गुजरात DISCOM को KUSUM स्कीम के तहत 76 MW सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए टैरिफ मंजूरी

गुजरात DISCOM को KUSUM स्कीम के तहत 76 मेगावॉट के सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए टैरिफ की मिली हरी झंडी। जानिए कैसे इस फैसले से किसानों और आम जनता को सस्ती और स्थायी बिजली मिलेगी। क्या अब रिन्यूएबल एनर्जी से बदलेगा पूरे राज्य का पावर गेम? पूरी जानकारी आगे पढ़ें!

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Written by Rohit Kumar

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गुजरात DISCOM को KUSUM स्कीम के तहत 76 MW सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए टैरिफ मंजूरी
गुजरात DISCOM को KUSUM स्कीम के तहत 76 MW सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए टैरिफ मंजूरी

प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) योजना के अंतर्गत गुजरात विद्युत नियामक आयोग (GERC) ने मध्य गुजरात विज कंपनी लिमिटेड (MGVCL) की 76 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए ₹2.15 से ₹3 प्रति किलोवाट-घंटा की दर से टैरिफ को स्वीकृति दे दी है। यह कदम राज्य में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के विस्तार और किसानों को किफायती स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है।

प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया से तय हुई टैरिफ की दरें

MGVCL ने इन सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए टैरिफ की खोज एक प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के माध्यम से की थी। इस प्रक्रिया के अंतर्गत विभिन्न कंपनियों ने अपने-अपने टैरिफ प्रस्ताव प्रस्तुत किए, जिसमें सबसे कम दर ₹2.15 प्रति किलोवाट-घंटा की रही, जिसे PNV एनर्जी ने पेश किया था। अन्य कंपनियों द्वारा दी गई दरें अधिकतम ₹3 प्रति किलोवाट-घंटा तक रहीं। यह दरें मौजूदा बाजार स्थितियों और तकनीकी लागतों के अनुसार काफी प्रतिस्पर्धात्मक मानी जा रही हैं।

GERC का आदेश: सार्वजनिक रूप से साझा की जाए जानकारी

GERC ने टैरिफ को स्वीकृति देते हुए MGVCL को निर्देश जारी किया है कि वह सभी सफल बोलीदाताओं के नाम और उनके द्वारा प्रस्तुत टैरिफ दरों को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर 30 दिनों के लिए सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करे। आयोग का मानना है कि इस प्रकार की पारदर्शिता से ऊर्जा क्षेत्र में विश्वास और प्रतिस्पर्धा दोनों को बढ़ावा मिलेगा।

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में गुजरात की रणनीति को मिलेगा बल

GERC द्वारा लिया गया यह निर्णय गुजरात सरकार की उस व्यापक नीति के अंतर्गत आता है, जिसके तहत राज्य को ग्रीन एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी का हब बनाने का लक्ष्य रखा गया है। PM-KUSUM योजना किसानों को न सिर्फ ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करती है, बल्कि उन्हें अपनी अतिरिक्त ऊर्जा को ग्रिड में बेचकर अतिरिक्त आय का अवसर भी देती है।

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किसानों को मिलेगा स्वच्छ और सस्ता ऊर्जा विकल्प

PM-KUSUM योजना का एक प्रमुख उद्देश्य यह भी है कि देश के किसान पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर रहने के बजाय सौर ऊर्जा जैसे विकल्पों की ओर आकर्षित हों। ₹2.15 प्रति किलोवाट-घंटा की न्यूनतम दर यह दर्शाती है कि अब किसानों के लिए यह विकल्प न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से बेहतर है, बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित हो सकता है।

नीतिगत पारदर्शिता से बढ़ेगा निजी निवेश

GERC का यह कदम नीति निर्धारण की पारदर्शिता को भी दर्शाता है। जब टैरिफ निर्धारण जैसे मामलों में खुली बोली प्रक्रिया अपनाई जाती है और परिणाम सार्वजनिक रूप से साझा किए जाते हैं, तो इससे निजी निवेशकों और डेवलपर्स को भी प्रोत्साहन मिलता है। वे जानते हैं कि प्रक्रिया निष्पक्ष है और उन्हें भी प्रतिस्पर्धा में भाग लेने का समान अवसर मिलेगा।

ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम

भारत सरकार की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की रणनीति में PM-KUSUM योजना एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। गुजरात जैसे राज्य, जो पहले से ही रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में अग्रणी हैं, इन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों के लिए उदाहरण पेश कर रहे हैं। 76 मेगावाट की इन परियोजनाओं से हजारों किसानों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ मिलने की संभावना है।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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