
भारत ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट (GW) गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। यह लक्ष्य भारत की पंचामृत जलवायु प्रतिबद्धताओं का हिस्सा है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने COP26 सम्मेलन में की थी। इसका उद्देश्य 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन प्राप्त करना है। यह रणनीति भारत को वैश्विक Renewable Energy परिदृश्य में अग्रणी भूमिका में लाने का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
जनवरी 2025 तक की प्रगति
जनवरी 2025 तक भारत की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता 217.62 GW तक पहुँच चुकी है, जो इस दीर्घकालिक लक्ष्य की दिशा में एक ठोस कदम है। विशेष रूप से वर्ष 2024 में, भारत ने 24.5 GW सौर ऊर्जा (Solar Energy) और 3.4 GW पवन ऊर्जा (Wind Energy) क्षमता जोड़ी, जो पिछले वर्षों की तुलना में एक रिकॉर्ड प्रदर्शन है। इन आँकड़ों से यह स्पष्ट है कि Renewable Energy के क्षेत्र में भारत ने अपनी गति तेज कर दी है।
मुख्य ऊर्जा स्रोतों की स्थिति
भारत की इस ऊर्जा क्रांति में सौर ऊर्जा को सबसे बड़ा योगदानकर्ता माना गया है, जिसका लक्ष्य 280 GW तक पहुँचाने का है। इसके अतिरिक्त पवन ऊर्जा का लक्ष्य 140 GW रखा गया है। जलविद्युत (Hydropower) और जैव ऊर्जा (Bioenergy) भी इस मिश्रण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। सरकार का फोकस एक विविधीकृत और संतुलित Renewable Energy पोर्टफोलियो तैयार करने पर है, जो पर्यावरणीय और व्यावसायिक दृष्टिकोण से दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ हो।
रणनीति और निवेश की दिशा
भारत ने वर्ष 2024 से 2030 तक हर साल 50 GW की नई परियोजनाओं के लिए निविदाएं जारी करने का रोडमैप तैयार किया है। यह रणनीति 500 GW के लक्ष्य तक समयबद्ध पहुंचने में मदद करेगी। इसके साथ ही, भारत ने लिथियम (Lithium) जैसे अहम खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए लैटिन अमेरिका के लिथियम-समृद्ध देशों के साथ रणनीतिक साझेदारियाँ की हैं। यह कदम इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी भंडारण प्रणाली जैसे भविष्य के ऊर्जा समाधानों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।
मौजूदा चुनौतियाँ
हालांकि भारत की Renewable Energy यात्रा में अब तक उल्लेखनीय प्रगति हुई है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी उभरकर सामने आई हैं। वर्ष 2024 में जारी की गई 73 GW की निविदाओं में से लगभग 8.5 GW को पर्याप्त बोलीदाता नहीं मिले। इसके अलावा, वर्ष 2020 से 2024 के बीच करीब 38.3 GW की परियोजनाएं रद्द कर दी गईं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वर्तमान गति बरकरार रही, तो वर्ष 2030 तक भारत केवल 378 GW की ही क्षमता स्थापित कर पाएगा, जो लक्ष्य से लगभग 122 GW कम होगा।
नीतियों का प्रभाव और भविष्य की दिशा
सरकार की ओर से लगातार सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। ऊर्जा मंत्रालय और नीति आयोग Renewable Energy सेक्टर में बाधाओं को दूर करने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। जमीन अधिग्रहण, वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति और परियोजनाओं की अनुमति में देरी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए विभिन्न नीतिगत सुधार लागू किए जा रहे हैं। इसके अलावा, सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP Model) को बढ़ावा दे रही है ताकि निजी निवेशकों को इस क्षेत्र में अधिक अवसर मिलें।
वैश्विक योगदान और सामरिक दृष्टिकोण
भारत का Renewable Energy लक्ष्य केवल घरेलू ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में भी एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारत की 500 GW की योजना न केवल दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ऊर्जा मांग को हरित स्रोतों से पूरा करने की ओर संकेत करती है, बल्कि यह विकासशील देशों के लिए भी एक प्रेरणा बन रही है। भारत का यह मॉडल ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) के क्षेत्र में वैश्विक रूप से अपनाए जाने योग्य उदाहरण बनता जा रहा है।