
भारत में 10 किलोवाट सोलर सिस्टम (10kW Solar System) तेजी से लोगों की पहली पसंद बनता जा रहा है, खासकर उन उपभोक्ताओं के लिए जिनकी दैनिक बिजली खपत 40 से 50 यूनिट या उससे अधिक है। रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के प्रति बढ़ती जागरूकता, सरकारी सब्सिडी और नेट मीटरिंग (Net Metering) जैसी योजनाओं ने सोलर पैनलों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि की है। एक औसत 10kW सोलर सिस्टम भारत में प्रतिदिन 40 से 50 यूनिट बिजली पैदा कर सकता है, जो इसे आवासीय और कमर्शियल दोनों उपयोगों के लिए उपयुक्त बनाता है।
प्रतिदिन, मासिक और वार्षिक उत्पादन
एक 10kW सोलर सिस्टम की उत्पादकता काफी हद तक इसके इंस्टॉलेशन के स्थान, मौसम की परिस्थितियों और सोलर पैनलों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। लेकिन सामान्यतः देखा गया है कि यह सिस्टम प्रतिदिन लगभग 40 से 50 यूनिट बिजली उत्पन्न करता है। यह मासिक स्तर पर 1,200 से 1,500 यूनिट और सालाना 14,400 से 18,000 यूनिट के बीच उत्पादन कर सकता है।
इस आंकड़े का मतलब यह है कि यदि किसी घर या व्यवसाय की दैनिक खपत इसी के आसपास है, तो वह अपनी लगभग पूरी बिजली आवश्यकता को सोलर सिस्टम के जरिए पूरा कर सकता है। इतना ही नहीं, यदि उत्पादन खपत से अधिक होता है, तो नेट मीटरिंग के जरिए इसे ग्रिड में भेजकर उपभोक्ता को क्रेडिट भी मिल सकता है।
लागत और सब्सिडी: निवेश की समझदारी
भारत में 10 किलोवाट के सोलर सिस्टम की लागत उसकी तकनीक और ब्रांड के आधार पर अलग-अलग होती है। सामान्यतः एक ऑन-ग्रिड सिस्टम की कीमत ₹4.5 लाख से ₹6.5 लाख के बीच होती है, जबकि ऑफ-ग्रिड सिस्टम के लिए ₹5.5 लाख से ₹7.5 लाख तक का खर्च आ सकता है। वहीं, अगर आप हाइब्रिड सिस्टम का विकल्प चुनते हैं, तो यह लागत ₹6 लाख से ₹8 लाख तक जा सकती है।
सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी इसे और भी किफायती बनाती है। वर्तमान में एक 10kW ऑन-ग्रिड सिस्टम पर अधिकतम ₹78,000 तक की सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है। इस सब्सिडी के बाद उपभोक्ताओं का कुल खर्च कम हो जाता है और यह एक स्मार्ट लॉन्ग-टर्म निवेश बन जाता है।
कमर्शियल उपयोग के फायदे: सिर्फ बिजली नहीं, मुनाफा भी
यदि आप अपने व्यवसाय की बिजली जरूरतों को लेकर चिंतित रहते हैं और हर महीने ₹15,000 से ₹20,000 तक का बिजली बिल भरते हैं, तो यह सिस्टम आपके लिए बचत का बड़ा जरिया बन सकता है। 10kW सोलर सिस्टम लगाने के बाद बिजली बिल में भारी कमी आ सकती है, और नेट मीटरिंग की मदद से आप अतिरिक्त उत्पन्न बिजली का पूरा फायदा उठा सकते हैं।
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इसके अलावा, इस निवेश की रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI) भी काफी आकर्षक है। अनुमान के मुताबिक, इस सिस्टम में किया गया निवेश 4 से 6 वर्षों के भीतर रिकवर हो सकता है। यह समय और तेजी से घट सकता है अगर आपके इलाके में धूप ज्यादा रहती है या बिजली की दरें अधिक हैं।
पर्यावरणीय लाभ: हरित भविष्य की ओर कदम
बिजली उत्पादन के पारंपरिक स्रोत जैसे कोयला और डीजल न केवल महंगे हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक हैं। इसके मुकाबले सोलर एनर्जी एक ग्रीन एनर्जी विकल्प है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आती है। एक 10kW सोलर सिस्टम सालाना हजारों किलो कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोक सकता है, जो सीधे तौर पर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायक है।
स्थापना हेतु आवश्यक स्थान
10kW का सोलर सिस्टम लगाने के लिए करीब 800 से 1,000 वर्ग फुट छायारहित जगह की आवश्यकता होती है। यह जगह आमतौर पर रिहायशी या कमर्शियल इमारतों की छत पर उपलब्ध हो सकती है। यदि आपके पास इतना स्पेस उपलब्ध है, तो आप इस सिस्टम को आसानी से इंस्टॉल करा सकते हैं और लंबे समय तक इसका लाभ उठा सकते हैं।