एक बार फुल चार्ज करने के बाद बिजली देगा 15 घंटे ये इंवर्टर, देखें पूरी जानकारी

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एक बार फुल चार्ज करने के बाद बिजली देगा 15 घंटे ये इंवर्टर, देखें पूरी जानकारी

सौर ऊर्जा आधुनिक युग में एक किफायती ऊर्जा का स्रोत बन गया है, बिजली की जरूरतें बढ़ रही है, जिससे ग्रिड पर अधिक लोड के कारण कई बार पावर कट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। सोलर सिस्टम में सोलर पैनल द्वारा बिजली का निर्माण किया जाता है, ऊर्जा परिवर्तन करने के लिए सोलर इंवर्टर को सोलर सिस्टम में कनेक्ट किया जाता है।

सोलर इंवर्टर के प्रयोग से ही पावर कट जैसी समस्याओं को आसानी से हल किया जा सकता है। सोलर इंवर्टर साधारण इंवर्टर की तुलना में अधिक लाभ यूजर को प्रदान करते हैं।

सोलर इंवर्टर का इतिहास

किसी भी उपकरण के आविष्कार के पीछे एक इतिहास रहता है, ऐसे में इंवर्टर 19वीं सदी के महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला को जाता है, उन्हीं के द्वारा बताई गई क्रियाविधि के अनुसार आज भी इंवर्टर कार्य करता है। सोलर इंवर्टर को बनाने का श्रेय वर्ष 2000 में न्यू मैक्सिको के एल्बुकर्क में सैंदिया लैबोरेट्रीज के वैज्ञानिकों को जाता है। उनके द्वारा घरेलू उपयोग के लिए सोलर इंवर्टर का निर्माण किया गया था।

सोलर इंवर्टर कैसे काम करता है?

सोलर पैनल द्वारासौर ऊर्जा को दिष्टधारा डीसी के रूप में निर्मित किया जाता है, घरों में प्रयोग होने वाले ज्यादातर उपकरण एसी के माध्यम से चलाए जाते हैं। ऐसे में सोलर इंवर्टर के द्वारा डीसी को एसी में बदलने का काम किया जाता है। सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को बैटरी में भी स्टोर किया जा सकता है। बैटरी की बिजली को भी एसी में बदलने का कार्य सोलर इंवर्टर के माध्यम से किया जाता है।

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सोलर इंवर्टर को 12 से 15 घंटे तक के लिए प्रयोग किया जा सकता है। किसी भी सोलर सिस्टम में बैटरी को सोलर इंवर्टर की रेटिंग के अनुसार सोलर बैटरी जोड़ी जाती है, सोलर बैटरी में संग्रहीत बिजली का प्रयोग रात के समय में किया जा सकता है। बैटरी में स्टोर बिजली की सप्लाई से सोलर इंवर्टर का प्रयोग रात के समय में किया जा सकता है।

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सोलर इंवर्टर के प्रकार देखें

सोलर इंवर्टर मुख्यतः निम्न तीन प्रकार के होते हैं:-

  • ऑन ग्रिड सोलर इंवर्टर:
    • इस प्रकार के के इंवर्टर का प्रयोग सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।
    • ऑनग्रिड सोलर सिस्टम वाले इंवर्टर के द्वारा ग्रिड बिजली का ही प्रयोग किया जाता है।
    • इस प्रकार के इंवर्टर की कीमत 19 हजार रुपये से 90 हजार रुपये तक हो सकती है।
  • ऑफ ग्रिड सोलर इंवर्टर:
    • इस प्रकार के इंवर्टर को स्टैंड अलोन सोलर इंवर्टर या सोलर बैटरी इंवर्टर भी कहा जाता है।
    • सोलर बैटरी एवं सोलर पैनल की बिजली को ऐसे इंवर्टर के माध्यम से परिवर्तित किया जाता है।
    • इस प्रकार के इंवर्टर की कीमत 19 हजार से 90 हजार रुपये तक हो सकती है।
  • हाइब्रिड इंवर्टर:
    • ऑन ग्रिड एवं ऑफ ग्रिड सोलर इंवर्टर मिक्स हाइब्रिड सोलर इंवर्टर होता है।
    • सोलर पैनल, बैटरी स्टोरेज एवं यूटिलिटी ग्रिड सब के साथ ऐसे इंवर्टर का प्रयोग किया जा सकता है।
    • 3 किलोवॉटक्षमता के हाइब्रिड इंवर्टर की कीमत 75,000 रुपये एवं 10 किलोवॉट क्षमता के हाइब्रिड इंवर्टर की कीमत 2,39,000 रुपए तक हो सकती है।

एक बार फुल चार्ज करने के बाद बिजली देगा 15 घंटे ये इंवर्टर

सोलर इंवर्टर के प्रयोग से होने वाले फायदे इस प्रकार रहते हैं:-

  • पर्यावरण के अनुकूल– सोलर इंवर्टर पर्यावरण के अनुकूल ही कार्य करता है,एआइसे में इनके प्रयोग से ऊर्जा किया जा सकता है।
  • लंबी अवधि की बिजली आपूर्ति– सोलर सिस्टम में लगे इंवर्टर का प्रयोग बैटरी फुल चार्ज होने पर 15 घंटे तक किया जा सकता है।
  • किफायती बिजली– सोलर इंवर्टर पर निवेश करने के बाद आप लंबे समय तक इस प्रकार के इंवर्टर का प्रयोग कर सकते हैं।

एक बार फुल चार्ज करने के बाद बिजली देगा 15 घंटे ये इंवर्टर। सोलर उपकरणों के प्रयोग से पर्यावरण को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखा जा सकता है। आने वाले समय में सौर ऊर्जा का प्रयोग अधिक मात्रा में बढ़ जाएगा, ऐसे में सोलर इंवर्टर को स्थापित कर आप भविष्य में भी बिजली का प्रयोग फ्री में कर सकते हैं।

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Solar News

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