क्या टाटा सोलर किसानों के लिए फायदेमंद है? जानिए PM-KUSUM योजना का सच!

Pm-Kusum योजना और Tata Solar की जुगलबंदी से किसान बन सकते हैं Renewable Energy उद्यमी जानें कैसे सौर पंप सिर्फ सिंचाई नहीं, बल्कि कमाई का साधन भी बन सकते हैं!

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Written by Rohit Kumar

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क्या टाटा सोलर किसानों के लिए फायदेमंद है? जानिए PM-KUSUM योजना का सच!
क्या टाटा सोलर किसानों के लिए फायदेमंद है? जानिए PM-KUSUM योजना का सच!

प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान यानी PM-KUSUM योजना और टाटा पावर सोलर की साझेदारी भारतीय कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति लेकर आई है। यह योजना न केवल सिंचाई के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत प्रदान करती है, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाती है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां डीजल या बिजली की आपूर्ति अस्थिर है, वहां सोलर पंप गेम चेंजर साबित हो रहे हैं। इस लेख में हम पीएम-कुसुम योजना के तीनों घटकों, सब्सिडी, टाटा सोलर के फायदों और आवेदन प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

पीएम-कुसुम योजना के तीन मुख्य घटक

PM-KUSUM योजना को तीन भागों में बांटा गया है ताकि अलग-अलग जरूरतों वाले किसानों को उनकी स्थिति के अनुसार लाभ मिल सके।

पहला घटक, घटक-A, किसानों को 2 मेगावाट तक की ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाएं लगाने की अनुमति देता है। किसान इस सौर ऊर्जा को DISCOMs को बेचकर स्थायी आय प्राप्त कर सकते हैं। यह एक दीर्घकालिक निवेश है, जिससे ग्रामीण भारत में ऊर्जा उत्पादन का विकेंद्रीकरण भी होता है।

दूसरा, घटक-B, उन क्षेत्रों के लिए है जो ऑफ-ग्रिड हैं यानी जहां बिजली नहीं पहुंची है। इस घटक के अंतर्गत 7.5 हॉर्सपावर तक के स्टैंडअलोन सोलर पंप लगाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। इससे उन किसानों को सिंचाई के लिए डीजल पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।

तीसरा, घटक-C, ग्रिड से जुड़े पारंपरिक कृषि पंपों के सौरकरण पर केंद्रित है। इस प्रक्रिया में मौजूदा पंपों को सौर ऊर्जा चालित बनाया जाता है, जिससे किसान अपनी जरूरत से ज्यादा बिजली ग्रिड को बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं।

किसानों को मिलने वाली सब्सिडी और वित्तीय सहायता

इस योजना के तहत सरकार किसानों को सोलर पंप की कुल लागत पर 60% तक की सब्सिडी देती है। इसमें 30% केंद्र सरकार और 30% राज्य सरकार का योगदान होता है। बाकी 40% लागत में से 30% किसान को ऋण के रूप में दिया जाता है और केवल 10% राशि किसान को स्वयं वहन करनी होती है। यह एक बड़ी राहत है, खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए जो अपनी सीमित आय में बड़ा निवेश नहीं कर सकते।

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टाटा सोलर पंप: भरोसे का नाम

टाटा पावर सोलर इस योजना में एक अधिकृत एजेंसी के रूप में कार्यरत है और यह किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले सोलर पंप प्रदान करती है। इन पंपों की सबसे बड़ी विशेषता है इनका न्यूनतम रखरखाव और लंबी उम्र। एक बार लगाने के बाद यह पंप वर्षों तक बिना किसी बड़ी मरम्मत के काम करते हैं।

इन पंपों के माध्यम से किसान डीजल या ग्रिड बिजली की लागत से मुक्त हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, दिन के समय नियमित और सतत सिंचाई की सुविधा मिलती है, जिससे खेती का उत्पादन बेहतर होता है। साथ ही, ये पंप पर्यावरण के लिए भी लाभकारी हैं क्योंकि ये ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करते हैं।

अतिरिक्त आय का स्रोत: सौर बिजली की बिक्री

PM-KUSUM योजना का एक और बड़ा लाभ यह है कि किसान अपने खेतों में लगे सोलर पंपों से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को DISCOMs को बेचकर अच्छी खासी आय कमा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, बिहार में 1 मेगावाट की सौर परियोजना के तहत एक किसान प्रति वर्ष ₹58 लाख तक की आय अर्जित कर सकता है। यह किसानों के लिए सिर्फ एक सिंचाई साधन नहीं, बल्कि एक स्थायी आय का माध्यम भी बन चुका है।

आवेदन प्रक्रिया: कैसे पाएं योजना का लाभ

अगर आप भी इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो इसके लिए आवेदन प्रक्रिया बेहद सरल है। सबसे पहले अपने राज्य की नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग की वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण करें। इसके बाद ज़रूरी दस्तावेज़ जैसे भूमि प्रमाणपत्र, पहचान पत्र आदि अपलोड करें। दस्तावेजों की जांच और स्वीकृति के बाद सोलर पंप की स्थापना की जाती है।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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