
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की बढ़ती मांग के बीच 3kW सोलर सिस्टम तेजी से सभी लोगों का लोकप्रिय हो रहा है। खासकर ऐसे घरों में जहां बिजली के खर्चा को कम करने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने का लक्ष्य है। 3 किलोवाट क्षमता वाला यह सोलर सिस्टम (Solar System) मध्यम आकार के घरों के लिए उपयुक्त माना जाता है और कुछ हद तक एयर कंडीशनर (AC) भी चला सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह वास्तव में पूरे घर का लोड और एक या उससे अधिक AC संभाल सकता है? आइए जानते हैं इसकी पूरी क्षमता और सीमाएं।
3kW सोलर सिस्टम की उत्पादन क्षमता
भारत जैसे देश में जहां सालभर भरपूर धूप उपलब्ध रहती है, 3kW सोलर सिस्टम औसतन 12 से 15 यूनिट (kWh) तक बिजली प्रतिदिन उत्पन्न करने में सक्षम होता है। यह आंकड़ा स्थान, मौसम और पैनलों की क्वालिटी पर निर्भर करता है। सामान्यतः यह उत्पादन शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में पर्याप्त माना जाता है, जहां बिजली की खपत नियंत्रित रहती है।
1 टन और 1.5 टन इन्वर्टर AC की खपत पर नजर
AC की टन क्षमता और उसमें प्रयुक्त तकनीक इसकी बिजली खपत पर सीधा प्रभाव डालती है। आजकल बाजार में इन्वर्टर AC अधिक प्रचलित हैं क्योंकि ये पारंपरिक AC की तुलना में कम बिजली खपत करते हैं। उदाहरण के लिए, 1 टन का इन्वर्टर AC औसतन 0.8 से 1.2 यूनिट प्रति घंटे की खपत करता है, जबकि 1.5 टन इन्वर्टर AC की खपत 1.2 से 1.8 यूनिट प्रति घंटे तक होती है। इसी आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 3kW सोलर सिस्टम से:
एक 1 टन इन्वर्टर AC को लगभग 10 से 12 घंटे तक चलाया जा सकता है, यदि अन्य कोई उपकरण साथ में नहीं चल रहे हों। वहीं, 1.5 टन इन्वर्टर AC को 6 से 8 घंटे तक चलाया जा सकता है, वो भी तब जब अतिरिक्त बिजली का उपयोग न किया जाए।
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अन्य घरेलू उपकरणों के साथ सोलर सिस्टम का संतुलन
हालांकि सोलर सिस्टम की पूरी क्षमता केवल AC को नहीं दी जा सकती। एक सामान्य भारतीय घर में लाइट्स, पंखे, फ्रिज, टीवी और चार्जिंग जैसे कई आवश्यक उपकरण लगातार बिजली की मांग करते हैं। ऐसे में यदि इन सबका भी उपयोग हो रहा हो, तो AC को दी जाने वाली बिजली की मात्रा स्वतः कम हो जाती है। इसलिए यदि आप AC के साथ अन्य उपकरण भी चलाना चाहते हैं, तो लोड मैनेजमेंट आवश्यक हो जाता है।
ऑन-ग्रिड बनाम ऑफ-ग्रिड सिस्टम: क्या है फर्क?
सोलर सिस्टम दो प्रकार के होते हैं: ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड। ऑन-ग्रिड सिस्टम में आप बिजली ग्रिड से भी कनेक्ट रहते हैं। यदि सोलर सिस्टम पर्याप्त बिजली उत्पन्न नहीं कर पा रहा, तो ग्रिड से बिजली लेकर आपकी आवश्यकताएं पूरी की जा सकती हैं। इसके विपरीत, ऑफ-ग्रिड सिस्टम में आप पूरी तरह से सोलर और बैटरी पर निर्भर रहते हैं। इसलिए अगर आप ऑफ-ग्रिड सिस्टम पर 1.5 टन AC चलाना चाहते हैं, तो आपको अतिरिक्त बैटरी बैकअप की आवश्यकता होगी, खासकर रात के समय।
बैटरी स्टोरेज: रात के समय AC चलाना है तो जरूरी है तैयारी
दिन में तो सोलर सिस्टम सीधे पैनलों से बिजली लेकर काम करता है, लेकिन रात में सोलर पावर उपलब्ध नहीं होती। ऐसे में बैटरी स्टोरेज सिस्टम की भूमिका अहम हो जाती है। यदि आपको AC को रात में भी चलाना है, तो बैटरी की उच्च स्टोरेज क्षमता जरूरी है, जिससे दिन में उत्पन्न की गई बिजली को संचित किया जा सके और रात में उसका उपयोग किया जा सके।
इन्वर्टर तकनीक क्यों है महत्वपूर्ण?
इन्वर्टर AC न केवल बिजली की बचत करते हैं, बल्कि सोलर सिस्टम पर पड़ने वाले लोड को भी कम करते हैं। यह तकनीक कंप्रेसर को चालू-बंद करने के बजाय उसकी गति को नियंत्रित करती है, जिससे वह आवश्यकतानुसार काम करता है और ऊर्जा की खपत में कमी आती है। इसीलिए यदि आप 3kW सोलर सिस्टम पर AC चलाने की योजना बना रहे हैं, तो इन्वर्टर AC का चयन एक समझदारी भरा निर्णय हो सकता है।
3kW सोलर सिस्टम की सही उपयोगिता
यदि आप एक मध्यम आकार के घर में रहते हैं और सीमित बिजली खपत के साथ एक 1 टन इन्वर्टर AC चलाना चाहते हैं, तो 3kW सोलर सिस्टम एक उत्तम विकल्प हो सकता है। यह न केवल आपकी बिजली लागत को कम करता है, बल्कि रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के माध्यम से पर्यावरण की भी रक्षा करता है। हालांकि, यदि आपकी खपत अधिक है या आप रात में भी AC चलाना चाहते हैं, तो आपको उच्च क्षमता वाला सोलर सिस्टम या मजबूत बैटरी बैकअप की आवश्यकता होगी। सही प्लानिंग और पेशेवर मार्गदर्शन के साथ, आप अपने घर को पूरी तरह से सोलर पर आधारित बना सकते हैं।
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