4 किलोवाट (kW) का सोलर सिस्टम आपके घर या छोटे व्यवसाय की बिजली जरूरतों को पूरा करने का एक किफायती और पर्यावरण-सम्मत विकल्प है। यह सिस्टम न केवल आपके बिजली बिल को कम करता है, बल्कि आपको सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का भी लाभ दिला सकता है।
इस लेख में, हम आपको 4kW सोलर सिस्टम की कुल लागत, सरकारी सब्सिडी, और स्थापना की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे। साथ ही, इसे चुनने के फायदे और इसे स्थापित करने के लिए आसान स्टेप्स का गाइड भी देंगे।
4kW का सोलर सिस्टम आपके बिजली बिल में बचत करने और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनने का एक उत्कृष्ट तरीका है। सरकारी सब्सिडी की मदद से इसे लगवाना अब पहले से कहीं अधिक किफायती हो गया है।
सोलर सिस्टम कैसे काम करता है?
सोलर सिस्टम सूर्य की ऊर्जा को बिजली में बदलने के लिए सोलर पैनल का उपयोग करता है। 4kW सिस्टम में लगभग 10-12 पैनल शामिल होते हैं, जो 300-400 वाट के होते हैं। यह बिजली आपके घर में उपकरण चलाने या बैटरी में स्टोर करने के काम आती है।
- ऑन-ग्रिड सिस्टम:
- यह सिस्टम सीधे बिजली ग्रिड से जुड़ा होता है।
- अगर अतिरिक्त बिजली उत्पन्न होती है, तो आप इसे ग्रिड को बेच सकते हैं और इसका क्रेडिट प्राप्त कर सकते हैं।
- ऑफ-ग्रिड सिस्टम:
- यह पूरी तरह से ग्रिड से स्वतंत्र होता है।
- इसमें बैटरी का उपयोग होता है, जो बिजली को स्टोर करती है और रात में सप्लाई करती है।
4kW सोलर सिस्टम लगाने की प्रक्रिया
- अपनी जरूरतों का आकलन करें:
- अपने बिजली बिल को देखें और औसत मासिक खपत का पता लगाएं।
- एक 4kW सोलर सिस्टम प्रतिदिन 16-20 यूनिट बिजली उत्पन्न करता है, जो औसत भारतीय घर के लिए पर्याप्त है।
- पंजीकरण और सब्सिडी के लिए आवेदन करें: सरकारी सब्सिडी का लाभ पाने के लिए राष्ट्रीय सोलर पोर्टल pmsuryaghar.gov.in पर पंजीकरण करें। इसके बाद:
- सभी आवश्यक दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, बिजली बिल और बैंक विवरण अपलोड करें।
- आवेदन के बाद स्थानीय डिस्कॉम अधिकारी निरीक्षण करेंगे।
- प्रमाणित वेंडर चुनें:
- सरकार द्वारा प्रमाणित वेंडर से सोलर सिस्टम की खरीद करें।
- सही वेंडर का चयन करने के लिए उनके अनुभव और ग्राहक समीक्षाओं की जांच करें।
- इंस्टॉलेशन और निरीक्षण:
- वेंडर द्वारा सिस्टम की इंस्टॉलेशन के बाद, डिस्कॉम का एक अधिकारी अंतिम निरीक्षण करेगा।
- सब्सिडी स्वीकृत होने के बाद, राशि सीधे आपके खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।
4kW सोलर सिस्टम की लागत और सब्सिडी
प्रकार | कुल लागत | सब्सिडी | अंतिम लागत |
---|---|---|---|
ऑन-ग्रिड सिस्टम | ₹2,40,000 | ₹78,000 | ₹1,62,000 |
ऑफ-ग्रिड सिस्टम | ₹2,80,000 | नहीं लागू | ₹2,80,000 |
सरकारी सब्सिडी के अनुसार:
- पहले 3kW पर 40% सब्सिडी मिलती है।
- 3kW के बाद 20% सब्सिडी दी जाती है।
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4kW सोलर सिस्टम के फायदे
- प्रतिदिन 16-20 यूनिट बिजली उत्पन्न होती है, जिससे मासिक बिजली बिल में ₹4,800 तक की बचत हो सकती है।
- यह कार्बन उत्सर्जन को कम करता है और एक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है।
- सोलर पैनल की औसत आयु 25 साल होती है, और इसे बनाए रखना बेहद आसान है।
- शुरुआती निवेश थोड़ा अधिक हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक लाभ इसे एक लाभदायक विकल्प बनाते हैं।
- सोलर सिस्टम लगाने से आपको ऊर्जा के लिए पूरी तरह से ग्रिड पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होती।
तकनीकी विवरण: बिजली उत्पादन का गणित
- 1kW सोलर सिस्टम = प्रतिदिन 4-5 यूनिट बिजली।
- 4kW सोलर सिस्टम = प्रतिदिन 16-20 यूनिट बिजली।
उदाहरण: यदि आपकी बिजली की खपत प्रति माह 500 यूनिट है और आप ₹8 प्रति यूनिट भुगतान कर रहे हैं, तो एक 4kW सिस्टम आपका 75-80% बिजली बिल खत्म कर सकता है।
1. 4kW सोलर सिस्टम कितनी जगह लेता है?
यह सिस्टम लगभग 300-350 वर्ग फुट जगह लेता है।
2. क्या सोलर सिस्टम बारिश में काम करता है?
हाँ, यह हल्की धूप या बादलों के दौरान भी काम करता है, लेकिन बिजली उत्पादन कम हो सकता है।
3. क्या सब्सिडी पूरे भारत में लागू है?
हाँ, लेकिन राज्य के अनुसार सब्सिडी की राशि और प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है।
4. क्या यह प्रणाली बैकअप प्रदान करती है?
ऑफ-ग्रिड सिस्टम बैकअप प्रदान करता है। ऑन-ग्रिड सिस्टम में बैकअप की आवश्यकता होती है।
5. रखरखाव कितना जरूरी है?
सोलर पैनल को हर 6 महीने में साफ करने की जरूरत होती है। अन्य रखरखाव न्यूनतम होता है।