
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना PLI स्कीम फॉर हाई-एफिशिएंसी सोलर PV मॉड्यूल्स ने देश की रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। सरकार के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, इस स्कीम के अंतर्गत 30 जून 2025 तक ₹48,120 करोड़ का निवेश हो चुका है, और इसके चलते 38,500 से अधिक नौकरियाँ उत्पन्न की जा चुकी हैं। यह उपलब्धि न केवल भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ विज़न को भी सशक्त कर रही है।
घरेलू उत्पादन को मिली गति 48,337 मेगावॉट की मंज़ूरी
सरकार द्वारा स्वीकृत इस PLI योजना के तहत देश में 48,337 मेगावॉट (MW) की सोलर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता को विकसित करने के लिए फुली और पार्टली इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को मंज़ूरी प्रदान की गई है। इससे भारत अब सोलर मॉड्यूल के आयात पर निर्भर रहने की बजाय एक निर्माता और निर्यातक के रूप में उभरने की दिशा में बढ़ रहा है। यह विकास ना केवल तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे स्थानीय रोजगार, इनोवेशन, और किफायती सोलर एनर्जी की संभावना भी तेज़ हुई है।
व्यापक PLI नीति के तहत चल रही योजना
प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम भारत सरकार की एक ऐसी रणनीतिक नीति है जिसका मकसद घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता कम करना और रोज़गार के अवसरों में वृद्धि करना है। सोलर PLI स्कीम इस नीति का एक महत्वपूर्ण अंग है।
यदि संपूर्ण PLI योजना को देखा जाए, तो मार्च 2025 तक कुल 14 सेक्टर्स में लागू की गई इन योजनाओं के जरिए ₹1.76 लाख करोड़ से अधिक का निवेश, ₹16.5 लाख करोड़ से ज़्यादा का उत्पादन, और 12 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन किया गया है।
सोलर सेक्टर को इसमें विशिष्ट प्राथमिकता दी गई है क्योंकि यह भारत के नेट ज़ीरो टारगेट, ग्रीन एनर्जी लक्ष्य, और ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए एक आवश्यक आधार प्रदान करता है।
ग्राउंड रियलिटी आंकड़ों के पीछे की असलियत
हालांकि यह सब सुनने में बेहद उत्साहजनक है, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स स्कीम की प्रगति पर सवाल भी उठाती हैं। Outlook Business की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक इस स्कीम के तहत बहुत ही सीमित इंसेंटिव राशि का वास्तविक वितरण हुआ है।
इसके अलावा, MSME सेक्टर (Micro, Small and Medium Enterprises) की भागीदारी बेहद सीमित रही है। जबकि यह सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है, उसकी इस योजना से दूर रहना चिंता का विषय है।
BusinessWorld की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कई प्रोजेक्ट्स को मंज़ूरी तो मिल गई है, लेकिन implementation यानी कार्यान्वयन में देरी हो रही है। यही वजह है कि सरकार अब इस योजना की समयसीमा को बढ़ाने पर भी विचार कर रही है, ताकि कंपनियों को पर्याप्त समय और संसाधन मिल सकें।
भारत की सोलर क्षमता और आत्मनिर्भरता का भविष्य
सोलर PLI स्कीम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे भारत को सोलर सेल और मॉड्यूल्स के आयात पर निर्भरता से छुटकारा मिल सकता है। अभी तक भारत चीन जैसे देशों से सोलर कंपोनेंट्स आयात करता रहा है, जो ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है।
लेकिन अब इस योजना के चलते भारत में ही सोलर वैल्यू चेन के विभिन्न हिस्सों का निर्माण प्रारंभ हो चुका है। इससे न केवल सोलर पैनल की कीमतों में गिरावट आएगी, बल्कि स्थायित्व, स्थानीय नवाचार, और दीर्घकालिक सप्लाई सिक्योरिटी भी सुनिश्चित होगी।
आगे की रणनीति स्टार्टअप्स और MSMEs को जोड़ने की तैयारी
नीति आयोग और MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) द्वारा योजना की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग, और इनसेंटिव वितरण प्रक्रिया को सरल करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि इस योजना से स्टार्टअप्स, MSMEs, और नवीन अनुसंधान एवं विकास (R&D) को भी बल मिले। भविष्य की रणनीति में हाई-एफिशिएंसी मॉड्यूल्स को बढ़ावा देने, और घरेलू स्तर पर उन्नत तकनीक विकसित करने पर फोकस किया गया है, ताकि भारत इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सके।
निवेश से आगे की सोच की आवश्यकता
PLI स्कीम फॉर हाई-एफिशिएंसी सोलर PV मॉड्यूल्स ने भारत को न केवल रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में आगे बढ़ाया है, बल्कि निवेश और रोजगार के नए रास्ते भी खोले हैं।
₹48,120 करोड़ का निवेश और 38,500 से अधिक नौकरियाँ यह दिखाती हैं कि भारत अब केवल एक उपभोक्ता नहीं, बल्कि ग्लोबल सोलर मैन्युफैक्चरिंग लीडर बनने की ओर अग्रसर है।
हालांकि, अभी भी चुनौतियाँ शेष हैं, जैसे इंसेंटिव वितरण की गति, MSMEs की भागीदारी, और कार्यान्वयन में देरी। यदि सरकार इन मुद्दों को गंभीरता से ले और उद्योग जगत साथ मिलकर समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए, तो यह योजना भारत की ऊर्जा नीति में एक ऐतिहासिक परिवर्तन ला सकती है।