EU-India सोलर पार्टनरशिप में नई ताकत! NSEFI और SolarPower Europe ने मिलाया हाथ

भारत और यूरोपीय संघ के बीच हुआ बड़ा सोलर डील! NSEFI और SolarPower Europe के इस समझौते से 2030 तक भारत की सौर उत्पादन क्षमता दोगुनी होने वाली है। क्या इससे भारत बनेगा ग्लोबल सोलर मैन्युफैक्चरिंग का किंग? निवेश, रोजगार और तकनीक के नए दरवाज़े खुलने वाले हैं जानिए पूरा प्लान!

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Written by Rohit Kumar

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EU-India सोलर पार्टनरशिप में नई ताकत! NSEFI और SolarPower Europe ने मिलाया हाथ
EU-India सोलर पार्टनरशिप में नई ताकत! NSEFI और SolarPower Europe ने मिलाया हाथ

भारत और यूरोपीय संघ-European Union के बीच Renewable Energy सेक्टर, विशेषकर सौर ऊर्जा-Solar Energy के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। हाल ही में नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (NSEFI) और सोलरपावर यूरोप (SolarPower Europe) के बीच एक नया समझौता ज्ञापन (MoU) साइन किया गया है। इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य सौर विनिर्माण को मजबूत करना, वैश्विक सौर आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर बनाना और भारत तथा यूरोप के बीच व्यापार एवं निवेश के नए अवसरों को पहचानना है।

विशेषज्ञता का आदान-प्रदान बनेगा सौर आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़

यह समझौता भारत और यूरोपीय संघ के बीच तकनीकी और औद्योगिक विशेषज्ञता को एक साथ लाने का कार्य करेगा। जहां एक ओर यूरोपीय कंपनियां उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण और उन्नत तकनीकी सहायता प्रदान करती हैं, वहीं भारत तेजी से अपने घरेलू सौर विनिर्माण आधार को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह साझेदारी दोनों क्षेत्रों की क्षमताओं को समाहित कर एक ऐसी आपूर्ति श्रृंखला तैयार करेगी जो न केवल टिकाऊ होगी, बल्कि वैश्विक मानकों पर भी खरी उतरेगी।

भारत का 2030 तक विनिर्माण लक्ष्य: दोगुनी क्षमता की तैयारी

NSEFI के CEO सुब्रह्मण्यम पुलिपाका ने बताया कि भारत का लक्ष्य 2030 तक अपनी सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता को 160 गीगावॉट (GW) तक ले जाना है, जो इस समय लगभग 80 GW है। इसके अलावा, सौर सेल उत्पादन क्षमता को भी वर्तमान 15 GW से बढ़ाकर 120 GW करने की योजना है। यह वृद्धि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित होगी और देश को वैश्विक सौर विनिर्माण बाजार में एक बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित करेगी।

नीति, निवेश और नियामकीय समर्थन को मिलेगा नया प्लेटफॉर्म

इस समझौते का एक अन्य अहम पहलू नीतिगत सहयोग और निवेश बढ़ाने को लेकर है। यह दोनों पक्षों के बीच नियामकीय बाधाओं को दूर करने और सौर उपकरणों की बाजार में पहुंच को आसान बनाने के लिए संवाद स्थापित करेगा। इससे नीति निर्माताओं को तकनीकी जरूरतों और विनिर्माण इकाइयों की आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझने का मौका मिलेगा। यह पहल EU-India Clean Energy and Climate Partnership (CECP) के तहत तय किए गए साझा लक्ष्यों के अनुरूप है, जो भारत और यूरोप को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से मिलकर लड़ने की दिशा में प्रेरित करता है।

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इंटरनेशनल सोलर मैन्युफैक्चरिंग इनिशिएटिव से मिलेगा वैश्विक समर्थन

यह साझेदारी सोलरपावर यूरोप की अंतरराष्ट्रीय पहल – International Solar Manufacturing Initiative (ISMI) – का हिस्सा है। इस पहल का उद्देश्य विश्व भर में सौर विनिर्माण क्षमताओं को समृद्ध करना और यूरोपीय निर्माताओं को भारत जैसे तेजी से उभरते साझेदार देशों से जोड़ना है। इससे न केवल तकनीकी सहयोग को बल मिलेगा, बल्कि आपसी निवेश के लिए भी नई संभावनाएं बनेंगी।

आत्मनिर्भर भारत के सपने को मिलेगी नई ऊर्जा

भारत इस साझेदारी के माध्यम से अपने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे मिशनों को भी ऊर्जा क्षेत्र में साकार करता नजर आ रहा है। सौर ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक साझेदारों के साथ मिलकर काम करना भारत को न केवल एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बनाएगा, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में भी वैश्विक नेतृत्व प्रदान करेगा। इस तरह की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी भारत के Renewable Energy सेक्टर को मजबूती देने के साथ-साथ रोजगार, निवेश और तकनीकी नवाचार को भी प्रोत्साहित करेगी।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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