
भारत में हाइड्रोजन ऊर्जा निवेश तेजी से एक उभरते हुए रणनीतिक क्षेत्र के रूप में सामने आ रहा है, जो न केवल पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह दीर्घकालिक निवेश के लिए भी अत्यधिक संभावनाओं से भरपूर है। सरकार की नीतिगत पहल, वैश्विक तकनीकी सहयोग और कॉर्पोरेट दिग्गजों की सक्रिय भागीदारी इस क्षेत्र को ऊर्जा क्षेत्र की अगली क्रांति बना रही है।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन: भारत का निर्णायक कदम
जनवरी 2023 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक 5 मिलियन टन प्रति वर्ष हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen) का उत्पादन करना है। इस महत्वाकांक्षी मिशन में ₹8 लाख करोड़ (€88 बिलियन) के निवेश की योजना है, जिससे देश में 6 लाख से अधिक हरित नौकरियाँ उत्पन्न होने की संभावना है। इस मिशन का लक्ष्य भारत को वैश्विक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में एक अग्रणी शक्ति बनाना है।
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लागत में गिरावट और तकनीकी नवाचार की दिशा
हरित हाइड्रोजन उत्पादन की लागत वर्तमान में €4.84-6.11 प्रति किलोग्राम है, जिसे 2030 तक घटाकर €1.37 प्रति किलोग्राम लाने की योजना है। यह लक्ष्य सस्ती रिन्यूएबल एनर्जी और उन्नत इलेक्ट्रोलाइज़र टेक्नोलॉजी के जरिए हासिल किया जाएगा। भारत में सूर्य और पवन जैसे प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता इस लक्ष्य को व्यवहारिक बनाती है। साथ ही, यूरोपीय देशों जैसे नॉर्वे के साथ हुए रणनीतिक तकनीकी समझौते, जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और नॉर्वे की NEL कंपनी की साझेदारी, इस दिशा में बड़ा योगदान दे रहे हैं।
कॉर्पोरेट दिग्गजों की भागीदारी: निजी क्षेत्र की भूमिका
भारत में रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडानी ग्रुप, BPCL और Sembcorp जैसी बड़ी कंपनियाँ हाइड्रोजन ऊर्जा क्षेत्र में मजबूत निवेश कर रही हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज जामनगर में ₹75,000 करोड़ की लागत से “धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स” स्थापित कर रही है, जिसमें इलेक्ट्रोलाइज़र और हाइड्रोजन ईंधन सेल्स का निर्माण शामिल है। वहीं, अडानी न्यू इंडस्ट्रीज $70 बिलियन के निवेश के साथ दुनिया का सबसे सस्ता हाइड्रोजन उत्पादक बनने की योजना पर कार्य कर रही है।
BPCL और सिंगापुर की Sembcorp के बीच हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को लेकर संयुक्त उद्यम की घोषणा भारत में इस क्षेत्र के प्रति वैश्विक रुचि को दर्शाती है।
निवेशकों के लिए सुनहरा अवसर
भारत सरकार ने 100% FDI (Foreign Direct Investment) को हाइड्रोजन ऊर्जा क्षेत्र में ऑटोमैटिक रूट के तहत अनुमति दी है, जिससे विदेशी निवेशकों को सरल और पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से भारत में निवेश करने का अवसर मिला है। इसके अलावा, PLI (Production-Linked Incentive) Scheme और आगामी 2025 के बजट में अपेक्षित टैक्स इंसेंटिव्स इस क्षेत्र में निवेश को और भी आकर्षक बना रहे हैं।
सरकार का उद्देश्य है कि निवेशकों को एक स्थिर और लाभदायक प्लेटफॉर्म प्रदान किया जाए, जो पर्यावरणीय स्थिरता के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी गति दे सके। ऐसे में यह क्षेत्र ESG (Environmental, Social, Governance) पोर्टफोलियो के लिए भी अनुकूल बनता जा रहा है।
शीर्ष ग्रीन हाइड्रोजन स्टॉक्स: निवेशकों की पसंद
भारत के प्रमुख ग्रीन हाइड्रोजन स्टॉक्स में NTPC और Larsen & Toubro को 94% की “BUY” रेटिंग मिली है, जो बाजार में इनकी मजबूत स्थिति को दर्शाता है। Reliance Industries को 78% “BUY” रेटिंग प्राप्त है जबकि Adani Green Energy का बाजार पूंजीकरण इसे निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाता है।
इन कंपनियों की तकनीकी क्षमता, नवाचार में निवेश, और सरकार के साथ तालमेल इस क्षेत्र को शेयर बाजार में भी स्थायित्व प्रदान करते हैं। ग्रीन हाइड्रोजन स्टॉक्स अब ऊर्जा क्षेत्र के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र में भी “फ्यूचर रेटिंग” का दर्जा पा रहे हैं।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण के लिए रणनीतिक निवेश
हरित हाइड्रोजन भारत के ऊर्जा भविष्य की रीढ़ बनने की ओर अग्रसर है। वैश्विक सहयोग, तकनीकी प्रगति और सरकारी समर्थन के साथ यह क्षेत्र उन निवेशकों के लिए अपार अवसर लेकर आया है, जो दीर्घकालिक लाभ और सतत विकास में विश्वास रखते हैं। हालांकि, किसी भी निवेश निर्णय से पहले व्यक्तिगत वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें, क्योंकि यह क्षेत्र अभी विकासशील है और कुछ जोखिमों से भी अछूता नहीं है।