
इंडिया सोलर कंपनी निर्माता Waaree Energies (WAAN.NS) ने अमेरिकी में अपने निर्यात को लेकर भरोसा जताया है, और कहा है कि अमेरिका में चल रही इस एंटी-डंपिंग जांच से कंपनी की योजनाएं इधर-उधर नहीं होगी, और वह किसी भी तरह अनुचित व्यापारिक व्यवहार में शामिल नहीं रहेगा।
अमेरिका की जांच और Waaree का जवाब
दरअसल, 17 जुलाई को अमेरिकी सोलर कंपनियों के एक समूह ने भारत, इंडोनेशिया और लाओस से सोलर पैनल आयात पर टैरिफ लगाने की मांग करते हुए अमेरिकी वाणिज्य विभाग (U.S. Commerce Department) में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में Waaree Energies का नाम भी शामिल था और उस पर अमेरिका में कम कीमतों पर सोलर पैनल बेचने का आरोप लगाया गया था, जिसे “डंपिंग” कहा जाता है।
हालांकि, कंपनी ने पहली बार इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके व्यापार मॉडल और मूल्य निर्धारण (Pricing) पूरी तरह से नियामकीय ढांचे के तहत हैं। “हम किसी भी तरह के शिकारमूल्य निर्धारण (Predatory Pricing) में विश्वास नहीं रखते। हमारी नीतियां पूरी तरह पारदर्शी और नियमानुसार हैं, इसलिए हमें इन जांचों से कोई डर नहीं,” पैठनकर ने रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा।
अमेरिकी बाजार में मजबूत पकड़ और भविष्य की रणनीति
Waaree Energies ने यह भी जानकारी दी कि उसे पिछली तिमाही में अमेरिका से 2.23 गीगावॉट (GW) के ऑर्डर प्राप्त हुए हैं, जो कंपनी की अमेरिका में बढ़ती मौजूदगी को दर्शाता है। संभावित टैरिफ के असर को कम करने के लिए कंपनी अमेरिका में अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को तेजी से विस्तारित कर रही है।
“यदि आप अमेरिका में स्थानीय तौर पर निर्माण करते हैं, तो एंटी-डंपिंग ड्यूटीज़ का प्रभाव न्यूनतम होता है,” CEO ने कहा। उन्होंने बताया कि कंपनी इस साल के अंत तक अपनी अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को दोगुना करते हुए 3.2 गीगावॉट तक ले जाने की योजना बना रही है।
Renewable Energy में निवेश और नए बाजारों की खोज
वैश्विक स्तर पर रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) सेक्टर में नीति परिवर्तन और नियामकीय सख्ती के बावजूद, Waaree Energies को अपने सोलर निर्यात में किसी प्रकार की मंदी की आशंका नहीं है। कंपनी का मानना है कि अमेरिका में डेटा सेंटर्स, मैन्युफैक्चरिंग रेशोरिंग और इलेक्ट्रिक ट्रांसपोर्टेशन के चलते बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे सोलर पैनलों की मांग बनी रहेगी।
CEO अमित पैठनकर ने आगे बताया कि कंपनी के पास लगभग 100 गीगावॉट की संभावित ऑर्डर पाइपलाइन है, जिसमें एक बड़ा हिस्सा अमेरिका से आने की उम्मीद है। “हम अमेरिका को अपने सबसे बड़े बाजारों में से एक के रूप में देखते हैं, और वहां की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियां तैयार कर रहे हैं,” उन्होंने कहा।
विस्तार और अधिग्रहण की दिशा में कदम
Waaree Energies केवल अमेरिका पर ही निर्भर नहीं रहना चाहती। कंपनी भारत के व्यापार समझौतों (Trade Agreements) के तहत नए बाजारों की तलाश में है और अपने व्यापार को ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक दोनों माध्यमों से बढ़ाना चाहती है। पैठनकर के अनुसार, कंपनी बैटरी स्टोरेज (Battery Storage) और हाइड्रोजन (Hydrogen) जैसे क्षेत्रों में अधिग्रहण की संभावनाओं को भी खंगाल रही है।
इस दिशा में कंपनी की रणनीति यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि वह ना सिर्फ सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग में आगे रहे, बल्कि Renewable Energy के पूरे वैल्यू चेन में अपनी मौजूदगी मजबूत करे।
IPO के बाद Global Expansion की ओर तेजी
Waaree Energies का यह आत्मविश्वास ऐसे समय पर सामने आया है जब भारत और अमेरिका दोनों देशों में Renewable Energy को लेकर नई नीतियां और संरक्षण वादी कदम उठाए जा रहे हैं। भारत में कंपनी का हालिया IPO भी काफी चर्चा में रहा था, जिससे प्राप्त पूंजी का उपयोग ग्लोबल विस्तार में किया जा रहा है।
जहां अमेरिकी कंपनियां आयातित पैनलों के कारण कीमतों में गिरावट की शिकायत कर रही हैं, वहीं Waaree इस चुनौती को अवसर में बदलने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है। कंपनी के अनुसार, स्थानीय उत्पादन और वैश्विक स्तर पर रणनीतिक निवेश उन्हें दीर्घकालिक लाभ की ओर ले जाएंगे।