
कर्नाटक में ऊर्जा क्षेत्र एक विरोधाभासी स्थिति से जूझ रहा है, राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी “गृह ज्योति” मुफ्त बिजली योजना और केंद्र सरकार की “पीएम सूर्य घर” सोलर सब्सिडी योजना के बीच का टकराव, राज्य के हरित ऊर्जा संक्रमण की गति को गंभीर रुप से धीमा कर रहा है।
विरोधाभास और चुनौतियां
वित्तीय प्रोत्साहन की कमी
“गृह ज्योति” योजना के तहत, कर्नाटक के पात्र परिवारों को हर महीने 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलती है, यह सीमा अधिकांश मध्यम वर्ग के घरों की खपत को कवर करती है। नतीजतन, उपभोक्ताओं को सोलर पैनल की स्थापना के लिए प्रारंभिक भारी निवेश (upfront investment) करने में कोई आर्थिक तर्क या तत्काल लाभ नहीं दिखाई देता है।
योजनाओं का टकराव
राज्य की मुफ्त बिजली की पेशकश ने स्वाभाविक रूप से केंद्र की सोलर सब्सिडी योजना से मिलने वाले संभावित वित्तीय रिटर्न को फीका कर दिया है, उपभोक्ता उस विकल्प को प्राथमिकता दे रहे हैं जिसके लिए उन्हें कोई पूंजीगत व्यय नहीं करना पड़ता है, भले ही सोलर ऊर्जा पर्यावरण के लिए बेहतर और लंबी अवधि में अधिक फायदेमंद हो।
प्रक्रियात्मक और जागरुकता संबंधी बाधाएं
हालांकि पीएम सूर्य घर योजना के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन संख्या उत्साहजनक है, लेकिन वास्तविक इंस्टॉलेशन दरें काफी कम हैं, उद्योग के विशेषज्ञों ने नौकरशाही बाधाओं, वेंडर चयन में देरी और सब्सिडी वितरण की जटिल प्रक्रिया को इसका प्रमुख कारण बताया है। इसके अतिरिक्त, अतिरिक्त बिजली को ग्रिड को बेचकर (नेट-मीटरिंग) कमाई करने के लाभों के बारे में जागरूकता की कमी भी एक कारक है।
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प्रभाव और उद्योग की प्रतिक्रिया
इस गतिरोध का सीधा असर कर्नाटक के आवासीय सोलर रुफटॉप बाजार पर पड़ा है, महाराष्ट्र, केरल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की तुलना में कर्नाटक में आवासीय सोलर इंस्टॉलेशन की संख्या काफी पीछे है, सोलर उद्योग के प्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र में व्यापार में कम से कम 30% की गिरावट दर्ज की है, उनका तर्क है कि जब तक राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाएं एक-दूसरे की पूरक नहीं बनतीं, तब तक घरेलू स्तर पर अक्षय ऊर्जा को अपनाना मुश्किल रहेगा।
कर्नाटक में नीतिगत टकराव ने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जहाँ तत्काल राजनीतिक लाभ (मुफ्त बिजली) दीर्घकालिक पर्यावरणीय लक्ष्यों (हरित ऊर्जा संक्रमण) पर भारी पड़ रहा है, राज्य की अक्षय ऊर्जा क्षमता का दोहन करने के लिए दोनों स्तरों पर नीतियों में तालमेल बिठाना आवश्यक है।







