
GUVNL के Phase IX सोलर प्रोजेक्ट्स में भूमि आवंटन संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे Renewable Energy सेक्टर में समय पर परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर असर पड़ रहा है। 3 अप्रैल 2025 को Gujarat Electricity Regulatory Commission (GERC) ने Gujarat Urja Vikas Nigam Limited (GUVNL) की याचिका और उससे संबंधित इंटरलॉक्यूटरी एप्लिकेशंस पर सुनवाई की। यह मामला उन सोलर प्रोजेक्ट्स से जुड़ा है जो GUVNL की Phase IX बिडिंग के तहत आवंटित किए गए थे, जिनमें TEQ Green Power Pvt. Ltd., Vena Energy Renewables Urja Pvt. Ltd., Tata Power Company Ltd. समेत अन्य कंपनियां शामिल हैं।
GUVNL ने याचिका में किया संशोधन का अनुरोध
GUVNL ने अपनी मूल याचिका में संशोधन के लिए 10 अक्टूबर 2024 को आवेदन किया, जिसमें दो अतिरिक्त कंपनियों—SJVN Ltd. और ReNew Solar Power Pvt. Ltd.—को प्रतिवादी के रूप में शामिल करने की मांग की गई थी। आयोग ने निर्देश दिया कि संशोधन आवेदन की कॉपी सभी प्रतिवादियों को भेजी जाए और इसकी पुष्टि एक हलफनामे के जरिए दी जाए। साथ ही, सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया।
भूमि आवंटन और सीमांकन में देरी बनी मुख्य समस्या
सुनवाई के दौरान एक बड़ी समस्या के रूप में Gujarat Power Corporation Ltd. (GPCL) द्वारा भूमि सीमांकन और आवंटन में हो रही देरी सामने आई, जिससे Renewable Energy प्रोजेक्ट्स के समय पर पूरा होने में बाधा आ रही है। TEQ Green Power Pvt. Ltd., जो इस केस में एक प्रतिवादी है, ने आयोग को बताया कि उन्होंने 20 मार्च 2024 को Power Purchase Agreement (PPA) पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन अभी तक उन्हें Special Economic Zone (SEZ) में प्रोजेक्ट के लिए जमीन आवंटित नहीं की गई है।
TEQ ने यह भी बताया कि उन्होंने पहले ही ठेके और प्रारंभिक कार्यों में भारी निवेश कर दिया है और GPCL को भूमि आवंटन शीघ्रता से पूरा करने और आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया।
Veena Energy और Tata Power ने भी जताई चिंता
पहले यह संकेत देने के बावजूद कि भूमि संबंधी समस्याएं सुलझ चुकी हैं, हालिया सुनवाई में Veena Energy और Tata Power ने अपने रुख में बदलाव किया और नई चिंताओं को सामने रखा। उनके वकीलों ने बताया कि GPCL ने भूमि सीमांकन की शर्तों में बदलाव किया है और प्रति मेगावाट विकास शुल्क को ₹13.98 लाख से अधिक कर दिया है, जिससे भ्रम और देरी हो रही है।
आयोग ने सवाल उठाया कि इन कंपनियों ने पहले यह क्यों कहा था कि समस्याएं सुलझ चुकी हैं, जबकि GPCL की ओर से कोई औपचारिक संचार या दस्तावेजी प्रमाण नहीं दिया गया था।
GPCL की सफाई और आयोग के निर्देश
GPCL ने जवाब दाखिल कर स्पष्ट किया कि भूमि आवंटन और सीमांकन की वर्तमान स्थिति क्या है। आयोग ने सभी अन्य प्रतिवादियों को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने और GUVNL को उनके जवाबों के आधार पर एक सप्ताह में पुनः उत्तर (rejoinder) देने का निर्देश दिया।
साथ ही आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि GPCL की यह जिम्मेदारी है कि समय पर भूमि आवंटित की जाए ताकि प्रोजेक्ट्स में देरी न हो और डिवेलपर्स को किसी प्रकार की पेनल्टी का सामना न करना पड़े। भूमि आवंटन शुल्क में अचानक बदलाव और सीमांकन दस्तावेजों की अनुपस्थिति से प्रोजेक्ट शेड्यूल और डेवलपर्स के बीच तालमेल पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
सुनवाई की अगली तिथि जल्द होगी घोषित
आयोग ने भूमि आवंटन में हो रही देरी को गंभीरता से लिया और मामले की आगामी सुनवाई की तिथि बाद में घोषित करने की बात कही। सभी पक्षों को निर्देश दिया गया कि वे निर्धारित समय सीमा में दस्तावेज और उत्तरों का आदान-प्रदान पूरा करें ताकि मामले में और कोई देरी न हो।