
भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास को एक साथ साधने के लिए 2030 तक की एक महत्वाकांक्षी Renewable Energy नीति की घोषणा की है। यह नीति न केवल देश को स्वच्छ ऊर्जा की ओर ले जाएगी, बल्कि वैश्विक जलवायु प्रतिबद्धताओं को भी मजबूती देगी। इस नीति के तहत, भारत ने 500 गीगावॉट (GW) गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता स्थापित करने, कुल विद्युत उत्पादन का 50% नवीकरणीय स्रोतों से सुनिश्चित करने, और हरित हाइड्रोजन उत्पादन में अग्रणी बनने का लक्ष्य तय किया है।
2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता का लक्ष्य
भारत की ऊर्जा नीति का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित विद्युत उत्पादन क्षमता को स्थापित करना है। इस लक्ष्य में सोलर-सौर ऊर्जा, विंड-पवन ऊर्जा, हाइड्रो-जलविद्युत, बायोमास और न्यूक्लियर-परमाणु ऊर्जा जैसे स्रोत शामिल हैं। यह कदम पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों पर देश की निर्भरता को कम करेगा और सतत विकास की दिशा में बड़ा परिवर्तन लाएगा।
कुल विद्युत उत्पादन का 50% Renewable स्रोतों से
भारत ने पेरिस समझौते के तहत अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) में यह वचन दिया है कि वह 2030 तक कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का कम से कम 50% गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करेगा। यह प्रतिबद्धता भारत की अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों की गहराई को दर्शाती है और इसे एक वैश्विक पर्यावरण लीडर के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
5 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य
भारत की ऊर्जा नीति का एक और अहम स्तंभ है Green Hydrogen Mission, जिसके तहत 2030 तक 5 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen) का उत्पादन किया जाएगा। हरित हाइड्रोजन न केवल पेट्रोलियम जैसे पारंपरिक ईंधनों का पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है, बल्कि यह औद्योगिक क्षेत्रों में ऊर्जा के स्वच्छ विकल्प के रूप में भी उभर रहा है। इससे भारत की ऊर्जा आयात निर्भरता में उल्लेखनीय कमी आएगी।
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सरकार की प्रमुख योजनाएं जो Renewable Energy को दे रही हैं गति
सरकार ने Renewable Energy क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कई रणनीतिक योजनाएं आरंभ की हैं। ‘राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन’ के तहत हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, स्टोरेज और उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। ‘पीएम-कुसुम योजना’ किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाले सिंचाई पंप मुहैया कराकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहित कर रही है। इसके साथ ही ‘पीएलआई योजना’ सौर पीवी मॉड्यूल के घरेलू निर्माण को मजबूती दे रही है। ‘पीएम सूर्य घर योजना’ शहरी और ग्रामीण घरों में रूफटॉप सोलर को अपनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
नीतिगत और ढाँचागत चुनौतियाँ
जहाँ इन योजनाओं की महत्वाकांक्षा साफ है, वहीं इसके सामने कुछ बड़ी चुनौतियाँ भी हैं। एक प्रमुख चुनौती है वित्तीय निवेश की कमी। 2030 तक के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हर साल लगभग 68 बिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान निवेश स्तर इस आँकड़े से काफी पीछे है। इसके अलावा भूमि अधिग्रहण और ट्रांसमिशन नेटवर्क की सीमाएं परियोजनाओं के कार्यान्वयन में बाधा बन रही हैं। राज्य सरकारों की भागीदारी भी कई बार धीमी रहती है, जिससे Renewable Energy प्रोजेक्ट्स में देरी हो रही है।
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Renewable Energy क्षेत्र में अब तक की प्रगति
अक्टूबर 2024 तक भारत की कुल स्थापित Renewable Energy क्षमता 203.18 GW हो चुकी है, जो कुल विद्युत उत्पादन क्षमता का लगभग 46.3% है। इसमें सबसे अधिक योगदान सौर ऊर्जा का है, जिसकी स्थापित क्षमता 92.12 GW तक पहुँच चुकी है। इसके अलावा पवन और जलविद्युत परियोजनाएं भी तीव्र गति से आगे बढ़ रही हैं।