जानिए सोलर पैनल सिस्टम के सभी उपकरण की डिटेल व देखिए कितना आता है इनकी मेंटनेंस में खर्च

सोलर पैनल, इन्वर्टर, बैटरी—जानिए इन सभी महत्वपूर्ण घटकों के बारे में जो सोलर सिस्टम को बनाते हैं एक सम्पूर्ण ऊर्जा समाधान। जानें सोलर पैनल के प्रकार, उनकी कीमत और कैसे आप सोलर सिस्टम से अपनी बिजली की खपत को कम कर सकते हैं।

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जानिए सोलर पैनल सिस्टम के सभी उपकरण की डिटेल व देखिए कितना आता है इनकी मेंटनेंस में खर्च
जानिए सोलर पैनल सिस्टम के सभी उपकरण की डिटेल व देखिए कितना आता है इनकी मेंटनेंस में खर्च

आज के समय में जब ऊर्जा की बढ़ती मांग और पर्यावरणीय संकट दोनों ही गंभीर समस्याएं बन चुके हैं, सोलर सिस्टम एक स्थायी और पर्यावरण-friendly समाधान के रूप में उभरकर सामने आया है। सोलर पैनल (Solar Panels) का उपयोग सूर्य की ऊर्जा को बिजली में बदलने के लिए किया जाता है, और यह घरों, व्यवसायों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में ऊर्जा की खपत को कम करने के साथ-साथ रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) का सबसे बेहतरीन स्रोत है। लेकिन सोलर पैनल केवल एक ही उपकरण नहीं होते। इसके अलावा सोलर सिस्टम में कई अन्य घटक भी होते हैं जो इसे एक पूर्ण प्रणाली बनाते हैं। आइए जानते हैं इन घटकों के बारे में और समझते हैं कि किस प्रकार ये सभी एक साथ मिलकर कार्य करते हैं।

सोलर सिस्टम के मुख्य घटक

सोलर सिस्टम में कई प्रमुख उपकरण होते हैं, जिनमें सोलर पैनल, सोलर इन्वर्टर, सोलर बैटरी और सोलर चार्ज कंट्रोलर शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ सहायक उपकरण भी होते हैं जो सिस्टम की स्थिरता और सुरक्षा में योगदान करते हैं।

सोलर पैनल

सोलर पैनल (Solar Panels) सोलर सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण घटक होते हैं। यह सूर्य की रोशनी को कैप्चर करते हैं और उसे बिजली में बदलने के लिए फोटोवोल्टिक (PV) सेल का उपयोग करते हैं। भारत में आमतौर पर तीन प्रकार के सोलर पैनल का उपयोग किया जाता है:

  • पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल: यह नीले रंग के होते हैं और आमतौर पर ₹30 से ₹36 प्रति वाट की कीमत पर उपलब्ध होते हैं। ये पैनल खासतौर पर सीधे सूर्य के प्रकाश में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
  • मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल: यह पैनल गहरे नीले या काले रंग के होते हैं और पॉलीक्रिस्टलाइन पैनलों की तुलना में ज्यादा कुशल होते हैं, हालांकि ये महंगे होते हैं। इनकी कीमत ₹45 से ₹65 प्रति वाट तक होती है।
  • बाइफेसियल सोलर पैनल: ये पैनल दोनों तरफ से बिजली उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं, जिससे सूर्य की रोशनी के सीधे और परावर्तित दोनों स्रोतों से बिजली प्राप्त की जाती है। इनकी कीमत भी ₹45 से ₹65 प्रति वाट होती है।

सोलर इन्वर्टर

सोलर इन्वर्टर (Solar Inverter) का मुख्य कार्य सोलर पैनल से उत्पन्न डीसी (DC) बिजली को एसी (AC) बिजली में परिवर्तित करना है, जिसका उपयोग घरेलू उपकरणों द्वारा किया जाता है। यह सोलर सिस्टम का एक अन्य महत्वपूर्ण घटक है और इसका चयन सिस्टम की क्षमता के आधार पर किया जाता है। आधुनिक सोलर इन्वर्टर में PWM (Pulse Width Modulation) और MPPT (Maximum Power Point Tracking) जैसी उन्नत तकनीकें होती हैं जो सोलर पैनल की ऊर्जा उत्पादन क्षमता को अधिकतम करती हैं।

सोलर बैटरी

सोलर बैटरी (Solar Battery) का इस्तेमाल विशेष रूप से ऑफ-ग्रिड या हाइब्रिड सोलर सिस्टम में किया जाता है। इन बैटरियों में सोलर पैनल द्वारा उत्पन्न की गई डीसी बिजली को स्टोर किया जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर इसका उपयोग किया जा सके। ट्यूबलर और लिथियम-आयन बैटरियां इसके लिए आमतौर पर उपयोग की जाती हैं।

सोलर चार्ज कंट्रोलर

सोलर चार्ज कंट्रोलर (Solar Charge Controller) सोलर पैनल द्वारा उत्पन्न बिजली को सोलर बैटरी में स्टोर करते वक्त सही प्रवाह को नियंत्रित करता है, ताकि बैटरी ज्यादा चार्ज या डिस्चार्ज न हो। यह बैटरी के जीवनकाल को बढ़ाने में मदद करता है।

अतिरिक्त सहायक उपकरण

सोलर सिस्टम के कुछ अतिरिक्त सहायक उपकरण में पैनल स्टैंड, सुरक्षा के लिए ACDB (Alternating Current Distribution Board) और DCDB (Direct Current Distribution Board) बॉक्स, लाइटनिंग अरेस्टर (जो सोलर पैनल को बिजली कड़कने से बचाता है), और इंस्टॉलेशन के लिए अन्य आवश्यक उपकरण शामिल हैं।

ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम

सोलर सिस्टम को मुख्य रूप से दो प्रकारों में बांटा जा सकता है:

  • ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम: इस प्रकार के सोलर सिस्टम में बैटरी का उपयोग नहीं किया जाता है। इसमें सोलर पैनल द्वारा उत्पन्न बिजली को इलेक्ट्रिक ग्रिड के साथ जोड़ा जाता है, और नेट मीटरिंग के माध्यम से बिजली की खपत को मापा जाता है। यह सिस्टम खासतौर पर उन घरों के लिए आदर्श होता है जिनमें बिजली की खपत ज्यादा होती है और जो सरकार से सब्सिडी प्राप्त करने के योग्य होते हैं।
  • ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम: इस सिस्टम में, सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली को बैटरी में स्टोर किया जाता है और जरूरत के समय इसे इस्तेमाल किया जाता है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहां बिजली की आपूर्ति में बार-बार कटौती होती है या जो विद्युत ग्रिड से जुड़े नहीं होते।

सोलर सिस्टम की लागत और सरकारी सब्सिडी

भारत में, रूफटॉप सोलर पैनल (Rooftop Solar Panels) घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की छतों पर स्थापित किए जाते हैं। इनकी लागत उपयोगकर्ता की ऊर्जा की आवश्यकता, छत के क्षेत्र और सिस्टम की क्षमता (kW में मापी जाती है) पर निर्भर करती है। सरकारी सब्सिडी के माध्यम से नागरिकों को सोलर सिस्टम इंस्टॉलेशन के लिए वित्तीय सहायता भी मिल सकती है, खासकर जब वे ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम लगाते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि आपके घर का बिजली बिल ₹2,000 से ₹5,000 प्रति माह है, तो आप 3 किलोवाट का सोलर सिस्टम इंस्टॉल कर सकते हैं। भारतीय सरकार केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर 10 किलोवाट तक के ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम के लिए सब्सिडी प्रदान करती है।

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सोलर सिस्टम के घटकों की वारंटी और रखरखाव

सोलर सिस्टम के घटक अलग-अलग वारंटी के साथ आते हैं। सोलर पैनल आमतौर पर 10 साल की उत्पाद वारंटी और 25 साल की प्रदर्शन वारंटी के साथ आते हैं। सोलर इन्वर्टर की वारंटी 5 से 10 साल के बीच होती है, जबकि सोलर बैटरी की वारंटी 2 साल तक होती है। समय-समय पर रखरखाव और निरीक्षण से सिस्टम की कार्यक्षमता को बनाए रखा जा सकता है।

FAQs

1. सोलर पैनल किस प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न करते हैं?
सोलर पैनल सूर्य के प्रकाश से फोटोवोल्टिक (PV) प्रक्रिया के माध्यम से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।

2. क्या सोलर सिस्टम का चयन घर की बिजली खपत पर निर्भर करता है?
जी हां, सोलर सिस्टम की क्षमता का चयन घर की बिजली खपत और छत के क्षेत्र पर निर्भर करता है।

3. सोलर बैटरी कितने समय तक काम करती है?
सोलर बैटरियों की जीवनकाल आमतौर पर 5 से 10 साल तक होती है, लेकिन यह बैटरी के प्रकार और उपयोग के आधार पर बदल सकता है।

4. क्या ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम में बैटरी की आवश्यकता होती है?
जी हां, ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम में बैटरी का उपयोग किया जाता है ताकि सोलर पैनल द्वारा उत्पन्न बिजली को स्टोर किया जा सके और इसका उपयोग आवश्यकता के समय किया जा सके।

5. सोलर पैनल लगाने के लिए सरकारी सब्सिडी उपलब्ध है?
हां, भारत सरकार सोलर पैनल इंस्टॉलेशन के लिए सब्सिडी प्रदान करती है, खासकर घरेलू उपयोगकर्ताओं के लिए।

6. क्या सोलर पैनल की लागत समय के साथ घटती है?
सोलर पैनलों की लागत धीरे-धीरे घट रही है, जिससे अधिक लोग इसे अपने घरों और व्यवसायों में इंस्टॉल कर रहे हैं।

7. सोलर इन्वर्टर कितने प्रकार के होते हैं?
सोलर इन्वर्टर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: पावर इन्वर्टर और बैटरी-चालित इन्वर्टर।

8. क्या सोलर पैनल पर वारंटी होती है?
हां, सोलर पैनल पर 10 साल की उत्पाद वारंटी और 25 साल की प्रदर्शन वारंटी प्रदान की जाती है।

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Solar News

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