
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार में हाल के वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, और इस वृद्धि में लिथियम-आयन बैटरियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों का बढ़ता हुआ उपयोग, पर्यावरण की दृष्टि से आवश्यक ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ती प्राथमिकता और सरकार द्वारा समर्थित नीतियाँ इस उद्योग को आगे बढ़ाने में सहायक साबित हो रही हैं। लेकिन इस वृद्धि के साथ ही भारत की सबसे बड़ी चुनौती लिथियम-आयन बैटरियों की आपूर्ति की रही है, क्योंकि अब तक देश अपनी लिथियम की जरूरतों को आयात से पूरा करता था। इस परिदृश्य में हालिया घटनाओं ने भारत को लिथियम आपूर्ति में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक अहम कदम बढ़ाने का अवसर दिया है।
भारत में लिथियम के विशाल भंडार की खोज
फरवरी 2023 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले में 5.9 मिलियन टन लिथियम रिजर्व की खोज की। यह खोज भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि यह देश को लिथियम के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकती है। लिथियम, जो कि लिथियम-आयन बैटरियों के निर्माण में मुख्य रूप से उपयोग होता है, भारत की इलेक्ट्रिक वाहन और रिन्यूएबल एनर्जी- Renewable Energy क्षेत्र के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस खोज से न केवल भारत के बैटरी निर्माण उद्योग को बल मिलेगा, बल्कि देश के इकोनॉमिक डेवलपमेंट और पर्यावरणीय लक्ष्यों की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम साबित होगा।
भारतीय बैटरी विनिर्माण में बढ़ता निवेश
भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग और बैटरी निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई हैं। इनमें से एक प्रमुख योजना है उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना, जिसका उद्देश्य देश में बैटरी विनिर्माण की क्षमता को बढ़ाना है। सितंबर 2024 में, रिलायंस इंडस्ट्रीज को इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन बैटरियों के उत्पादन के लिए मंजूरी मिली। इस कदम से भारत में बैटरी विनिर्माण की क्षमता में भारी वृद्धि होने की उम्मीद है, जो न केवल घरेलू बाजार की मांग को पूरा करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक बैटरी आपूर्ति श्रृंखला में भी एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाएगा।
इसके अलावा, दक्षिण कोरिया की प्रमुख कंपनी एलजी एनर्जी सॉल्यूशंस और भारतीय कंपनी जेएसडब्ल्यू एनर्जी के बीच दिसंबर 2024 में एक महत्वपूर्ण साझेदारी की घोषणा की गई। इस साझेदारी के तहत 1.5 अरब डॉलर का निवेश भारत में इलेक्ट्रिक वाहन और रिन्यूएबल एनर्जी- Renewable Energy भंडारण के लिए बैटरियां बनाने में किया जाएगा। इस साझेदारी से भारत में बैटरी उत्पादन की क्षमता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की उम्मीद है, और इससे देश की इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी।
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आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में सरकार की नीतियाँ
भारत, अब तक अपनी अधिकांश लिथियम-आयन बैटरियों की जरूरतें आयात से पूरी करता था, लेकिन सरकार के प्रयासों और नए निवेशों से इस आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। लिथियम के घरेलू भंडार की खोज और बैटरी विनिर्माण के लिए बड़े निवेशों के परिणामस्वरूप, यह संभव हो सकता है कि भारत जल्द ही अपनी बैटरी की जरूरतों को स्थानीय उत्पादन के माध्यम से पूरा कर सके।
यह भी संभव है कि आने वाले समय में भारत न केवल अपने बैटरी उत्पादन को बढ़ाए, बल्कि बैटरी निर्यात में भी एक प्रमुख भूमिका निभाए। यदि इन प्रयासों को गति मिलती है, तो भारत का इलेक्ट्रिक वाहन बाजार और अधिक आत्मनिर्भर बन सकता है और वैश्विक बैटरी विनिर्माण क्षेत्र में एक मजबूत स्थिति स्थापित कर सकता है।
भारत का भविष्य: इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी निर्माण के क्षेत्र में नवाचार
भारत का इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग अब एक नई दिशा में अग्रसर है। देश में लिथियम-आयन बैटरियों के लिए बढ़ते निवेश, नवीनतम तकनीकी नवाचार और सरकारी नीतियों के समर्थन से यह उद्योग तेजी से विकास करेगा। इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग, रिन्यूएबल एनर्जी- Renewable Energy क्षेत्र में हो रही प्रगति और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए कदम भारत को वैश्विक बैटरी विनिर्माण क्षेत्र का एक प्रमुख खिलाड़ी बना सकते हैं।
भारत के लिए लिथियम-आयन बैटरी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का मतलब केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की सफलता नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने, रोजगार सृजन और पर्यावरण के लिए बेहतर भविष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा।