
गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित ऐतिहासिक गांव मोढेरा, अब केवल अपने प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के लिए ही नहीं, बल्कि भारत का पहला 24×7 सोलर एनर्जी से संचालित गांव (Solar Powered Village) बनने के लिए भी जाना जाता है। अक्टूबर 2022 में यह गांव पूरी तरह से सौर ऊर्जा (Solar Energy) पर आधारित बिजली व्यवस्था से लैस हुआ, जिससे यहां के निवासियों को दिन-रात निर्बाध बिजली मिलती है। यह उपलब्धि न केवल तकनीकी दृष्टि से उल्लेखनीय है, बल्कि यह भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के क्षेत्र में एक बड़ा और प्रेरणादायक कदम मानी जा रही है।
₹80 करोड़ की संयुक्त परियोजना से बदली गांव की तस्वीर
भारत सरकार और गुजरात सरकार के संयुक्त प्रयास से इस प्रोजेक्ट को आकार दिया गया, जिसकी कुल लागत लगभग ₹80 करोड़ (लगभग $9.7 मिलियन) रही। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत मोढेरा में 6 मेगावाट (MW) क्षमता का ग्राउंड-माउंटेड सोलर पावर प्लांट स्थापित किया गया, जिसे 15 मेगावाट-घंटा (MWh) की एडवांस बैटरी स्टोरेज प्रणाली से जोड़ा गया है। इस बैटरी स्टोरेज से गांव को रात में भी निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होती है।
इस परियोजना का सबसे क्रांतिकारी पहलू यह है कि गांव के 1300 से अधिक घरों की छतों पर 1 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल लगाए गए हैं। इसका लाभ यह हुआ कि हर घर खुद अपनी बिजली पैदा कर रहा है, जिससे गांव की बिजली जरूरतें पारंपरिक ग्रिड से लगभग स्वतंत्र हो चुकी हैं।
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ग्रामीणों को बिजली बिल से मिली राहत और आत्मनिर्भरता
इस बदलाव ने गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति को भी सशक्त किया है। जहां पहले बिजली की भारी कीमतें उनकी जेब पर असर डालती थीं, वहीं अब 60% से 100% तक की बचत देखी जा रही है। गांव के कई परिवारों का बिजली बिल पूरी तरह शून्य हो चुका है। इससे ग्रामीणों में आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ी है और उनके मासिक खर्चों में उल्लेखनीय कमी आई है।
अब सौर ऊर्जा से हो रही अतिरिक्त कमाई
मोढेरा के निवासी केवल मुफ्त बिजली तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे अब अतिरिक्त बिजली का उत्पादन करके उससे कमाई भी कर रहे हैं। जिन घरों में सौर ऊर्जा की खपत कम होती है, वहां से बची हुई बिजली को सोलर ग्रिड में वापस भेजा जा रहा है, जिसके लिए उन्हें प्रति यूनिट भुगतान मिल रहा है। यह मॉडल अब ग्रामीण क्षेत्रों के लिए न सिर्फ ऊर्जा समाधान बन गया है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का साधन भी बन रहा है।
सार्वजनिक सुविधाएं भी पूरी तरह सौर ऊर्जा पर
मोढेरा में केवल घरों को ही नहीं, बल्कि सामुदायिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी सौर ऊर्जा से रोशन किया गया है। गांव की स्ट्रीट लाइट्स, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन और यहां तक कि प्रसिद्ध सूर्य मंदिर में होने वाला 3D लाइट शो भी पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित हो रहा है। यह दर्शाता है कि Renewable Energy केवल निजी उपयोग तक सीमित नहीं, बल्कि यह सार्वजनिक जीवन को भी व्यापक रूप से प्रभावित कर सकती है।
देशभर के गांवों के लिए बना प्रेरणा स्रोत
मोढेरा की यह सफलता अब पूरे भारत के लिए एक आदर्श मॉडल बन चुकी है। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना जैसी पहलों के माध्यम से अब देश के किसी भी गांव में सोलर पैनल लगाने के लिए सरकारी सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है।
यदि कोई और गांव इस मॉडल को अपनाना चाहता है, तो उसे सबसे पहले स्थानीय प्रशासन, ग्राम पंचायत और विश्वसनीय सोलर एनर्जी कंपनियों के साथ मिलकर योजना तैयार करनी होगी। सबसे जरूरी है कि गांव के नागरिक इस पहल में सक्रिय रूप से भाग लें ताकि यह केवल सरकारी योजना न होकर एक सामूहिक आंदोलन बन सके।
पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम
मोढेरा की यह कहानी यह सिद्ध करती है कि सौर ऊर्जा का प्रयोग केवल बिजली उत्पादन के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक सशक्तिकरण का जरिया भी बन सकता है। यह गांव अब उन लाखों ग्रामीण बस्तियों के लिए प्रेरणा बन चुका है जो फॉसिल फ्यूल्स पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहते हैं और क्लाइमेट चेंज से लड़ाई में सहभागी बनना चाहते हैं।
यह सिर्फ एक तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि सरकार, विज्ञान और समाज के सहयोग से उभरी नवाचार और आत्मनिर्भरता की प्रेरक कथा है, जो यह दर्शाती है कि यदि इच्छा शक्ति हो, तो गांव भी ऊर्जा क्रांति के केंद्र बन सकते हैं।