
भारत ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक अहम मील का पत्थर हासिल किया है, अब भरता जापान को पीछे छोड़ते हुए सौर ऊर्जा उत्पन्न करने में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार को यह महत्वपूर्ण जानकारी दी और इस सफलता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता का परिणाम बताया। मंत्री ने बताया कि भारत ने अब तक 108,494 गीगावाट आवर (GWH) सौर ऊर्जा का उत्पादन किया है, जबकि जापान ने इस समय तक 96,459 GWH सौर ऊर्जा उतपन्न की है।
भारत की इस बड़ी उपलब्धि पर मंत्री ने क्या कहा?
केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) के आंकड़ों का हवाला देते हुए यह बताया कि भारत अब सौर ऊर्जा उत्पादन के मामले में वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर आ चुका है। भारत ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में लगातार विकास के साथ इस उच्च स्थान को प्राप्त किया है। जोशी ने इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए बताया कि भारत वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा क्रांति में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
जोशी ने कहा कि यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली क्षमता के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाए हुए है। भारत इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है, जो न केवल ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी अहम योगदान देगा।
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सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति
भारत ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी क्षमता को कई गुना बढ़ाया है, और इसके परिणामस्वरूप देश ने सौर ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है। भारत ने साल 2023 में इस क्षेत्र में कई योजनाओं की घोषणा की, जिनमें सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता को और बढ़ाने के लिए नीतियों और निवेशों की व्यवस्था की गई थी।
भारत में सौर ऊर्जा क्षमता की वृद्धि ने न केवल ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया है, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम किया है। यह सरकार के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य की ओर एक अहम कदम है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई हैं, जिनके तहत 2030 तक सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी को और अधिक बढ़ाने की योजना बनाई गई है।
चीन और अमेरिका में सौर ऊर्जा की बढ़ती क्षमता
भारत की इस उपलब्धि के बीच, वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा उत्पादन में चीन और अमेरिका का भी अहम योगदान रहा है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, सौर पीवी (Photovoltaic) क्षमता वृद्धि में चीन सबसे आगे है। चीन ने 2023 में 260 गीगावाट की वृद्धि की, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग तिगुना है। चीन के पास 2022 में नवीकरणीय ऊर्जा के लिए 14वीं पंचवर्षीय योजना के तहत कई महत्वाकांक्षी लक्ष्य थे, जिनसे सौर ऊर्जा के उत्पादन में और बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई है।
अमेरिका की बात करें, तो 2023 में सौर पीवी में 70% वृद्धि देखी गई, जो कि एक रिकॉर्ड 32 गीगावाट तक पहुंच गई। इस वृद्धि का कारण अमेरिका में मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम (IRA) में सौर ऊर्जा के लिए उदार नई धनराशि को शामिल करना था, जिससे सौर ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा मिला।
भारत के लिए सौर ऊर्जा का भविष्य
भारत के लिए सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल नजर आता है। वर्तमान में भारत ने 50 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता को पार किया है और आगे बढ़ने के लिए सरकार के पास कई योजनाएं हैं। इसके साथ ही, भारत में सौर ऊर्जा की लागत भी घट रही है, जिससे इसे और भी अधिक सस्ती और सुलभ बनाया जा रहा है।
भारत का यह सौर ऊर्जा क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम न केवल घरेलू ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत का योगदान भी महत्वपूर्ण होगा। भारत ने सौर ऊर्जा के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में अपनी जगह बनाई है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में यह विकास और तेज होगा।
भविष्य में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग की आवश्यकता
भारत के लिए सौर ऊर्जा का क्षेत्र केवल राष्ट्रीय विकास तक ही सीमित नहीं है। वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा की बढ़ती महत्वता और उपयोग को देखते हुए, अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता महसूस हो रही है। वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत को अपनी तकनीकी क्षमता और विशेषज्ञता साझा करने की आवश्यकता है।
भारत के पास सौर ऊर्जा के क्षेत्र में पर्याप्त क्षमता और संसाधन हैं, और इसके सहयोग से वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा के विकास को तेज किया जा सकता है। इस दिशा में भारत और अन्य देशों के बीच तकनीकी और निवेश सहयोग की संभावना बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।