भारत के 2030 के अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों से इन 3 ग्रीन एनर्जी कंपनियों को होगा लाभ, क्या इनमे निवेश करने पर मिल सकता है मुनाफा?

"जानें कौन सी प्रमुख ग्रीन एनर्जी कंपनियां भारत के अक्षय ऊर्जा लक्ष्य को साकार करने में निभा रही हैं अहम भूमिका, और कैसे ये निवेशकों के लिए बड़े अवसर पैदा कर सकती हैं!"

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भारत के 2030 के अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों से इन 3 ग्रीन एनर्जी कंपनियों को होगा लाभ, क्या इनमे निवेश करने पर मिल सकता है मुनाफा?

हमारे देश ने 2030 तक 500 GW अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है, जो वर्तमान में 200 GW से ज्यादा है। इस दिशा में तेजी से काम करते हुए, भारत का अक्षय ऊर्जा क्षेत्र न केवल विकास के नए अवसरों को सृजित कर रहा है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में अपनी पहचान भी बना रहा है। ग्रीन हाइड्रोजन और संधारणीय ऊर्जा समाधानों की बढ़ती मांग, साथ ही G20 अक्षय ऊर्जा उद्देश्यों के तहत भारत को वैश्विक स्तर पर अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने का अवसर प्राप्त हो रहा है।

भारत में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बेशुमार निवेश और विकास की संभावना है, और इस बदलाव से सबसे ज्यादा लाभ उन कंपनियों को मिलेगा जो सौर, पवन, और अन्य अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में अग्रणी हैं। आइए, जानते हैं उन कंपनियों के बारे में जो 2030 तक के लक्ष्यों में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

1. एनएचपीसी (नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन)

एनएचपीसी की स्थापना 1975 में हुई थी, और इसका मुख्यालय फरीदाबाद में स्थित है। यह कंपनी जलविद्युत, सौर, और पवन ऊर्जा परियोजनाओं पर काम करती है। कंपनी का लक्ष्य भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अपनी पैठ को और मजबूत बनाना है। एनएचपीसी ने महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर 7,350 MW की नई ग्रीन एनर्जी परियोजना की घोषणा की है।

कंपनी का वर्तमान बाजार पूंजीकरण ₹83,424 करोड़ है, और इसके शेयर की कीमत ₹83.04 है। Q2FY24 में कंपनी का राजस्व ₹2,931 करोड़ था, जो Q2FY25 में बढ़कर ₹3,052 करोड़ हो गया। इसके परिणामस्वरूप, कंपनी का लाभ ₹1,693 करोड़ से ₹1,069 करोड़ तक बढ़ा है। एनएचपीसी की विविधीकरण रणनीति और मजबूत परामर्श सेवाएं निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं, जिससे यह भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

2. वारी एनर्जीज – सौर पीवी मॉड्यूल निर्माता

वारी एनर्जीज भारत की सबसे बड़ी सौर पीवी (फोटovoltaिक) मॉड्यूल निर्माता कंपनी है। इस कंपनी की उत्पादन क्षमता 12 GW है, जो इसे सौर ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाती है। वारी एनर्जीज विनिर्माण, EPC सेवाओं, और अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास में माहिर है। इसकी सफलता का मुख्य कारण न केवल घरेलू, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी इसकी पैठ है।

कंपनी का बाजार पूंजीकरण ₹75,410 करोड़ है, और इसके शेयर की कीमत ₹2,626 है। Q2FY24 में इसका राजस्व ₹3,537 करोड़ था, जबकि Q2FY25 में यह बढ़कर ₹3,574 करोड़ हो गया। लाभ में भी वृद्धि हुई है, जो ₹320 करोड़ से बढ़कर ₹376 करोड़ हो गया है। वारी एनर्जीज का दीर्घकालिक दृष्टिकोण और नवाचारों के प्रति प्रतिबद्धता इसे भारत के सौर ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रमुख ताकत बना रही है।

3. सुजलॉन एनर्जी – पवन ऊर्जा का अग्रणी

सुजलॉन एनर्जी, पवन टरबाइन विनिर्माण और पवन फार्म विकास के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता है। इस कंपनी का उद्देश्य पवन ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करना है। सुजलॉन की बाजार में मजबूत स्थिति और प्रौद्योगिकियों में निरंतर सुधार इसे वैश्विक अक्षय ऊर्जा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाता है।

कंपनी का बाजार पूंजीकरण ₹86,878 करोड़ है और इसके शेयर का वर्तमान मूल्य ₹63.68 है। Q2FY24 में कंपनी का राजस्व ₹1,421 करोड़ था, जो Q2FY25 में बढ़कर ₹2,103 करोड़ हो गया, जो 48% की वृद्धि को दर्शाता है। कंपनी का लाभ भी ₹102 करोड़ से बढ़कर ₹201 करोड़ हो गया है। सुजलॉन पवन ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, और इसके व्यावसायिक संचालन में तकनीकी नवाचार इसे निवेशकों के बीच आकर्षक बनाते हैं।

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(FAQs)

1. भारत के 2030 तक 500 GW अक्षय ऊर्जा लक्ष्य का क्या महत्व है?

भारत का 2030 तक 500 GW अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य न केवल ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा के लिए वैश्विक प्रयासों को भी प्रोत्साहित करता है। यह लक्ष्य वैश्विक तापमान वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है।

2. कौन सी कंपनियां भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी हैं?

एनएचपीसी, वारी एनर्जीज और सुजलॉन एनर्जी जैसी कंपनियां भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी हैं, जो सौर, पवन और जलविद्युत ऊर्जा परियोजनाओं में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं।

3. अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने के क्या लाभ हो सकते हैं?

अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने से न केवल स्थिर लाभ मिल सकता है, बल्कि पर्यावरणीय योगदान भी होता है। इस क्षेत्र में बढ़ते निवेश और सरकारी प्रोत्साहन के चलते दीर्घकालिक लाभ की संभावना भी बढ़ जाती है।

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