
हिमाचल प्रदेश ऊर्जा विकास एजेंसी (HIMURJA) ने रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy को बढ़ावा देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए कुल 8.5 मेगावाट क्षमता की ग्राउंड-माउंटेड सोलर परियोजनाओं के लिए तीन अलग-अलग EPC (Engineering, Procurement and Construction) टेंडर जारी किए हैं। यह टेंडर राज्य के विभिन्न जिलों में प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए हैं, जिनके जरिए हिमाचल को ‘ग्रीन एनर्जी स्टेट’ बनाने के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में ठोस पहल की जा रही है। इन टेंडरों के लिए इच्छुक बोलीदाता 26 अप्रैल, 2025 तक अपनी निविदाएं जमा कर सकते हैं, और 28 अप्रैल को बोलियों को खोला जाएगा।
पांच जिलों में 4.5 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए पहला टेंडर
HIMURJA द्वारा जारी पहले टेंडर के तहत राज्य के पांच जिलों—शिमला, किन्नौर, कुल्लू, लाहौल-स्पीति और सोलन—में कुल 4.5 मेगावाट की क्षमता वाली सौर परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। प्रत्येक जिले में 500 किलोवाट की कुल नौ ग्राउंड-माउंटेड सोलर यूनिट्स लगाई जाएंगी। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत ₹60 मिलियन है, जो कि लगभग $692,550 के बराबर है। इन जिलों का चयन उनकी भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु की अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए किया गया है, ताकि सोलर पैनल्स से अधिकतम उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके।
तीन अन्य जिलों में 2 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए दूसरा टेंडर
दूसरे टेंडर के तहत HIMURJA ने चंबा, ऊना और कांगड़ा जिलों को शामिल किया है। यहां भी 500 किलोवाट की चार ग्राउंड-माउंटेड सोलर परियोजनाएं प्रस्तावित की गई हैं, जिनकी कुल क्षमता 2 मेगावाट होगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत ₹40 मिलियन है, जो कि करीब $481,408 के बराबर बैठती है। इन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के लिए अनुकूल मौसम और भूमि परिस्थितियों के कारण पहले से ही रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की संभावना प्रबल रही है, जिससे इन परियोजनाओं की सफलता की संभावना और अधिक बढ़ जाती है।
कांगड़ा और हमीरपुर में 2 मेगावाट की परियोजनाओं को लेकर तीसरा टेंडर
HIMURJA द्वारा जारी तीसरा टेंडर कांगड़ा और हमीरपुर जिलों में 2 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाली चार सोलर परियोजनाओं के लिए है। प्रत्येक परियोजना 500 किलोवाट की होगी। इस टेंडर की खास बात यह है कि इसकी अनुमानित लागत ₹80 मिलियन (~$921,600) रखी गई है, जो कि अन्य दोनों टेंडरों की तुलना में काफी अधिक है। इस लागत में वृद्धि का कारण उच्च भूमि मूल्य, स्थल की भौगोलिक जटिलताएं या तकनीकी जरूरतें मानी जा रही हैं। हालांकि, यह निवेश भविष्य के लिए टिकाऊ और हरित ऊर्जा-Green Energy आधारित संरचना तैयार करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
सभी परियोजनाओं के लिए समय सीमा और रखरखाव की शर्तें
इन तीनों टेंडरों के अंतर्गत प्रस्तावित सभी परियोजनाओं को टेंडर पुरस्कार की तिथि से आठ महीने के भीतर स्थापित कर चालू करना अनिवार्य होगा। साथ ही, सभी परियोजनाओं के सफल संचालन और रखरखाव (Operation and Maintenance) की जिम्मेदारी अगले पांच वर्षों तक ठेकेदार को दी जाएगी। यह प्रावधान HIMURJA की ओर से यह सुनिश्चित करने के लिए रखा गया है कि परियोजनाएं न केवल समय पर पूरी हों, बल्कि उनकी गुणवत्ता और दीर्घकालिक संचालन भी सुनिश्चित किया जा सके।
HIMURJA की पिछली पहलें और ऊर्जा नीति की दिशा
यह पहला अवसर नहीं है जब HIMURJA ने रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर टेंडर जारी किए हों। इससे पहले जनवरी 2025 में, हिमाचल प्रदेश सरकार ने 72 मेगावाट की सात बड़ी सोलर परियोजनाओं के लिए टेंडर मंगवाए थे, जिनका मूल्यांकन अभी प्रक्रिया में है। इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार इस क्षेत्र को लेकर गंभीर है और नीतिगत स्तर पर निरंतर प्रगति कर रही है।
2026 तक हिमाचल को ‘ग्रीन एनर्जी स्टेट’ बनाने का लक्ष्य
हिमाचल प्रदेश सरकार ने वर्ष 2026 तक राज्य को ‘ग्रीन एनर्जी स्टेट’ घोषित करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत राज्य में सौर, जल, और पवन ऊर्जा के स्रोतों को अधिकतम उपयोग में लाने की योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इसमें निजी और सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे न केवल ऊर्जा आपूर्ति की स्थिति सुधरेगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। साथ ही, यह प्रयास कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होंगे।