सोलर पैनल (Solar Panel) आज के दौर में ऊर्जा उत्पादन का एक प्रमुख साधन बन गए हैं, खासकर जब बात रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) की होती है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आपके सोलर पैनल अचानक काम करना बंद कर देते हैं या उनकी बिजली उत्पादन क्षमता में गिरावट आ जाती है। यह स्थिति न केवल घरेलू उपयोगकर्ताओं के लिए चिंता का विषय बन सकती है, बल्कि व्यवसायिक सोलर सिस्टम लगाने वाले उपभोक्ताओं को भी बड़ा नुकसान हो सकता है।

इस रिपोर्ट में हम विस्तार से उन मुख्य कारणों की चर्चा कर रहे हैं, जिनसे सोलर पैनल काम करना बंद कर सकते हैं या उनकी कार्यक्षमता कम हो सकती है। साथ ही, हम उनके प्रभावी समाधान भी बता रहे हैं ताकि आप जल्द से जल्द अपने सोलर सिस्टम को दोबारा चालू कर सकें।
धूल, गंदगी और पक्षियों की बीट से पैनल की सतह ढकी हो सकती है
सोलर पैनलों की सतह पर जमी धूल, पत्तियां या पक्षियों की बीट ऊर्जा उत्पादन में सबसे आम और बड़ा अवरोध बनती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि पैनल की सतह पर धूल या अन्य मलबा जमा हो जाए तो यह उसकी दक्षता को 30% तक घटा सकता है। खासतौर पर भारत जैसे देशों में जहां वायुमंडल में धूलकण अधिक होते हैं, वहां यह एक आम समस्या है।
इसका समाधान बेहद सरल है – सोलर पैनलों की नियमित सफाई। साफ-सफाई के लिए हल्के साबुन और पानी के साथ नरम स्पंज का प्रयोग करें। ध्यान रखें कि तेज धूप वाले समय में सफाई न करें क्योंकि इससे पैनल को थर्मल शॉक लग सकता है और वह टूट भी सकते हैं।
इन्वर्टर खराब हो गया है तो बिजली नहीं बनेगी
सोलर सिस्टम में इन्वर्टर (Inverter) वह यंत्र होता है जो डीसी (DC) बिजली को एसी (AC) में बदलता है, ताकि उसे घरेलू उपकरणों में इस्तेमाल किया जा सके। यदि इन्वर्टर काम नहीं कर रहा, तो चाहे पैनल कितनी भी बिजली बना रहे हों, वह आपके काम नहीं आ सकती।
इसका समाधान यह है कि आप सबसे पहले इन्वर्टर के डिस्प्ले या इंडिकेटर लाइट्स की जांच करें। यदि इन्वर्टर बंद है, तो उसे रिस्टार्ट करें और कनेक्शन की जाँच करें। यदि समस्या बनी रहती है, तो तत्काल किसी प्रोफेशनल तकनीशियन से संपर्क करें।
वायरिंग कनेक्शन ढीले या क्षतिग्रस्त हो सकते हैं
समय के साथ, सोलर सिस्टम की वायरिंग में ढीलापन आ सकता है या जानवरों द्वारा इसे नुकसान पहुँचाया जा सकता है। इससे सोलर पैनलों से उत्पन्न बिजली इन्वर्टर तक नहीं पहुंच पाती और सिस्टम बंद हो सकता है।
इस स्थिति से निपटने के लिए सभी कनेक्शनों की नियमित जांच करना आवश्यक है। यदि कोई वायरिंग क्षतिग्रस्त या ढीली मिले, तो उसे तुरंत ठीक करवाएं। यह कार्य सुरक्षा के लिहाज से किसी प्रशिक्षित पेशेवर द्वारा ही करवाना उचित है।
यदि आपके सिस्टम में बैटरी है, तो उसकी स्थिति की भी जांच करें
जिन सोलर सिस्टम में बैटरी बैकअप होता है, वहां यदि बैटरी सही से चार्ज नहीं हो रही या बहुत पुरानी हो चुकी है, तो यह पूरी प्रणाली को प्रभावित कर सकती है।
बैटरी की ओवरचार्जिंग या डीप डिस्चार्जिंग दोनों ही स्थिति में बैटरी की लाइफ कम हो जाती है और सिस्टम बार-बार बंद हो सकता है। ऐसी स्थिति में बैटरी के वोल्टेज स्तर और चार्जिंग साइकिल की निगरानी ज़रूरी है। यदि बैटरी पुरानी या खराब है, तो उसे बदलने में ही समझदारी है।
पेड़ या बिल्डिंग से छाया आ रही हो तो ऊर्जा घटेगी
सोलर पैनलों की ऊर्जा उत्पादन क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि उन्हें कितनी देर और कितनी सीधी धूप मिल रही है। यदि पास के पेड़, भवन या अन्य ढांचों से पैनलों पर छाया पड़ रही है, तो यह उनकी क्षमता को काफी हद तक कम कर सकती है।
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समाधान यही है कि सोलर पैनलों को ऐसी जगह लगवाएं जहां दिनभर बिना अवरोध के सूर्य की रोशनी मिले। यदि पेड़ों की वजह से छाया बन रही है तो उनकी छंटाई करें। ज़रूरत पड़ी तो पैनलों को दूसरी जगह शिफ्ट करवाना ही पड़ेगा।
समय के साथ पैनल की क्षमता भी घट सकती है
हर तकनीक की एक उम्र होती है, और सोलर पैनल भी इससे अछूते नहीं हैं। आमतौर पर इनकी उम्र 20-25 साल होती है। लेकिन 10-15 साल बाद ही इनकी दक्षता धीरे-धीरे कम होने लगती है।
यदि पैनल टूटे हुए हैं या उनमें मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है, तो उनकी कार्यक्षमता एकदम से गिर सकती है। ऐसे में आप या तो सभी पैनलों को बदल सकते हैं या सिर्फ खराब पैनलों को हटाकर बाकी सिस्टम को चालू रख सकते हैं।
कब दोबारा काम करना शुरू करेंगे आपके पैनल?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि समस्या क्या है। अगर केवल धूल या गंदगी की वजह से पैनल बंद हो गए हैं, तो सफाई के तुरंत बाद वे सामान्य रूप से काम करने लगेंगे।
इन्वर्टर, वायरिंग या बैटरी से जुड़ी समस्याओं के समाधान में कुछ घंटे से लेकर कुछ दिन तक लग सकते हैं, खासकर यदि किसी उपकरण को बदलने की आवश्यकता हो।
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