
GAIL (India) Limited ने कर्नाटक में 1 गीगावाट (1GW) की रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy परियोजना शुरू करने की योजना बनाई है, जो देश की ग्रीन एनर्जी नीति को नई ऊंचाई देने वाला एक बड़ा निवेश मील का पत्थर साबित हो सकता है। बता दें सरकारी स्वामित्व वाली गैस उपयोगिता कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड द्वारा 10 मई को इस महत्वाकांक्षी परियोजना को कर्नाटक सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत विकसित किया जाएगा।
एमओयू के तहत कर्नाटक सर्कार की मौजूदा नीतियों/ नियमों और विनियमों के अनुसार राज्य के सम्बंधित विभागों से जरुरी अनुमति, रजिस्ट्रेशन या अप्प्रोवल प्राप्त करने के मदद करेगी। GAIL का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में इस परियोजना को पूर्ण रूप से स्थापित कर देना है।
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GAIL (इंडिया) लिमिटेड क्या है?
GAIL (इंडिया) लिमिटेड, जिसे पहले गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के नाम से जाना जाता था, भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीन एक महारत्न सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम है। इसकी स्थापना अगस्त 1984 में हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य देश में प्राकृतिक गैस अवसंरचना का विकास करना था। कंपनी का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
तकनीक और निवेश का खाका
इस प्रोजेक्ट के तहत कंपनी सौर ऊर्जा (Solar Energy), पवन ऊर्जा (Wind Energy), फ्लोटिंग सोलर, रूफटॉप सोलर और स्टोरेज सिस्टम जैसी रिन्यूएबल टेक्नोलॉजी का समावेश करेगी। कंपनी इस परियोजना में ₹5,000 करोड़ का निवेश करेगी और इसके लिए ज़मीन का अधिग्रहण किसानों से पट्टे पर या कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड (KIADB) के माध्यम से किया जाएगा। इससे राज्य में न केवल स्वच्छ ऊर्जा की क्षमता बढ़ेगी बल्कि रोजगार के अवसर और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को भी बल मिलेगा।
सरकारी समर्थन और मंत्रीगण की प्रतिक्रियाएं
GAIL की इस पहल को राज्य सरकार का भी पूरा समर्थन प्राप्त है। कर्नाटक के बड़े और मध्यम उद्योग मंत्री एम. बी. पाटिल ने इस समझौते को राज्य को क्लीन एनर्जी हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। वहीं ऊर्जा मंत्री के. जे. जॉर्ज ने कहा कि इससे राज्य में हरित ऊर्जा की स्थिति और अधिक मजबूत होगी और यह पर्यावरणीय संतुलन में बड़ी भूमिका निभाएगा।
नेट-ज़ीरो लक्ष्य की दिशा में एक कदम
GAIL ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह परियोजना उसकी लॉन्ग टर्म नेट-जीरो कार्बन एमिशन (Net Zero Carbon Emission) लक्ष्य की दिशा में बड़ा कदम है। कंपनी 2035 तक पूरी तरह कार्बन न्यूट्रल बनने की दिशा में काम कर रही है। इस प्रोजेक्ट के लिए कंपनी कर्नाटक के सोलर पार्कों में उपयुक्त ज़मीन की तलाश कर रही है ताकि निर्माण तेज़ी से शुरू किया जा सके।
हरित भविष्य की रखी जाएगी नींव
GAIL और कर्नाटक सरकार के बीच हुई यह साझेदारी केवल एक औद्योगिक समझौता नहीं, बल्कि राज्य के हरित भविष्य की नींव रखने वाली रणनीतिक पहल है। जैसे ही यह 1GW रिन्यूएबल एनर्जी परियोजना आकार लेती है, इसके दूरगामी लाभ राज्य की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और लोगों की जीवनशैली पर गहरा असर डालेंगे।
- रोज़गार के नए अवसर: इस परियोजना के चलते राज्य में हज़ारों नए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होंगे। निर्माण, संचालन, रख-रखाव और प्रशासनिक कार्यों के लिए स्किल्ड और अनस्किल्ड मैनपावर की आवश्यकता होगी, जिससे युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा।
- स्थानीय उद्योगों को ऊर्जा सुरक्षा: GAIL द्वारा प्रस्तावित सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएं स्थानीय उद्योगों को सस्ती, स्थायी और लगातार मिलने वाली ऊर्जा उपलब्ध कराएंगी। इससे उत्पादन लागत घटेगी और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
- ग्राम्य विकास और भूमि उपयोग में सुधार: किसानों से पट्टे पर ली गई भूमि का उपयोग उन्हें अतिरिक्त आमदनी देगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। साथ ही, सोलर पार्क्स और पवन फार्म जैसी परियोजनाओं से स्थानीय विकास तेज़ होगा।
- क्लाइमेट चेंज से लड़ने में मदद: 1GW रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन के जरिए राज्य हर साल लाखों टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से बच सकेगा। यह वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में योगदान के साथ-साथ स्थानीय वायु गुणवत्ता में भी सुधार लाएगा।
ऊर्जा क्षेत्र के लिए प्रेरणादायक पहल
इस परियोजना से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि GAIL का यह निवेश सिर्फ एक कॉरपोरेट इनिशिएटिव नहीं, बल्कि भारत के क्लाइमेट गोल्स को सपोर्ट करने वाला एक मजबूत उदाहरण है। यह पहल यह दर्शाती है कि भारत अब केवल जीवाश्म ईंधनों पर आधारित नहीं रहना चाहता, बल्कि हरित ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर है।