 9 सोलर पैनल लगाने पर कुल क्षमता होगी 2.97 किलोवॉट (kW),
400W के पैनल के साथ यह बढ़कर हो जाएगी 3.6 किलोवॉट (kW),
वहीं 550W पैनल के साथ यह 4.95 किलोवॉट (kW) तक पहुँच सकती है।
इसका मतलब है कि 9 पैनलों से आपकी कुल सोलर क्षमता 3 किलोवॉट से लेकर 5 किलोवॉट के बीच हो सकती है, जो कि घरेलू और छोटे व्यवसायिक उपयोग के लिए पर्याप्त मानी जाती है।
कितनी बिजली उत्पन्न होगी प्रतिदिन?
भारत में एक 1 किलोवॉट का सोलर सिस्टम सामान्यतः प्रतिदिन औसतन 4 से 5 यूनिट बिजली उत्पन्न करता है। हालांकि यह उत्पादन मौसम, स्थान और धूप की तीव्रता पर भी निर्भर करता है। इस मानक के आधार पर यदि आप 3 से 5 किलोवॉट के बीच का सोलर सिस्टम लगाते हैं, तो उससे मिलने वाली दैनिक बिजली उत्पादन इस प्रकार हो सकती है:
3 किलोवॉट का सिस्टम रोजाना लगभग 12 यूनिट बिजली उत्पन्न कर सकता है।
4 किलोवॉट सिस्टम से प्रतिदिन 16 यूनिट बिजली प्राप्त की जा सकती है।
5 किलोवॉट का सिस्टम रोजाना लगभग 20 यूनिट बिजली उत्पन्न करता है।
इस प्रकार 9 सोलर पैनलों से आप अपने घर या ऑफिस की दैनिक बिजली आवश्यकता का एक बड़ा हिस्सा पूरा कर सकते हैं।
सोलर पैनलों से मिलने वाले प्रमुख लाभ
9 सोलर पैनल लगाने से न सिर्फ बिजली उत्पादन होता है बल्कि इसके कई अन्य दीर्घकालिक लाभ भी होते हैं। सबसे पहला और महत्वपूर्ण लाभ है बिजली बिल में बचत। यदि आप प्रतिदिन 12 से 20 यूनिट बिजली सोलर से प्राप्त कर लेते हैं, तो आपकी ग्रिड बिजली पर निर्भरता लगभग खत्म हो जाती है, जिससे हर महीने हजारों रुपये की बचत संभव है।
दूसरा लाभ है सरकारी सब्सिडी। भारत सरकार की ‘पीएम सूर्य घर योजना’ के तहत आप सोलर पैनल इंस्टॉलेशन पर 30% से 40% तक की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। यह सब्सिडी आपकी कुल लागत को काफी हद तक घटा देती है, जिससे निवेश और भी किफायती हो जाता है।
तीसरा लाभ है पर्यावरण संरक्षण। सोलर एनर्जी एक स्वच्छ, हरित और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो कार्बन उत्सर्जन को न सिर्फ कम करता है बल्कि प्रदूषण-मुक्त भविष्य के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाता है।
इसके अलावा, सोलर पैनल की औसतन उम्र 25 साल मानी जाती है, यानी एक बार की गई निवेश से आपको 25 वर्षों तक लगभग मुफ्त बिजली मिलती रहती है।
किनके लिए उपयुक्त हैं 9 सोलर पैनल?
यदि आपका दैनिक बिजली उपभोग 12 से 20 यूनिट के बीच है, तो 9 सोलर पैनल का सेटअप आपके लिए आदर्श हो सकता है। यह खासतौर से 3 से 4 BHK के घरों, ग्रामीण क्षेत्रों, या उन स्थानों के लिए उपयुक्त है जहां बिजली की कटौती आम होती है।
इसके अलावा छोटे स्कूल, दुकानों, क्लिनिक, और कुटीर उद्योगों के लिए भी 3 से 5 किलोवॉट की सोलर कैपेसिटी पर्याप्त हो सकती है। इससे न केवल उनकी बिजली लागत घटेगी बल्कि उन्हें स्वच्छ ऊर्जा का भी लाभ मिलेगा।
लागत और सरकारी सहायता
1 किलोवॉट सोलर सिस्टम की लागत भारत में ₹60,000 से ₹1,00,000 के बीच हो सकती है। इसमें पैनल की गुणवत्ता, इन्वर्टर, बैटरी और इंस्टॉलेशन चार्ज शामिल होते हैं। यदि आप 3 से 5 किलोवॉट का सिस्टम लगाते हैं तो कुल लागत ₹2 लाख से ₹5 लाख के बीच हो सकती है।
हालांकि, भारत सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सब्सिडी के बाद यह लागत 25% से 40% तक घट सकती है, जिससे सोलर सिस्टम की एफोर्डेबिलिटी काफी बढ़ जाती है।