
भारत में Renewable Energy सेक्टर विशेषकर सोलर एनर्जी को लेकर विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) का रुझान हाल के वर्षों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। मार्च 2025 तिमाही और मई के शुरुआती दिनों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो यह स्पष्ट होता है कि भारत के सोलर स्टॉक्स अब अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन चुके हैं। देश की स्थिर आर्थिक स्थिति, सरकारी प्रोत्साहन और हरित ऊर्जा की दिशा में तेजी से बढ़ते कदमों ने FIIs को सोलर कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।
प्रमुख सोलर कंपनियों में FIIs की बढ़ती हिस्सेदारी
मार्च 2025 की तिमाही के आंकड़े दर्शाते हैं कि प्रमुख सोलर कंपनियों में FIIs ने अपनी हिस्सेदारी उल्लेखनीय रूप से बढ़ाई है। Premier Energies Ltd में FIIs की हिस्सेदारी 2.46% से बढ़कर 4.24% हो गई है, जो 72.3% की तिमाही वृद्धि को दर्शाती है। यह कंपनी वित्तीय प्रदर्शन के मामले में भी उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ी है। जहां पिछले वर्ष इसका राजस्व ₹0.53 करोड़ था, वहीं अब यह ₹147.7 करोड़ तक पहुंच गया है। इसी तरह घाटे की स्थिति से उबरते हुए कंपनी ने ₹54.21 करोड़ के घाटे से ₹41.5 करोड़ के शुद्ध लाभ की ओर प्रगति की है।
Waaree Renewables Technologies Ltd में भी FIIs की हिस्सेदारी 0.99% से बढ़कर 1.13% हो गई है। इस कंपनी का भी राजस्व ₹274.59 करोड़ से बढ़कर ₹481.44 करोड़ हो गया है और शुद्ध लाभ ₹54.21 करोड़ से बढ़कर ₹93.81 करोड़ तक पहुंच गया है, जो निवेशकों के लिए स्पष्ट सकारात्मक संकेत है।
Websol Energy Systems में भी FIIs की हिस्सेदारी 2.46% से बढ़कर 4.24% हो गई है, जो दर्शाता है कि विदेशी निवेशक छोटे और मंझले आकार की कंपनियों में भी विश्वास दिखा रहे हैं।
भारतीय शेयर बाजारों में FII निवेश की व्यापक प्रवृत्तियाँ
मई 2025 के पहले 16 दिनों में FIIs ने भारतीय शेयर बाजारों में ₹23,778 करोड़ का निवेश किया, जो अप्रैल में ₹4,243 करोड़ के निवेश के मुकाबले उल्लेखनीय वृद्धि है। यह बदलाव भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति, भू-राजनीतिक तनावों में कमी और नीति स्थिरता के चलते आया है। यह प्रवृत्ति विशेषकर सोलर और Renewable Energy कंपनियों में ज्यादा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
ReNew Energy Global द्वारा आंध्र प्रदेश में ₹22,000 करोड़ के सोलर-विंड-बैटरी हाइब्रिड प्रोजेक्ट की घोषणा भी FIIs के लिए आकर्षण का एक बड़ा कारण बनी है। यह निवेश भारत की हरित ऊर्जा नीति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सरकार की योजनाएं और नीतिगत समर्थन
FIIs के बढ़ते निवेश के पीछे भारत सरकार की स्पष्ट Renewable Energy नीति एक बड़ा कारण है। भारत सरकार ने 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें सोलर एनर्जी की हिस्सेदारी सर्वाधिक है। इस महत्वाकांक्षी योजना से यह संदेश जाता है कि भारत दीर्घकालिक ऊर्जा जरूरतों के लिए स्वच्छ और सतत विकल्पों को प्राथमिकता दे रहा है।
इसके अलावा, सोलर सेक्टर में 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की अनुमति ने विदेशी निवेशकों को सहज प्रवेश का मार्ग प्रदान किया है। यह नीति पारदर्शिता, स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देती है, जो किसी भी निवेशक के लिए प्राथमिक आवश्यकताएं होती हैं।
मजबूत वित्तीय प्रदर्शन बना विश्वास का आधार
कई प्रमुख सोलर कंपनियों ने हाल के समय में अपने वित्तीय परिणामों में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। Premier Energies, Waaree Renewables और Websol Energy जैसी कंपनियों का राजस्व और मुनाफा दोनों ही बढ़ा है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। इसके साथ-साथ भारत में सोलर उपकरणों की मांग, सरकार द्वारा PLI स्कीम्स और आयात शुल्क में राहत जैसी योजनाएं भी निवेश के माहौल को सकारात्मक बनाती हैं।
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चुनौतियाँ और संभावित जोखिम
हालांकि, इस क्षेत्र में निवेश के अवसर बहुत हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। बिजली खरीद समझौतों (PPAs) में बदलाव और राज्य सरकारों की बदलती नीतियाँ विनियामक अनिश्चितता को जन्म देती हैं। इससे दीर्घकालिक निवेश निर्णय प्रभावित हो सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, रुपये की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव FIIs के लिए मुद्रा जोखिम उत्पन्न करता है। भूमि अधिग्रहण, ग्रिड कनेक्टिविटी की जटिलताएँ और परियोजना क्रियान्वयन में देरी भी निवेशकों के लिए चिंता का विषय हैं। इन सभी कारकों को FIIs निवेश से पहले ध्यान में रखते हैं।
भारत के सोलर स्टॉक्स में निवेश की दिशा
इन सभी पहलुओं को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत का सोलर सेक्टर FIIs के लिए एक रणनीतिक निवेश अवसर बन गया है। देश की नीति स्पष्टता, आर्थिक स्थिरता और हरित ऊर्जा की दिशा में उठाए जा रहे कदम इस क्षेत्र को आकर्षक बनाते हैं। हालांकि, इस निवेश यात्रा में सतर्कता और दीर्घकालिक दृष्टिकोण आवश्यक है ताकि संभावित जोखिमों से निपटा जा सके और अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।