सोलर पैनल को विज्ञान का एक आधुनिक चमत्कार कहा जा सकता है, सोलर पैनल के द्वारा सूर्य की रोशनी को बिजली में परिवर्तित करने का कार्य किया जाता है, यह कार्य PV सेल के द्वारा किया जाता है, जिन्हें सोलर सेल या फोटोवोल्टिक (PV) सेल भी कहा जाता है। जब सूर्य का प्रकाश इन सेल पर पड़ता है, तो फोटोवोल्टिक प्रभाव के कारण यह इलेक्ट्रॉनों को मुक्त करता है, जिससे इलेक्ट्रिक करंट जनरेट होता है। सोलर पैनल किस मटेरियल से बनाया जाता है? यहाँ जानें। सोलर पैनल का सबसे महत्वपूर्ण घटक सोलर सेल होते हैं, क्योंकि बिजली उत्पादन का कार्य इनके द्वारा ही किया जाता है।
सोलर पैनल किस मटेरियल से बनाया जाता है?
सोलर पैनल को बनाने में मुख्य रूप से अर्द्धचालक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है, सोलर सेल अर्द्धचालक पदार्थ जैसे सिलिकॉन की सहायता से बनाए जाते हैं, इनके अतिरिक्त भी अन्य पदार्थ सोलर पैनल में होते हैं, जिनकी जानकारी आगे दी गई है।
सोलर पैनल में सिलिकॉन
सिलिकॉन सोलर पैनलों का सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण मटेरियल है। मुख्य रूप से दो प्रकार का सिलिकॉन सोलर पैनल में होता है:-
- पॉलीक्रिस्टलाइन सिलिकॉन: यह सोलर सेल का सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला प्रकार है। इनकी दक्षता कम होती है, इसलिए ये कम महंगे होते हैं।
- मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन: इस प्रकार के सेल की दक्षता अधिक होती है, जिस कारण ये ज्यादा महंगे होते हैं। ये सूर्य के प्रकाश को बिजली में अधिक प्रभावी रूप से परिवर्तित कर सकते हैं।
सोलर पैनल में एमोर्फस सिलिकॉन (A-Si)
A-Si को नॉन-क्रिस्टलाइन सिलिकॉन भी कहा जाता है। इस प्रकार के पैनल बहुद्देशीय एवं लागत प्रभावी होते हैं, इस प्रकार के सोलर पैनल कमजोर होते हैं इसलिए इनके टूटने और खराब होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे सोलर सेल का उपयोग थिन-फिल्म सोलर पैनलों में किया जाता है। A-Si कार्बाइड, A-Si जर्मेनियम, माइक्रोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन एवं A-Si नाइट्राइड जैसे वेरिएंट का प्रयोग कर के इनके प्रदर्शन एवं स्थायित्व को बढ़ाया जाता है।
सोलर पैनल में कैडमियम टेलुराइड (CdTe)
कैडमियम और टेल्यूरियम का प्रयोग कर के CdTe का निर्माण किया जाता है, इनका उपयोग थिन-फिल्म पैनलों में किया जाता है। इस प्रकार के सेल लागत-प्रभावी होते हैं एवं अपनी स्टेबिलिटी के लिए प्रसिद्ध रहते हैं। इनका प्रयोग ऑप्टीमल बैंडगैप एफिशिएंसी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
सोलर पैनल में गैलियम आर्सेनाइड
इस प्रकार के सेल का प्रयोग करने वाले सोलर पैनल सिलिकॉन सेल की तुलना में उच्च दक्षता, कम घनत्व एवं पतले प्रोफाइल प्रदान करते हैं। इस प्रकार के सेल को पारंपरिक सिलिकॉन सेल का एक अच्छा विकल्प बताया जाता है।
सोलर पैनल में एल्यूमीनियम, लेड एवं एंटीमनी
इन पदार्थों का प्रयोग कर के सोलर सेल के एनर्जी बैंड गैप को सही किया जा सकता है। जिसके लिए सिलिकॉन को इन पदारथी के से मिलाया जाता है, नई बनी मिश्रधातु का उपयोग सेल की दक्षता बढ़ाने, मल्टी-जंक्शन सोलर सेल बनाने एवं ऊष्मा नियंत्रण के लिए किया जाता है।
सोलर पैनल में कार्बन नैनोट्यूब (CNT)
CNT नैनो-मटेरियल होते हैं, इनके द्वारा सोलर पैनलों की प्रॉपर्टी को बढ़ाया जाता है। इनके प्रयोग से 75% तक सौर ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है। CNT ट्रांसपेरेंट कंडक्टर मटेरियल को विकसित करने एवं धारा प्रवाह (Current Flow) में सुधार करने में सहायक होता है।
सोलर पैनल को बनाने में अलग-अलग पदार्थों का उपयोग किया जाता है जो इनकी दक्षता, स्टेबिलिटी को बढ़ाते हैं। सिलिकॉन, कैडमियम टेलुराइड, गैलियम आर्सेनाइड, एवं कार्बन नैनोट्यूब्स जैसे मटेरियल्स ने सोलर पैनल्स की टेक्नोलॉजी को उन्नत बनाया है, और इन्हें नवीकरणीय ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना दिया है। इस प्रकार आप जान सकते हैं कि सोलर पैनल किस मटेरियल से बनता है।