
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) की ओर लोगों का रुझान लगातार बढ़ रहा है, खासकर जब बात घरेलू बिजली जरूरतों की हो। इस बीच “घर के लिए कितने किलोवाट का सोलर पैनल सिस्टम लगेगा जानें” जैसे सवाल अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। आज की ऊर्जा संकट और बढ़ते बिजली बिलों की समस्या को देखते हुए सोलर पावर एक व्यावहारिक और किफायती विकल्प बन चुका है।
सरकार की प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना और सब्सिडी सहायता के चलते अब सोलर सिस्टम लगवाना पहले की तुलना में आसान और सस्ता हो गया है। लेकिन सही सिस्टम चुनना तभी संभव है जब आप अपनी बिजली खपत और जरूरतों का सटीक मूल्यांकन करें।
मासिक बिजली खपत से तय होता है सोलर सिस्टम का आकार
घर के लिए उपयुक्त सोलर सिस्टम की क्षमता मुख्यतः आपकी मासिक बिजली खपत पर निर्भर करती है। अगर आप अपने पिछले 12 महीने के बिजली बिल देखें और हर महीने की खपत (kWh में) जोड़कर उसका औसत निकालें, तो आप आसानी से यह तय कर सकते हैं कि आपको कितने किलोवाट (kW) का सोलर सिस्टम चाहिए।
उदाहरण के लिए, यदि आपकी औसत मासिक खपत लगभग 150 यूनिट है, तो 1.5 kW का सोलर सिस्टम पर्याप्त रहेगा। इसी तरह, 300 यूनिट की खपत पर 3 kW और 500 यूनिट के लिए 5 kW या उससे अधिक क्षमता की आवश्यकता होगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि जितनी अधिक बिजली खपत, उतनी ही अधिक सोलर पैनल सिस्टम की जरूरत।
सोलर सिस्टम कितनी बिजली उत्पन्न करता है: क्षेत्रीय आधार पर समझें
सौर ऊर्जा उत्पादन इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप भारत के किस हिस्से में रहते हैं। जैसे उत्तर भारत के आगरा जैसे क्षेत्रों में प्रतिदिन औसतन 5 घंटे सोलर रेडिएशन मिलता है। इस मानक के आधार पर 1 kW का सोलर सिस्टम प्रतिदिन लगभग 4 से 5 यूनिट बिजली उत्पन्न कर सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि आप 3 kW का सोलर सिस्टम लगवाते हैं, तो उससे प्रतिदिन 12 से 15 यूनिट बिजली और महीने में लगभग 360 से 450 यूनिट बिजली उत्पन्न की जा सकती है। यह उत्पादन एक औसत घर की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी होता है।
लागत और सब्सिडी: सरकार की योजना से मिलेगी बड़ी राहत
सोलर सिस्टम की लागत सामान्यतः उसके आकार और तकनीकी विन्यास पर निर्भर करती है। उदाहरणस्वरूप, 3 kW का एक स्टैंडर्ड ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम ₹1.5 लाख तक की लागत में आता है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत सरकार की प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के अंतर्गत घरेलू उपभोक्ताओं को इस पर आकर्षक सब्सिडी दी जाती है।
यदि आप 1 से 2 kW का सिस्टम लगवाते हैं, तो आपको ₹30,000 से ₹60,000 तक की सब्सिडी मिल सकती है। 2 से 3 kW के बीच सब्सिडी ₹60,000 से ₹78,000 तक हो सकती है। जबकि 3 kW से ऊपर के सिस्टम पर ₹78,000 या इससे भी अधिक सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है। इस सब्सिडी से आपकी प्रारंभिक लागत में काफी कमी आ जाती है, जिससे यह निवेश और भी किफायती हो जाता है।
किस प्रकार का सोलर सिस्टम चुनें: ऑन-ग्रिड, ऑफ-ग्रिड या हाइब्रिड
सही सोलर सिस्टम का चयन सिर्फ उसकी क्षमता पर नहीं, बल्कि आपके इलाके की बिजली उपलब्धता पर भी निर्भर करता है। मुख्य रूप से तीन प्रकार के घरेलू सोलर सिस्टम प्रचलन में हैं: ऑन-ग्रिड, ऑफ-ग्रिड और हाइब्रिड सिस्टम।
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम सीधे बिजली ग्रिड से जुड़ा होता है। यह उन स्थानों के लिए उपयुक्त है जहां बिजली की आपूर्ति नियमित रहती है। इस सिस्टम में आप अपनी अतिरिक्त बिजली ग्रिड को वापस भेज सकते हैं और नेट मीटरिंग का लाभ ले सकते हैं।
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ऑफ-ग्रिड सिस्टम में बैटरी स्टोरेज होता है, जिससे बिजली स्टोर की जाती है। यह उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहां बिजली की कटौती सामान्य बात है। वहीं, हाइब्रिड सिस्टम दोनों का संयोजन होता है — इसमें बैटरी भी होती है और यह ग्रिड से भी जुड़ा रहता है।
सटीक विश्लेषण से मिलेगा बेहतर लाभ
यदि आपकी मासिक बिजली खपत 300 यूनिट के करीब है, तो 3 kW का ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम आपके लिए आदर्श रहेगा। इससे आप हर महीने बिजली बिल पर अच्छी खासी बचत कर सकते हैं और सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी के जरिए लागत को भी कम कर सकते हैं।
एक बार सोलर सिस्टम स्थापित हो जाने के बाद यह आपको आने वाले 20 से 25 वर्षों तक स्थायी बिजली समाधान देता है। साथ ही यह पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी सहायक है, जो रिन्यूएबल एनर्जी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।