
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) का बढ़ता महत्व अब लोगों को पारंपरिक बिजली स्रोतों से सोलर एनर्जी की ओर तेजी से मोड़ रहा है। खासकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में जहां बिजली की उपलब्धता सीमित होती है, वहां 200Ah बैटरी को चार्ज करने के लिए सोलर पैनल एक स्थायी समाधान बन कर उभरा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि 200Ah बैटरी के लिए कितने Solar Panels चाहिए? यह जानना हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है जो सोलर पावर सिस्टम लगाने की सोच रहा है।
बैटरी की कुल ऊर्जा क्षमता कितनी होती है?
सोलर सिस्टम की योजना बनाने से पहले यह समझना जरूरी है कि 200Ah बैटरी कितनी ऊर्जा संग्रह कर सकती है। इसकी गणना इस बात पर निर्भर करती है कि बैटरी 12V की है या 24V की।
अगर बैटरी 12 वोल्ट की है, तो उसकी कुल ऊर्जा क्षमता होगी:
200Ah × 12V = 2400Wh (वॉट-घंटे)
वहीं, यदि बैटरी 24 वोल्ट की है, तो यह बनती है:
200Ah × 24V = 4800Wh (वॉट-घंटे)
इसका मतलब है कि 12V बैटरी को पूरी तरह चार्ज करने के लिए 2400Wh ऊर्जा चाहिए, और 24V बैटरी के लिए 4800Wh की जरूरत होगी।
धूप के घंटे तय करते हैं पैनलों की संख्या
भारत जैसे देश में औसतन 5 घंटे प्रतिदिन ऐसी धूप मिलती है जिसे “पीक सन ऑवर्स” कहा जाता है। यानी आपके सोलर पैनल को जरूरी ऊर्जा इन्हीं 5 घंटों में उत्पन्न करनी होगी।
12V बैटरी को चार्ज करने के लिए चाहिए:
2400Wh ÷ 5h = 480W सोलर पैनल क्षमता
24V बैटरी के लिए:
4800Wh ÷ 5h = 960W सोलर पैनल क्षमता
लेकिन यह आदर्श स्थिति है। व्यवहार में लगभग 20% ऊर्जा लॉस होता है सिस्टम की दक्षता के कारण। इसलिए इस लॉस को जोड़ने के बाद जरूरी क्षमता होगी:
12V बैटरी के लिए: 480W × 1.2 = 576W
24V बैटरी के लिए: 960W × 1.2 = 1152W
यानी, इन दोनों स्थितियों में हमारे पास दो लक्ष्य हैं—576W और 1152W की सोलर इनपुट जरूरत।
सोलर पैनल की संख्या का निर्धारण
अब सवाल है कि कितने सोलर पैनल चाहिए? यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आप किस क्षमता का पैनल उपयोग कर रहे हैं। मान लें आपके पास 300W या 200W क्षमता के पैनल उपलब्ध हैं।
12V बैटरी के लिए:
576W क्षमता प्राप्त करने के लिए:
576W ÷ 300W = 1.92 यानी लगभग 2 पैनल
या
576W ÷ 200W = 2.88 यानी लगभग 3 पैनल
24V बैटरी के लिए:
1152W के लिए:
1152W ÷ 400W = 2.88 यानी लगभग 3 पैनल
या
1152W ÷ 300W = 3.84 यानी लगभग 4 पैनल
इससे स्पष्ट है कि जितना अधिक वॉटेज वाला सोलर पैनल होगा, उतने कम पैनलों की जरूरत पड़ेगी, जिससे इंस्टॉलेशन लागत और जगह की बचत होती है।
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चार्ज कंट्रोलर: सोलर सिस्टम का दिमाग
सोलर सिस्टम की दक्षता इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप कौन-सा सोलर चार्ज कंट्रोलर इस्तेमाल कर रहे हैं। वर्तमान में दो प्रकार के कंट्रोलर प्रचलित हैं—PWM (Pulse Width Modulation) और MPPT (Maximum Power Point Tracking) ।
PWM कंट्रोलर की दक्षता लगभग 68-73% होती है, जबकि MPPT चार्ज कंट्रोलर लगभग 95% दक्षता पर काम करता है। इसलिए अगर आप बैटरी को तेज़ी से और प्रभावी तरीके से चार्ज करना चाहते हैं, तो MPPT कंट्रोलर का चयन ज्यादा समझदारी भरा होगा।
पैनलों की स्थिति और मौसमी प्रभाव
सोलर पैनलों की संख्या और गुणवत्ता के अलावा उनकी स्थिति और झुकाव (Tilt) का भी बड़ा महत्व होता है। भारत के उत्तर में स्थित शहरों जैसे देहरादून या शिमला में सर्दियों में सूरज की ऊंचाई कम होती है, इसलिए पैनलों को ज्यादा झुकाव पर लगाना चाहिए ताकि वे अधिक धूप सोख सकें। वहीं, गर्मियों में कम झुकाव काफी होता है।
इसके अतिरिक्त, सर्दियों में धूप के घंटे भी कम हो जाते हैं, जिससे बैटरी को चार्ज होने में अधिक समय लगता है। ऐसी स्थिति में या तो सोलर पैनलों की संख्या बढ़ानी होती है या बैटरी बैंक की क्षमता को संतुलित करना पड़ता है।
आपके सिस्टम की जरूरत क्या है?
अंत में, यदि आप 200Ah बैटरी को पूरी तरह से सोलर एनर्जी से चार्ज करना चाहते हैं, तो आपको निम्नलिखित सोलर पैनल व्यवस्था की आवश्यकता होगी,12V बैटरी के लिए:
576W सोलर पैनल क्षमता, जिसे आप 2×300W या 3×200W पैनलों से प्राप्त कर सकते हैं। 24V बैटरी के लिए:
1152W सोलर पैनल क्षमता, जिसे आप 3×400W या 4×300W पैनलों से पूरा कर सकते हैं।
साथ ही यह जरूरी है कि आप MPPT चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग करें, पैनलों का उचित झुकाव रखें और मौसम के बदलावों को ध्यान में रखते हुए अपने सोलर सिस्टम को डिज़ाइन करें ताकि आपको पूरे वर्ष भर बेहतर प्रदर्शन मिल सके।