
जम्मू-कश्मीर के करनाह घाटी में स्थित सीमावर्ती गांव सिमरी-Simari को अब अंधेरे से आज़ादी मिल चुकी है। भारतीय सेना-Indian Army की वज्र डिवीजन और असीम फाउंडेशन-Aseem Foundation ने मिलकर इस गांव को सौर ऊर्जा-Solar Power और स्वच्छ ऊर्जा-Clean Energy के ज़रिए पूरी तरह से विद्युतीकृत कर दिया है। यह पहल चिनार कोर (Chinar Corps) की अगुवाई में चलाई गई सीमा विकास योजना का हिस्सा है, जो सरकार की वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-Vibrant Villages Programme से प्रेरित है।
Line of Control के करीब बसे गांव को मिली रोशनी और रसोई गैस
Simari गांव LOC के बेहद नज़दीक स्थित है, और इस गांव का एक हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आता है। सामरिक दृष्टि से यह गांव अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां भारत का पोलिंग बूथ नंबर-1 स्थित है। अब तक यहां के लोगों को बिजली और खाना पकाने की मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव था। लेकिन इस नई पहल ने सिमरी की 53 से ज्यादा घरों में सोलर माइक्रोग्रिड-Solar Microgrid और एलपीजी कुकिंग किट स्थापित कर दी है, जिससे उनकी जीवनशैली में आमूलचूल बदलाव आया है।
शहीद कर्नल संतोष महाडिक की स्मृति में समर्पित यह प्रोजेक्ट
यह संपूर्ण परियोजना शहीद कर्नल संतोष महाडिक (Shaurya Chakra, Sena Medal) की स्मृति में समर्पित की गई है, जिन्होंने देश की सेवा में अपने प्राण न्योछावर किए थे। इस ऐतिहासिक कार्य का उद्घाटन 14 अप्रैल 2025 को किया जाएगा, जिसमें कर्नल महाडिक की माता श्रीमती कलिंदा महाडिक, कमांडर टंगधार ब्रिगेड, और असीम फाउंडेशन के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक श्री सरंग गोसावी शामिल होंगे।
इस समारोह में स्थानीय नागरिकों, महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति भी सुनिश्चित की गई है, जिससे यह एक जनभागीदारी वाला आयोजन बनेगा।
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ग्रामीणों को मिला आत्मनिर्भरता का नया रास्ता
इस परियोजना ने Simari गांव को केवल बिजली और एलपीजी की सुविधा ही नहीं दी, बल्कि ग्रामीणों के आत्मविश्वास को भी नया आयाम दिया है। अब यहां के लोग बिजली की रोशनी में काम कर सकते हैं, बच्चों की पढ़ाई में रुकावट नहीं आएगी, और महिलाएं धुएं से मुक्त रसोई में खाना बना सकेंगी।
Indian Army और Aseem Foundation की यह साझेदारी सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को स्वच्छ ऊर्जा-Renewable Energy और सतत विकास-Sustainable Development के ज़रिए मुख्यधारा में लाने की एक सकारात्मक पहल है।
चाइनार कोर की ‘डिफेंस से डेवलपमेंट’ की नीति
भारतीय सेना की चिनार कोर हमेशा से ही न केवल सुरक्षा बल के रूप में बल्कि समाज के सच्चे विकासकर्ता के रूप में कार्यरत रही है। इस परियोजना से यह साफ़ हो जाता है कि सेना केवल सीमा की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि वह समाज के सबसे पिछड़े और दूरस्थ इलाकों को भी रोशन करने के मिशन में लगी हुई है।
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Aseem Foundation के साथ सेना की यह संयुक्त पहल ग्रामीण विद्युतीकरण-Rural Electrification, क्लीन एनर्जी एडॉप्शन, और कम्युनिटी एंपावरमेंट के उद्देश्यों को बखूबी पूरा कर रही है।
राष्ट्र निर्माण की दिशा में सेना और सिविल सोसाइटी की संयुक्त पहल
इस तरह के प्रोजेक्ट न केवल सीमावर्ती गांवों के जीवन में बदलाव लाते हैं, बल्कि देश की सिविल और सैन्य संस्थाओं के बीच मजबूत तालमेल का प्रतीक भी बनते हैं। यह पहल दिखाती है कि भारत की सीमाओं की रक्षा करने वाले जवान अब उन सीमाओं को आर्थिक, सामाजिक और ऊर्जा सुरक्षा से भी समृद्ध बना रहे हैं।
Simari जैसे गांवों में जब सौर ऊर्जा-संचालित बल्ब, एलपीजी स्टोव और स्वच्छ रसोई दिखने लगती है, तो यह केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं बल्कि एक मानसिक क्रांति का प्रतीक बन जाता है।
सीमावर्ती गांवों के लिए आशा की नई किरण
सिमरी गांव में यह परिवर्तन एक उदाहरण बन चुका है कि अगर सरकार, सेना और सिविल सोसाइटी मिलकर काम करें, तो देश का कोई भी कोना विकास से अछूता नहीं रह सकता। यह मॉडल अन्य सीमावर्ती गांवों के लिए एक प्रेरणादायक रोडमैप बन सकता है, जिससे देश के अंतिम छोर तक रोशनी पहुंचे।