
देश में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के प्रति बढ़ती जागरूकता और प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना जैसी सरकारी पहलों ने लोगों को अपने घरों की छतों पर सोलर पैनल (Solar Panel) लगाने के लिए प्रेरित किया है। यह सिर्फ पर्यावरण के प्रति एक जिम्मेदार कदम नहीं बल्कि एक दीर्घकालिक निवेश भी है जो बिजली के बिलों में कटौती के साथ-साथ आर्थिक राहत भी देता है। लेकिन सोलर सिस्टम लगाने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानना बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में नुकसान से बचा जा सके और अधिकतम लाभ लिया जा सके।
अपनी बिजली खपत को समझें, तभी मिलेगी सही दिशा
किसी भी सोलर पैनल सिस्टम को लगाने से पहले सबसे पहला और अहम कदम होता है आपकी मासिक बिजली खपत का सही मूल्यांकन। यदि आपकी मासिक खपत 300 यूनिट के आसपास है, तो आपको कम से कम 3 किलोवॉट (kW) क्षमता वाले सोलर सिस्टम की आवश्यकता होगी। यह आकलन आपको न केवल उपयुक्त सोलर सिस्टम चुनने में मदद करता है बल्कि लागत और दक्षता के संतुलन को भी बनाए रखता है। अच्छी खबर यह है कि भारत सरकार की प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत 3 किलोवॉट तक की क्षमता वाले सिस्टम पर ₹78,000 तक की सब्सिडी दी जा रही है, जिससे शुरुआती लागत काफी कम हो जाती है।
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सोलर पैनल की तकनीक और दक्षता को जानना है जरूरी
सोलर पैनल मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं— मोनोक्रिस्टलाइन, पॉलीक्रिस्टलाइन और थिन-फिल्म। मोनोक्रिस्टलाइन पैनल सबसे ज्यादा दक्षता (17% से 22%) देने वाले होते हैं, लेकिन इनकी कीमत ज्यादा होती है। पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल थोड़े सस्ते होते हैं और इनकी दक्षता 15% से 17% के बीच होती है। वहीं थिन-फिल्म पैनल की दक्षता केवल लगभग 11% होती है लेकिन ये हल्के और लचीले होते हैं। यदि आपके पास छत की जगह सीमित है, तो मोनोक्रिस्टलाइन पैनल बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं क्योंकि ये कम स्थान में अधिक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
छत की दिशा और धूप का सही मूल्यांकन
सोलर पैनल की कार्यक्षमता इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपकी छत किस दिशा में है और वहां कितनी धूप पड़ती है। भारत जैसे उत्तरी गोलार्ध वाले देश में दक्षिण की ओर मुख वाली छतें और जिनका झुकाव लगभग 30 से 45 डिग्री हो, उन्हें आदर्श माना जाता है। यदि छत पर पेड़, पानी की टंकी या किसी अन्य वस्तु की छाया पड़ती है, तो इससे पैनल की दक्षता में भारी गिरावट आ सकती है। इसीलिए सोलर इंस्टॉलेशन से पहले छत की दिशा और धूप के घंटों का आकलन बेहद जरूरी है।
प्रमाणित और अनुभवी सोलर कंपनी का चयन करें
सही सोलर कंपनी का चयन आपके पूरे प्रोजेक्ट को सफल बना सकता है। एक अच्छी कंपनी के पास न केवल MNRE (Ministry of New and Renewable Energy), BIS (Bureau of Indian Standards) और ISO जैसे आवश्यक प्रमाणपत्र होते हैं, बल्कि वह आपको सब्सिडी प्राप्त करने की प्रक्रिया में भी मदद करती है। साथ ही, कंपनी से मिलने वाली 25 साल तक की वारंटी, मजबूत आफ्टर-सेल्स सर्विस और तकनीकी सपोर्ट भी जरूरी है। ऐसी ही विश्वसनीय कंपनियों में Freyr Energy जैसे नाम को उपयुक्त माना जा सकता है।
रखरखाव और वारंटी को न करें नजरअंदाज
सोलर सिस्टम एक दीर्घकालिक निवेश है, ऐसे में इसके नियमित रखरखाव और वारंटी शर्तों को समझना जरूरी है। अधिकतर पैनलों पर 25 साल की वारंटी मिलती है, लेकिन इन्वर्टर, बैटरी और अन्य सहायक उपकरणों की वारंटी अलग-अलग हो सकती है। इसके अलावा, धूल और गंदगी से पैनल की दक्षता पर असर पड़ता है, इसलिए कुछ कंपनियां नियमित सफाई और मेंटेनेंस सेवा भी प्रदान करती हैं। एक सुचारु रखरखाव व्यवस्था से सोलर सिस्टम की उम्र और आउटपुट दोनों बेहतर रहते हैं।
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लागत और फाइनेंसिंग प्लान को लेकर बनाएं स्पष्ट रणनीति
भारत में सोलर सिस्टम की कीमत लगभग ₹3,500 से ₹35,000 प्रति किलोवॉट तक हो सकती है। यह लागत आपके क्षेत्र, ऊर्जा की आवश्यकता और चुनी गई तकनीक के आधार पर बदलती है। हालांकि, केंद्र सरकार की योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना इस लागत को काफी हद तक कम कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त, अब कई बैंक और NBFC (Non-Banking Financial Companies) सोलर सिस्टम पर आसान ईएमआई प्लान भी प्रदान कर रहे हैं। इससे आम उपभोक्ता भी बिना बड़ी रकम खर्च किए सोलर सिस्टम इंस्टॉल करवा सकते हैं।
सरकारी योजना का लाभ उठाना न भूलें
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत केंद्र सरकार 3 किलोवॉट तक की क्षमता वाले सोलर सिस्टम पर ₹78,000 तक की सब्सिडी और हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली दे रही है। यह योजना खास तौर पर मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए pmsuryaghar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। आवेदन प्रक्रिया को बेहद सरल बनाया गया है ताकि अधिक से अधिक लोग Renewable Energy की ओर कदम बढ़ा सकें।