
India targets 160 GW solar module capacity by 2030—यह लक्ष्य देश की मौजूदा 80 गीगावॉट की सोलर मॉड्यूल क्षमता को दोगुना करने की योजना का हिस्सा है। National Solar Energy Federation of India (NSEFI) के CEO सुब्रमण्यम पुलिपाका ने TaiyangNews Solar Technology Conference India 2025 में इस विस्तार योजना का खुलासा किया। इस लक्ष्य के साथ, भारत की सेल प्रोडक्शन कैपेसिटी भी आठ गुना बढ़कर 120 GW तक पहुंचाई जाएगी, जो इस समय 15 GW है।
2024 में रिकॉर्ड 24.5 GW सोलर पावर जुड़ा ग्रिड से
साल 2024 भारत के लिए रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक रहा, जब रिकॉर्ड 24.5 GW सोलर पावर ग्रिड से जोड़ा गया। इसके साथ ही देश की कुल इंस्टॉल्ड सोलर कैपेसिटी 100 GW (AC) तक पहुंच गई, जो अब देश की पवन ऊर्जा क्षमता से दुगुनी हो चुकी है। यह उपलब्धि भारत की सोलर क्षमता को वैश्विक मानचित्र पर और मजबूत बनाती है।
सेल, वेफर और पॉलीसिलिकॉन निर्माण में भी आएगा उछाल
NSEFI प्रमुख के अनुसार, 2030 तक भारत की सोलर सेल निर्माण क्षमता को मौजूदा 15 GW से बढ़ाकर 120 GW किया जाएगा। इसके साथ ही वेफर और पॉलीसिलिकॉन उत्पादन में भी 100 GW की क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है। यह भारत को एक आत्मनिर्भर सोलर मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा। पुलिपाका ने इस अवसर पर कहा कि “भारत की सोलर यात्रा 4Ms—Machines, Materials, Manpower, और Money—को सही तरीके से संयोजित करने पर निर्भर करती है।”
NSEFI और SolarPower Europe के बीच समझौता
इस मौके पर NSEFI ने यूरोप की अग्रणी सोलर संस्था SolarPower Europe (SPE) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह साझेदारी दोनों संगठनों के बीच पहले से मौजूद सोलर डेप्लॉयमेंट सहयोग को मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भी विस्तारित करेगी। इस समझौते का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सोलर तकनीक और संसाधनों के बेहतर आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
यूरोपीय सहयोग से खुलेगा वैश्विक बाज़ार
SPE के COO माटे हाइस ने इस साझेदारी पर कहा कि यूरोप भारत की सोलर मैन्युफैक्चरिंग आकांक्षाओं में सहयोग देने को तैयार है। उन्होंने बताया कि Europe की सोलर प्रोडक्शन मशीनरी और विशेष अनुसंधान संस्थान भारत के लिए बड़ा सहारा बन सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने International Solar Manufacturing Initiative (ISMI) की शुरुआत की घोषणा की, जो भारत जैसे बाजारों को यूरोपीय सोलर आपूर्ति से जोड़ेगा। EU की Global Gateway योजना भी भारत में €150 अरब तक के निवेश का रास्ता खोल सकती है।
सोलर उद्योग के दिग्गजों का उत्साह
Reliance Group, Indosol Solar, Premier Energies और Emmvee Group जैसी बड़ी भारतीय सोलर कंपनियों के प्रतिनिधियों ने इस अवसर पर अपने विचार रखे और इस क्षेत्र की प्रगति पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि भारत अब सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि सोलर तकनीक का निर्माता बनने की दिशा में अग्रसर है।
इनोवेशन के बिना नहीं चलेगा काम
German इंजीनियरिंग कंपनी RCT Solutions के CEO प्रो. पीटर फाथ ने भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत को मानक तकनीकों को अपनाते हुए नवाचार के लिए भी तैयार रहना होगा। उन्होंने भारतीय कंपनियों को R&D बजट तय करने, नई सेल तकनीकों की तैयारी शुरू करने, और अपने स्वयं के पायलट प्रोजेक्ट्स व IP पोर्टफोलियो विकसित करने की सलाह दी।
IIT Bombay की टीम का परोवस्काइट तकनीक में कमाल
Conference के दौरान IIT Bombay के प्रोफेसर दिनेश काबरा ने परोवस्काइट और टैंडम सोलर तकनीकों पर भारत की रिसर्च का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि उनकी टीम ने ART PV India के साथ मिलकर 29.84% एफिशिएंसी हासिल की है और अब वे 2027 तक 30% एफिशिएंसी के लक्ष्य को व्यावसायिक स्तर पर लाने की तैयारी में हैं। यह भारत के सोलर रिसर्च के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
यह भी पढें-EU-India सोलर पार्टनरशिप में नई ताकत! NSEFI और SolarPower Europe ने मिलाया हाथ
सोलर पावर: सबसे सस्ती और स्थायी ऊर्जा
TaiyangNews के मैनेजिंग डायरेक्टर माइकल श्मेला ने इस इवेंट में वैश्विक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि सोलर ऊर्जा ही एकमात्र ऐसी तकनीक है जो ऊर्जा सुरक्षा, किफायती दर और स्थायित्व तीनों को एक साथ संतुलित करती है। उन्होंने कहा, “सोलर अब सबसे सस्ता पावर जनरेशन विकल्प है और इसकी लागत अन्य स्रोतों की तुलना में सबसे तेज़ी से घट रही है।” हालांकि उन्होंने यह भी आगाह किया कि टेरावॉट स्तर पर पहुंचते ही नीति निर्धारकों को ग्रिड, बैटरी और लोकल सप्लाई चेन के लिए ठोस नीति ढांचे की जरूरत होगी।
भारत का अगला बड़ा कदम
भारत अब अपनी सोलर मैन्युफैक्चरिंग रणनीति में नवाचार, वैश्विक सहयोग और नीति समर्थन का संयोजन करते हुए एक वैश्विक सोलर लीडर बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। अगर यह योजनाएं समय पर और प्रभावी ढंग से क्रियान्वित होती हैं, तो आने वाले वर्षों में भारत दुनिया के सबसे बड़े सोलर उत्पादक देशों में शामिल हो सकता है।