
Suzlon Energy Share को लेकर विदेशी निवेशकों यानी FIIs की गतिविधियां एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पिछले एक साल से FIIs यानी Foreign Institutional Investors लगातार इस शेयर में हिस्सेदारी बढ़ा रहे थे, लेकिन दिसंबर 2024 के आंकड़ों में पहली बार हिस्सेदारी में गिरावट देखने को मिली है। यह गिरावट एक साल बाद आई है, जिससे निवेशक सोच में पड़ गए हैं कि क्या यह लंबे समय के निवेश के लिए संकेत है या केवल एक अस्थायी कदम।
FIIs ने घटाई हिस्सेदारी, DIIs की पकड़ मजबूत
एक्सचेंज पर जारी किए गए शेयरहोल्डिंग पैटर्न के अनुसार, दिसंबर 2023 में FIIs की हिस्सेदारी 17.83% थी, जो मार्च 2024 में बढ़कर 19.57%, जून में 21.53%, और सितंबर में 23.72% हो गई थी। लेकिन ताजा डेटा बताते हैं कि दिसंबर 2024 में यह घटकर 22.88% पर आ गई है।
इसके विपरीत, Domestic Institutional Investors यानी DIIs ने अपनी हिस्सेदारी में धीरे-धीरे इजाफा किया है। दिसंबर 2023 में DIIs की हिस्सेदारी 6.15% थी, जो मार्च 2024 में 6.3%, जून में 9.17%, और सितंबर में हल्की गिरावट के बाद दिसंबर 2024 में 9.31% पर पहुंच गई है। इससे स्पष्ट है कि घरेलू निवेशकों का इस शेयर में भरोसा लगातार बना हुआ है।
शेयर प्राइस का हाल: गिरावट के बावजूद लॉन्ग टर्म रिटर्न दमदार
Suzlon Energy Share की कीमतों में हाल ही में गिरावट देखने को मिली है। पिछले एक हफ्ते में शेयर करीब 9% टूटा है। तीन महीनों में 10% की गिरावट और जनवरी 2025 से 11 अप्रैल 2025 तक कुल 16% का नुकसान हुआ है। हालांकि अगर एक साल की बात करें तो अप्रैल 2024 से अप्रैल 2025 के बीच इसने 29% का दमदार रिटर्न दिया है। और अगर तीन साल की अवधि पर नजर डालें तो रिटर्न 300% से भी ज्यादा का रहा है।
ब्रोकरेज का नजरिया: खरीदारी का मौका या सतर्कता?
मार्च 2025 के अंत में आई Motilal Oswal की रिपोर्ट के मुताबिक, Suzlon Energy Share में निवेश की सलाह दी गई है और 70 रुपये का टारगेट प्राइस बताया गया है। यह रिपोर्ट उन निवेशकों के लिए राहत की खबर हो सकती है जो मौजूदा गिरावट से डरे हुए हैं। हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह भी है कि यह रिपोर्ट पिछले महीने की है, इसलिए मौजूदा मार्केट सेंटिमेंट में थोड़ा बदलाव हो सकता है।
बिजनेस मॉडल: Suzlon की मजबूती का कारण
Suzlon Energy भारत और वैश्विक स्तर पर रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy सेक्टर की प्रमुख कंपनियों में शामिल है। भारत में कंपनी का इंस्टॉल्ड बेस 15GW है, जो देश की कुल विंड एनर्जी का 31% है। वैश्विक स्तर पर इसकी इंस्टॉल्ड क्षमता 20.9GW है।
कंपनी का बिजनेस मॉडल वर्टिकली इंटीग्रेटेड है यानी रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) से लेकर मैन्युफैक्चरिंग, सेल्स, प्रोजेक्ट एग्जीक्यूशन और ऑपरेशंस एंड मेंटेनेंस (O&M) तक सारे काम कंपनी खुद करती है। इसके अलावा Suzlon फाउंड्री और फोर्जिंग सेक्टर में भी सक्रिय है जिससे इसके रेवेन्यू सोर्स डाइवर्सिफाई हो गए हैं।
इंडस्ट्री आउटलुक: अपार संभावनाएं और सरकारी समर्थन
भारत में अभी भी विंड एनर्जी पेनिट्रेशन काफी कम है। जहां भारत में यह आंकड़ा सिर्फ 10.4% है, वहीं UK में यह 30% तक पहुंच चुका है। भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 100GW की विंड एनर्जी क्षमता विकसित की जाए।
इसके लिए कई नीतियों का सहारा लिया जा रहा है जैसे कि ISTS चार्ज माफी, VGF स्कीम, ग्रीन ओपन एक्सेस और Renewable Purchase Obligation (RPO)। इन सभी उपायों से Suzlon जैसी कंपनियों को सीधा लाभ मिल रहा है।
ग्रोथ आउटलुक: रिकॉर्ड ऑर्डर बुक और तगड़ा CAGR
Suzlon की ऑर्डर बुक फरवरी 2025 तक रिकॉर्ड 5.7GW तक पहुंच चुकी है। कंपनी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024 से 2027 तक रेवेन्यू, EBITDA और PAT में क्रमशः 51%, 52% और 63% की CAGR दर से ग्रोथ होगी। इसके अलावा EBITDA मार्जिन 14-16% के बीच रहने की संभावना है। Tax Shield के चलते कंपनी को FY27 तक किसी बड़े टैक्स भुगतान का सामना नहीं करना पड़ेगा।
फाइनेंशियल्स और अधिग्रहण से मजबूत स्थिति
कंपनी ने FY22 में Net Debt to EBITDA रेश्यो को 6.6x से घटाकर FY24 में नेट कैश पोजीशन तक पहुंचा दिया है। Suzlon Global Services (SGSL) के साथ मर्जर और Renom Energy Services (जिसमें 76% स्टेक है) का अधिग्रहण कंपनी की O&M क्षमताओं को मल्टी-ब्रांड स्तर पर मजबूत बनाता है।
रिस्क फैक्टर: प्रतिस्पर्धा और पॉलिसी चैलेंज
जहां एक ओर ग्रोथ की संभावनाएं हैं, वहीं दूसरी ओर चुनौतियां भी हैं। चीनी और यूरोपीय कंपनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा, कीमतों में दबाव, मार्जिन में गिरावट और सरकारी नीतियों में बदलाव जैसे ISTS माफी का खत्म होना कंपनी के लिए जोखिम भरे पहलू हैं। इसके अलावा तकनीकी बदलावों से प्रोडक्ट्स की लागत में बढ़ोतरी भी निवेशकों को चिंतित कर सकती है।
वैल्यूएशन और आगे की रणनीति
Suzlon का Target P/E multiple 34x (FY26E EPS) पर आधारित है और कंपनी का PEG रेश्यो 0.6x है, जो इसे बाकी घरेलू कैपिटल गुड्स कंपनियों की तुलना में सस्ता बनाता है। इसका मतलब यह है कि निवेशकों को लंबी अवधि में यह शेयर बेहतर रिटर्न दे सकता है, बशर्ते कि इंडस्ट्री और पॉलिसी रिस्क मैनेज हो सकें।