
भारत में सौर ऊर्जा (Solar Energy) के क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहा है। घरेलू उत्पादन क्षमता में विस्तार और सरकार के सक्रिय कदमों के परिणामस्वरूप, भारत का सोलर परिदृश्य सकारात्मक दिशा में बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 के पहले आठ महीनों में सोलर सेल और मॉड्यूल का आयात क्रमशः 20% और 57% घट गया है। यह आंकड़े भारतीय सौर ऊर्जा उद्योग की बढ़ती आत्मनिर्भरता को दर्शाते हैं, जो घरेलू विनिर्माण क्षमता के विस्तार और सशक्त नीतिगत उपायों के साथ जुड़ा हुआ है।
भारत की सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम
भारत अब सौर सेल और मॉड्यूल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। रुबिक्स (Rubix), जो एक एनालिटिक्स सेवा प्रदाता है, ने अपने अनुमानों में बताया कि 2024-25 के पहले आठ महीनों में सोलर सेल और मॉड्यूल का आयात क्रमशः 20% और 57% घटा है। विशेष रूप से, चीन से आयात में भारी गिरावट आई है, जो पहले सोलर सेल के लिए 90% था, वह घटकर 56% और सोलर मॉड्यूल के लिए 65% हो गया है। यह भारत की सौर ऊर्जा में बढ़ती आत्मनिर्भरता का एक स्पष्ट संकेत है।
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सरकार की नीतियों का योगदान
भारत सरकार द्वारा उठाए गए नीतिगत कदमों ने भी इस बदलाव को तेज किया है। घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण योजना उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना है, जिससे भारतीय कंपनियों को वित्तीय सहायता मिल रही है और वे स्थानीय उत्पादन में वृद्धि कर रही हैं। इसके अलावा, सौर ऊर्जा क्षेत्र में टैक्स लाभ, कर छूट और अन्य प्रोत्साहन उपायों ने भारतीय निर्माताओं को आगे बढ़ने में मदद की है।
भारत में सौर ऊर्जा उद्योग में प्रमुख कंपनियों का योगदान
भारत की प्रमुख सौर कंपनियां जैसे टीपी सोलर (टाटा पावर की सौर विनिर्माण शाखा), रिलायंस इंडस्ट्रीज, वारी एनर्जी, विक्रम सोलर, गौतम सोलर, अदानी सोलर और रेने, सभी गीगावाट रेंज में अपनी क्षमता विस्तार की योजना बना रही हैं। इन कंपनियों के प्रयासों से न केवल घरेलू बाजार में सोलर उत्पादों की उपलब्धता बढ़ी है, बल्कि इन कंपनियों का लक्ष्य निर्यात बाजार में भी तेजी से अपनी जगह बनाना है।
निर्यात बाजार की ओर बढ़ते भारतीय निर्माता
भारत, जो अब सौर मॉड्यूल का प्रमुख निर्यातक बन चुका है, अपने सोलर सेल के निर्यात में भी सुधार कर रहा है। हालांकि, सौर सेल का निर्यात अभी बहुत अधिक नहीं है, लेकिन सौर मॉड्यूल का निर्यात 2023-24 में इसके सौर सेल निर्यात से लगभग 35 गुना अधिक था, जो मूल्य के संदर्भ में देखा जाए तो एक बड़ा अंतर है। रुबिक्स के अनुसार, भारत के सबसे बड़े घरेलू सौर निर्माता – वारी एनर्जी, अदानी सोलर और विक्रम सोलर – ने वित्त वर्ष 2024 तक अपने वार्षिक उत्पादन का आधा से अधिक निर्यात किया।
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भारत का लक्ष्य और वैश्विक महत्व
भारत ने 2021 में COP26 सम्मेलन में “पंचामृत” नामक एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी, जिसमें 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता तक पहुंचने, 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से आधी ऊर्जा जरूरतें पूरी करने और उत्सर्जन को 1 बिलियन टन तक कम करने का लक्ष्य रखा गया था। इस योजना के तहत, भारत 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (Net Zero Emissions) का लक्ष्य भी तय कर चुका है। यह जलवायु शमन के लिए भारत के प्रयासों को और सशक्त करता है, जिसमें हरित ऊर्जा (Green Energy) को प्राथमिकता दी जा रही है।