
हाइड्रोजन ईंधन (Hydrogen Fuel) एक उभरती हुई रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) तकनीक है, जो वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए नई आशाओं का संचार कर रही है। भारत सहित कई देश अब इस विकल्प की ओर गंभीरता से देख रहे हैं, विशेष रूप से भारी परिवहन और औद्योगिक क्षेत्रों में। हाल ही में आदानी समूह द्वारा भारत का पहला हाइड्रोजन चालित ट्रक लॉन्च किया जाना इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, इसके साथ-साथ इस तकनीक की सुरक्षा, लागत और सौर ऊर्जा के मुकाबले इसकी उपयोगिता जैसे प्रश्न भी सामने आ रहे हैं, जिनका विश्लेषण करना आवश्यक है।
क्या हाइड्रोजन ईंधन सुरक्षित है?
हाइड्रोजन गैस अत्यधिक ज्वलनशील होती है और हवा में केवल 4% की सांद्रता पर भी यह आग पकड़ सकती है। यह तथ्य इसे पारंपरिक ईंधनों की तुलना में अधिक संवेदनशील बनाता है, खासकर तब जब इसे उच्च दबाव वाले टैंकों में संग्रहित किया जाता है। साथ ही, यह रंगहीन और गंधहीन होती है, जिससे लीक होने पर इसका पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, हाल के वर्षों में तकनीकी प्रगति और वैश्विक सुरक्षा मानकों के चलते हाइड्रोजन को सुरक्षित रूप से संभालने के उपाय संभव हो पाए हैं। स्मार्ट सेंसर, ऑटोमैटिक डिटेक्शन सिस्टम्स और नियंत्रित वातावरण में इसका भंडारण अब इसे व्यावसायिक प्रयोग के लिए अधिक सुरक्षित बना रहे हैं।
हाइड्रोजन बनाम सौर ऊर्जा: कौन है अधिक प्रभावी?
जब बात होती है स्वच्छ ऊर्जा की, तो सौर ऊर्जा (Solar Energy) सबसे लोकप्रिय विकल्पों में से एक है। लेकिन हाइड्रोजन ईंधन एक ऐसी तकनीक है जो उन क्षेत्रों में उपयोगी सिद्ध हो सकती है जहाँ सौर ऊर्जा सीमित है या ऊर्जा की अधिक घनता की आवश्यकता है। हाइड्रोजन का ऊर्जा घनत्व लगभग 120 मेगाजूल प्रति किलोग्राम (MJ/kg) होता है, जो इसे लंबी दूरी के परिवहन और उच्च तापमान वाली औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए उपयुक्त बनाता है।
इसके विपरीत, सौर पैनल्स की ऊर्जा घनता कम होती है, लेकिन यह एक स्थायी और लगातार ऊर्जा स्रोत के रूप में कार्य करता है। भारत जैसे देश में जहाँ सूरज की रोशनी प्रचुर मात्रा में मिलती है, वहां सौर ऊर्जा पहले से ही व्यापक रूप से उपयोग में है। वहीं दूसरी ओर, हाइड्रोजन ईंधन के लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर अभी विकास के चरण में है और इसकी लागत भी तुलनात्मक रूप से अधिक है। लेकिन हाइड्रोजन का लाभ यह है कि इसे स्टोर कर भविष्य के लिए बचाया जा सकता है, जो सौर ऊर्जा के साथ संभव नहीं होता।
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भारत में हाइड्रोजन ईंधन के प्रमुख उपयोग
भारत में हाइड्रोजन ईंधन के संभावित उपयोग क्षेत्रों में भारी वाहन परिवहन अग्रणी है। छत्तीसगढ़ में हाल ही में आदानी समूह ने 40 टन क्षमता वाले हाइड्रोजन चालित ट्रक का उद्घाटन किया, जो एक बार में लगभग 200 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। यह पहल खनन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में क्लीन एनर्जी को अपनाने की दिशा में एक बड़ी शुरुआत है।
इसके अतिरिक्त, इस्पात, सीमेंट और रसायन जैसे भारी उद्योगों में हाइड्रोजन का उपयोग उच्च तापमान प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है, जिससे पारंपरिक कोयले या गैस के मुकाबले कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी संभव है। ऊर्जा भंडारण के रूप में भी हाइड्रोजन का उपयोग बढ़ रहा है। यह विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब सौर या पवन ऊर्जा की उपलब्धता कम हो या अस्थिर हो। वहीं अंतरिक्ष और विमानन उद्योगों में भी हाइड्रोजन का उपयोग दशकों से हो रहा है। इसके उच्च ऊर्जा-से-भार अनुपात के कारण यह रॉकेट ईंधन के रूप में आदर्श विकल्प बनता है और अब इसे विमानन क्षेत्र में भी इस्तेमाल करने की दिशा में शोध चल रहे हैं।
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क्या दोनों तकनीकों का संयोजन भविष्य हो सकता है?
यह स्पष्ट है कि सौर ऊर्जा और हाइड्रोजन ईंधन दोनों की अपनी-अपनी खूबियाँ और सीमाएँ हैं। सौर ऊर्जा वर्तमान में व्यापक रूप से उपलब्ध और अपेक्षाकृत सस्ती है, जिससे यह घरों और व्यावसायिक उपयोग के लिए उपयुक्त बनती है। वहीं हाइड्रोजन ईंधन उन परिस्थितियों में उपयोगी है जहाँ अधिक ऊर्जा घनता की आवश्यकता होती है और दीर्घकालिक भंडारण जरूरी होता है।
भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए, विशेषज्ञ मानते हैं कि हाइड्रोजन और सौर ऊर्जा का संयोजन एक स्थायी और बहुआयामी ऊर्जा प्रणाली की नींव रख सकता है। उदाहरण के लिए, दिन के समय में अतिरिक्त सौर ऊर्जा का उपयोग करके पानी से हाइड्रोजन उत्पन्न किया जा सकता है, जिसे रात के समय या ऊर्जा मांग के चरम समय में उपयोग किया जा सकता है। इस तरह यह दोनों तकनीकें एक-दूसरे की पूरक बन सकती हैं।