1 किलोवाट सोलर के लिए कितनी बैटरी लगेगी? जानिए कैसे करें पता

क्या आपकी बैटरी साइजिंग सही है? जानिए कैसे 1 किलोवाट सोलर पैनल सिस्टम के लिए बैटरियों का चुनाव करें और बैकअप सुनिश्चित करें!

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Written by Rohit Kumar

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आजकल सोलर पावर (Solar Power) का इस्तेमाल दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, और 1 किलोवाट सोलर पैनल सिस्टम की बात की जाए, तो यह सवाल हर किसी के मन में आता है कि इसके लिए कितनी बैटरी चाहिए होती हैं। सोलर पावर सिस्टम के साथ बैटरियों का सही चुनाव करना बहुत आवश्यक है, ताकि आप सूर्य की रोशनी से उत्पन्न ऊर्जा का सही तरीके से उपयोग कर सकें। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि 1 किलोवाट सोलर सिस्टम के लिए कितनी बैटरियां जरूरी होती हैं और कैसे आप इसका सही अनुमान लगा सकते हैं।

सोलर पैनल से ऊर्जा का उत्पादन

सोलर पैनल का काम सूरज की रोशनी को इलेक्ट्रिक ऊर्जा में बदलना होता है। जब आप 1 किलोवाट का सोलर पैनल इंस्टॉल करते हैं, तो यह दिनभर में लगभग 5 घंटे की धूप में लगभग 5 किलोवाट-घंटे (kWh) ऊर्जा उत्पन्न करता है। इसका मतलब है कि सोलर पैनल से उत्पन्न ऊर्जा उस स्थान पर निर्भर करती है, जहां पैनल लगाए गए हैं और वहां की धूप की स्थिति पर भी असर डालती है। अगर धूप ज्यादा मिलती है तो पैनल ज्यादा ऊर्जा बनाएंगे, और अगर धूप कम होगी तो ऊर्जा का उत्पादन भी कम होगा।

ऐसे करें बैटरी का चयन

जब आप सोलर पैनल से ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, तो उसे स्टोर करने के लिए बैटरी का होना जरूरी है। बैटरी का काम इस एनर्जी को स्टोर करना है ताकि आप रात में या जब धूप कम हो तब भी उसे उपयोग कर सकें। बैटरी का चयन इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कितनी ऊर्जा स्टोर करनी है और कितने समय तक बैकअप की आवश्यकता है।

1 किलोवाट सोलर सिस्टम के लिए बैटरी की जरुरत

1 किलोवाट सोलर पैनल सिस्टम के लिए कितनी बैटरी चाहिए इसका पता लगाने के लिए, सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि बैटरी की कैपेसिटी कितनी होगी। अगर आप लिथियम-आयन बैटरी (Lithium-Ion Battery) का उपयोग करते हैं, तो एक 12V 100Ah बैटरी लगभग 1.2 किलोवाट-घंटे (kWh) ऊर्जा स्टोर कर सकती है। वही अगर आप लीड-एसिड बैटरी (Lead-Acid Battery) का उपयोग करते हैं, तो उनकी कैपेसिटी भी लगभग समान होती है, लेकिन इनकी गहरी निर्वहन कैपेसिटी (DoD) कम होती है, जिससे इनसे मिलने वाली उपयोगी एनर्जी थोड़ी कम होती है।

अगर आप एक दिन का बैकअप चाहते हैं, तो आपको कम से कम 5 kWh की बैटरी की जरूरत होगी। इस हिसाब से, 1.2 kWh की कैपेसिटी वाली बैटरी का उपयोग करते हुए आपको 5 बैटरियां चाहिए होंगी। हालांकि कुछ मामलों में बैटरी बढ़ घट सकती है।

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बैटरी की गहरी निर्वहन क्षमता

बैटरी की गहरी निर्वहन क्षमता (Depth of Discharge – DoD) का मतलब है कि बैटरी कितनी ऊर्जा उपयोग करने के बाद पूरी तरह से डिस्चार्ज हो सकती है। लिथियम-आयन बैटरी की गहरी निर्वहन क्षमता ज्यादा होती है, जिसका मतलब है कि आप इससे ज्यादा ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं। वहीं लीड-एसिड बैटरी की गहरी निर्वहन क्षमता कम होती है, जिससे आपको इन्हें जल्दी चार्ज करना पड़ता है।

बैटरी की सुरक्षा मार्जिन

सोलर बैटरी का चयन करते टाइम यह आवश्यक होता है कि आप उसमें एक सुरक्षा मार्जिन जोड़ें। यह सुरक्षा मार्जिन लगभग 20-30% होता है। इसका मतलब है कि बैटरी की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने से बचने के लिए थोड़ी अधिक क्षमता जोड़ी जाती है। इससे बैटरी की लम्बे समय तक काम करेगी। यह सुनिश्चित करता है कि जब जरूरत पड़े तो बैटरी ज्यादा समय तक काम करती रहे।

सोलर पैनल और बैटरी का सही संयोजन

सोलर पैनल और बैटरी का सही संयोजन इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी ऊर्जा स्टोर करना चाहते हैं और बैकअप की कितनी जरूरत है। सही बैटरी साइजिंग के बिना आपका सोलर पैनल सिस्टम पूरी कैपेसिटी से काम नहीं करेगा। इसलिए सही बैटरी को सेलेक्ट करना बहुत महत्वपूर्ण जरूरी है ताकि आपकी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके और सोलर पावर का पूरा लाभ लिया जा सके।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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